-मनीष सिंह-
बाहर से जितनी मासूम ,
मन से भी उतनी खूबसूरत हो तुम ,
एक कलाकार की पूरी मेहनत से
तराशी गयी जैसे मूरत हो तुम।
एक कवि की सबसे प्यारी कल्पना ,
चित्रकार की सबसे बड़ी रचना ,
कभी सबसे अच्छा ख़्वाब
और कभी सबसे प्यारी हकीकत हो तुम।
जैसे खिलता हुआ गुलाब ,
या जैसे सर्दी में खिली धूप ,
रात में फैली चाँदनी ,
या उससे भी ज्यादा मनमोहक हो तुम।
एक बच्चे की प्यारी सी मुस्कराहट ,
या दिल को बेचैन करने वाली आहट,
कहानियों में सुनी वो परी ,
या पूरे परिस्तान की जमीयत हो तुम।
तारीफ़ में थक जाएँ बोल ,
क्योकि तुम हो सबसे अनमोल ,
सच्चे दिल से मांगी गयी दुआ ,
और खुदा की सबसे बड़ी नेमत हो तुम।