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सुहाना सपना - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-रवि श्रीवास्तव- सपनों ने दिखाये अरमान, देश में बनाओ अपनी पहचान, हक़ीक़त से मैं था अंजान, सपनों में था जो बहुत असान। चल दिये उसी मंजिल पर, जिसको पूरा करना था, हुआ वही जो सपना देखा, पर मेरा ख्बाव अधूरा था। हर रास्ते पर मिली ठोकरें, मंजिल तक न पहुंच…