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गजल- मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
इक़बाल हिंदुस्तानी तुमने हमें हरा दिया अच्छा नहीं किया, सोये थे क्यों जगा दिया अच्छा नहीं किया। सौदा तो कर लिया मगर कैसे टिकेगा ये, रूठों को यूं मना दिया अच्छा नहीं किया। खुद पर जो आंच आई तो हल्ला मचा दिया, मेरा तो घर जला दिया अच्छा…