झूठों, पर चाबुक बरसाओ,
सच को ही बस गले लगाओ|
परम्परायें जो भारत की,
लोगों को जाकर समझाओ|
हरिश्चन्द्र की कथा कहानी,
एक बार फिर से बतलाओ|
नवल धवल है कोरी चादर,
इस पर काजल नहीं लगाओ|
झाँसी की रानी के किस्से,
भूलों भटकों को सुनवाओ|
गौतम गाँधी महावीर पर,
एक चित्त हो ध्यान लगाओ|
वीर शिवाजी छत्रसाल को,
अपने जीवन में अपनाओ|
लोभ मोह मद मत्सर को तो,
मार मार कर दूर भगाओ|
बन तालाब ठहर न जाना,
निर्झर बनकर बहते जाओ|
राहें सब टेढ़ी मेढ़ी हैं,
ध्यान रहे कि भटक न जाओ|
फूल नहीं मिल पाते तो क्या,
कांटों को ही गले लगाओ|
जब मन में हो कोई दुविधा,
हाथ जोड़ जन मन गण गाओ|