न्यू मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विश्वस्तरीय पहचान दी

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तीन मई विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष

सरमन नगेले

 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (तीन मई) सत्ता के दुरूपयोग, भ्रष्टाचार का पता लगाने और प्रमुख मुद्दों के बारे में नागरिकों को जानकारियां देने की चुनौतियों के क्षेत्र में मीडिया द्वारा निभाई जा रही अहम भूमिका को बयां करता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन और ईरान जैसे देशों पर यह आरोप लगाया है कि वे इंटरनेट और मोबाइल फोन जैसे संचार के माध्यमों पर पूर्ण पहुंच को सीमित कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम कर रहे हैं।

ओबामा का मानना है कि जब लोग इंटरनेट, मोबाइल फोन और अन्य माध्यमों के जरिए पहले से कहीं अधिक सूचना पा रहे हैं, चीन, इथोपिया, ईरान और वेनेजुएला ने इन प्रौद्योगीकियों तक पूरी तरह से पहुंच और इनके इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है।

बहरहाल, न्यू मीडिया ने परंपरागत मीडिया की निर्भरता से निजात दिलाई है। अब देश-दुनिया के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों एवं चैनलों के पत्रकार आजकल अपना पक्ष न्यू मीडिया पर बेहिचक रख रहे हैं।

काबिलेगौर है कि न्यू मीडिया ने ही बीते वर्ष कई बड़े खुलासे किये हैं। दुनिया के कई देशों को हिला देने वाले विकीलीक्स के संपादक जूलियन असांजे पत्रकारिता को ही न्यू मीडिया के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित कर रहे हैं।

कुल मिलाकर सोशल मीडिया ने दुनिया को एक गांव के रूप में तब्दील कर दिया है। स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को निशुल्क मौका देकर इसने मीडिया को पंख लगा दिये हैं, यह पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है, यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त कर दिया है। कुल मिलाकर मीडिया के सोशल मीडिया ने सारे मायने ही बदल दिये हैं।’’

दुनिया में पिछले एक दशक के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार के जरिए अनेक परिवर्तन हुए हैं। ये वे परिवर्तन है जो सोशल मीडिया के जनक हैं। यह मीडिया आम जीवन का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है।

जहां तक सवाल मीडिया का है तो वह पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं, चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया।

मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, फेसबुक, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है।

लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों के पन्नों पर सोशल मीडिया से उठाई गई खबर या उससे जुड़ी हुई खबर रहती है। फकत, यही मीडिया है जो पत्रकारिता को प्रोत्साहित कर रहा है।

गौरतलब है कि पोर्टल व न्यूज बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो कमोबेस सभी प्रकार की जानकारी और सामग्री वीडियो छायाचित्र तथा तथ्यों का प्रसारण निशुल्क है साथ में संग्रह की भी सुविधा है।

सोशल मीडिया का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है।

तीन मई विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है, यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में बातें करने के लिए मुकर्रर है, ऐसा नहीं है कि इस दिन किसी देश में प्रेस को स्वतंत्रता मिल गई थी या उसकी स्वतंत्रता छिन गई थी.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1993 में तय किया कि अगर प्रेस की आजादी के बारे में तीन मई को हर वर्ष पूरी दुनिया में बात की जाए तो अच्छा रहेगा, दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में प्रेस को चौथा खंभा माना जाता है, कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को जनता से जोड़ने वाला खंभा.पत्रकारों को कई सुविधाएँ मिलती हैं जैसे कई अतिविशिष्ट स्थानों पर आने-जाने की आजादी, कार्यक्रमों में बेहतर कुर्सी, रेल के आक्षरण के लिए अलग खिड़की, रेल यात्रा में 50 फीसदी रियायत की सुविधा ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह ठीक से कर सकें।

दरअसल, जिन लोगों की जिम्मेदारी दूसरों के कामकाज की निगरानी, टीका-टिप्पणी और उस पर फैसला सुनाने की होती है उनकी जवाबदेही कहीं और ज्यादा हो जाती है. न्यायपालिका और मीडिया इसी श्रेणी में आते हैं. पत्रकारों और जजों की गैर-जिम्मेदारी पर चर्चा बहुत कम होती है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि उनकी गलतियों और उनके अपराधों की गंभीरता कम है।

पत्रकार भी समाज का ही हिस्सा हैं, समाज में भ्रष्टाचार, बेईमानी और सत्ता के दुरुपयोग की जितनी बीमारियाँ हैं उनसे पत्रकारों के बचे रहने की उम्मीद करना नासमझी है. मीडिया की ताकत को बनाए रखना मीडिया के हाथ में है और विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बात होनी चाहिए कि प्रेस की सच्ची स्वतंत्रता हमेशा कैसे बनी रहे।

(लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

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