स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त २०१४ लाल किले से प्रधानमंत्री श्री नरेंद दामोदर भाई मोदी ने योजना आयोग को ख़त्म कर एक नई थिंक टैंक बनाने कि बात कही। तभी से यह बात चर्चा में रहा के क्या योजना आयोग का नाम बदल कर महज़ खानापूर्ति होगा या वाकई कोई नए संस्था का उदय होगा,जो बेहतर परिणाम देने वाला होगा। इन सभी काल्पनिक कयासों के बीच कैबिनेट के मंजूरी के बाद विकास को गति देने के लिए नए साल में नए आयोग “नीति आयोग” का उदय हो गया। “
“नीति आयोग”” नाम सुनते ही एक दम ऐसा लगता है, के बस नाम बदल दिया गया और कुछ नहीं। लेकिन सच तो यह है के नीति शब्द नेशनल इन्स्टीट्यूशन फॉर ट्रांस्फॉर्मिंग इण्डिया अर्थात (एन.आई.टी.आई.) को कहा गया है।
जहाँ योजना आयोग सलाहाकार और सामाजिकी विकास के लिए योजना का निर्माण करती थी वहीँ अब “निति आयोग” ग्राम स्तरीय योजनाएं बनाने का तंत्र विकसित करने, राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों और आर्थिक नीति में ताल-मेल बैठाने और जो विकास से वंचित रह गए हैं उन पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित कर ऐसे निति और कार्यक्रम का निर्माण करना जो लंबे समय तक बेहतर परिणाम दे सके ऐसे जनसरोकार से जुड़े कार्यों को शामिल किया गया है।
आर्थिक मंत्रिमंडल कहे जाने वाले योजना आयोग संवैधानिक संस्था वित्त आयोग की तुलना में बेहद प्रभावशाली रहा है। लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने भी महसूस किया और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने भी किया था लेकिन उनके कार्यकाल में योजना आयोग में कोई बदलाव नहीं किया जा सका।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर भाई मोदी ने अपने कहे वाक्य और किए संकल्प को पूरा करते हुए “योजना आयोग” को ख़त्म कर “निति आयोग” बाना कर इस बात कि तस्दीक कर दी के आने वाले समय में विकास के काम को और गति मिलेगा। योजना आयोग कि तरह निति आयोग भी प्रधानमंत्री के प्रभाव से मुक्त नहीं है लेकिन इस नए संस्था में आवश्यकता के अनुसार योजना का निर्माण किए जाने कि बात विकास के कई संभावनाओं को जन्म देता है।