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हिन्दी समीक्षकों का बेसुरा हिन्दीराग - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हिन्दी शोध जगत गंभीर गतिरोध के दौर से गुजर रहा है। नए और चुनौतीपूर्ण विषयों के प्रति रूझान घटा है। वर्तमान के प्रति हमने आंखें बंद कर ली हैं। शोध को दोयमदर्जे का लेखन मान लिया है। अनुसंधान और गंभीर चिन्तनरहित विवेक का ही चारों ओर जयगान हो रहा है।…