पर्दे पर ‘जादू’ सा एहसास कराती ‘बाहुबली’

bahubaliकलाकार: प्रभाष, राणा दग्गुबाती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, रामया कृष्णन, सत्यराज, नासेर
निर्देशक: एसएस राजामौली
संगीत: एमएम करीम
कुछ फिल्में वर्तमान पीढ़ी के लिए ऐतिहासिक होती है जो आने वाली पीढ़ी के लिए क्लासिक बन जाती हैं और फिर उनकी मिसाल दी जाती है। एस एस राजमौली की फिल्म ‘बाहुबली’ के बारे में यह बात सटीक बैठती है। एक ऐसी फिल्म जिसमें कलाकारों का समर्पण, उनकी अभिनय क्षमता एवं उनकी मेहनत साफ़ झलकती है। हालांकि फिल्म की शुरुआत में आपको लग सकता है कि ये क्या परी कथा जैसे चित्रण देख हैं किन्तु जैसे ही प्रभास (शिवा) का किरदार सामने आता है, पर्दे से नज़र नहीं हटती। फिल्म में प्रभास का दोहरा किरदार (महाराज अमरेंद्र) है जिसे उन्होंने बखूबी निभाया है और कहीं भी किरदारों का दोहराव नहीं हुआ है। राजमौली की यह फिल्म इतिहास की सबसे महंगी फिल्म बताई जा रही है जो इसे देखते हुए गलत नहीं लगता। दक्षिण भारत में इस फिल्म की रिलीज के पहले ही यह आलम था कि दर्शक इसकी एडवांस बुकिंग के बारे में लगातार पूछते थे और जब एडवांस बुकिंग शुरू हुई तो रात से ही लंबी-लंबी लाइनें लग जाती थीं। फिल्म के प्रति दीवानगी और इसकी सफलता का अंदाजा शायद करण जौहर लगा चुके थे तभी उन्होंने मोटी रकम देकर फिल्म के हिंदी थिअट्रिकल रिलीज राइट्स खरीदे। करण का फैसला हिंदी सिनेमा के दीवानों पर उपहार की तरह है।
कहानी- लेखक वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने कहानी को ऐतिहासिक और पौराणिक काल के नजदीक रखा है। फिल्म देखते समय जहां पुराने राजाओं का रहन-सहन, उनकी न्यायप्रियता तथा ईर्ष्या का भान होता है वहीं युद्ध के दृश्य महाभारत के युद्ध की याद दिलाते हैं। राजमौली का दावा कि ‘बाहुबली’ महाभारत से प्रेरित है गलत नहीं है। कहीं-कहीं तो युद्ध के दृश्य अचंभित करते हैं। यकीन मानिए, बॉलीवुड की किसी फिल्म में आपने युद्ध के ऐसे दृश्य नहीं देखें होंगे। हॉलीवुड फिल्म ‘300’ में इस स्तर के युद्ध के दृश्य थे। फिल्म में महिष्मति नामक जिस राज्य की कहानी है उसका चित्रण अच्छा बन पड़ा है। राजाओं की वेशभूषा, उनका रहन-सहन, उनके हथियार एकदम सजीव लगते हैं। दो भाइयों के बीच सत्ता-संघर्ष को हम पहले भी कई फिल्मों में देख चुके हैं किन्तु ‘बाहुबली’ लार्जर दैन लाइफ है।
तकनीक- फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है- तकनीक। तकनीक की वजह से ही इस फिल्म की तुलना हॉलीवुड फिल्मों से हो रही है। फिल्म की वीएफएक्स टीम की सराहना की जानी चाहिए। टीम ने प्राकृतिक छटाएं, झरने और महिष्मति शहर को बहुत ही भव्यता के साथ पेश किया है। हालांकि कई तकनीकी गलतियां भी हैं मगर उन्हें खूबसूरती के साथ छुपा लिया गया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी कमाल की है।
अभिनय- अभिनय के मामले में सभी कलाकारों में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया है। प्रभास ने फिल्म में ९० किलो वजन बढ़ाने के साथ ही खतरनाक स्टंट्स भी खुद ही किए हैं। राणा डुग्गुबाती (राजा भल्लाल) के किरदार में जमे हैं। फिल्म में शरीर सौष्ठव को प्रदर्शित करते दृश्य हैं जो दोनों के बलिष्ठ शरीर को देखते हुए सच के करीब लगते हैं। अनुष्का शेट्टी (महारानी देवसेना) ने अपने किरदार को जीवंत कर दिया है। एक न्याय-प्रिय रानी और बेबस मां का रूप फिल्म की जान है। तमन्ना भाटिया (अवंतिका) ने खुद को साबित किया है। खासकर उनके तलवारबाजी के दृश्य कमाल के हैं। हालांकि इंटरवल के बाद उनका किरदार गायब सा है। सुदीप (कंटप्पा) ने वफादार सैनिक के किरदार से वफादारी को नए आयाम दिए हैं। बाकी कलाकारों का अभिनय कहानी के हिसाब से अच्छा है।

संगीत- फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। अक्सर दक्षिण भारतीय फिल्मों में गानों की हिंदी डबिंग खीज पैदा करती है जबकि ‘बाहुबली’ के गीत कहानी को आगे बढ़ाने के साथ ही सुनने में मधुर हैं। लंबे अंतराल के बाद संगीतकार एमएम करीम का संगीत याद रखा जाएगा।

अंत में एक ख़ास बात। दो घंटे 40 मिनट की यह फिल्म अधूरी है। इसका अगला भाग 2016 में आएगा। फिल्म का अंत इसी तरह से रखा गया है कि अगली कहानी की गुंजाइश बनी रहे। हालांकि ‘बाहुबली’ की सफलता को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसके दूसरे भाग के आने का समय खासा लंबा है जो इसके लिए भविष्य में नुकसानदेह हो सकता हैं।

Previous articleदालों की बढती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए आयात करने का निर्णय
Next articleआने दो दुनिया में
सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here