भूल गये मोबाईल|

 भूल गये मोबाईल|
      bear  आफिस जाते जाते भालू ,
        भूल गये मोबाईल|  
        मार किसी ने टक्कर उनको,
       किया सड़क पर‌ घायल|
        कैसे हाय हलो कर पाते,
       कैसे हाल बताते|
      किसी तरह वापिस‌ घर आये,
      रोते और चिल्लाते|
      अब तो रस्सी डाल ग‌ले में , 
       मोबाईल को बांधा|
       फिर न भूलेंगे मोबाईल ,
किया सभी से वादा|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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