परिवर्तन के अग्रदूत की भूमिका निभायेगा ‘छात्रशक्ति’ : दत्तात्रेय होसबोले

dattatreyनई दिल्ली। राष्ट्रीय छात्रशक्ति विशेषांक ‘युवा भारत – समर्थ भारत’ अपने तथ्यों और तत्वों के साथ स्वामी विवेकानन्द के वचनों को समाज में प्रसारित करने का माध्यम बनेगा। मकर संक्रांति के उपलक्ष्य पर विशेषांक का लोकार्पण होना परिवर्तन का सूचक बनते हुए युवाओं को समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए प्रोत्साहित करने का निमित्त बनेगा। परिवर्तन की दिशा में अग्रदूत की भूमिका निभाते हुए छात्रशक्ति युवाओं में भी अपनी भूमिका के निर्वाह का भाव जगायेगा। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की पत्रिका राष्ट्रीय छात्रशक्ति पत्रिका के विशेषांक ‘युवा भारत – समर्थ भारत’ के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये।

दीनदयाल शोध संस्थान सभागार में अपने संबोधन में श्री होसबोले ने कहा कि अनुशासन के बंधन कई बार परिवर्तन लाने में बाधक होते हैं। जबकि छात्र संगठन परिवर्तनशील होते हैं और समय-समय पर उनमें परिवर्तन होने आवश्यक होते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं के अन्दर परिवर्तन का भाव स्वभाविक होता है। इस क्रम में छात्रशक्ति के उद्देश्य को बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय छात्रशक्ति को एक परिवर्तनकारी समूह बनाकर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की प्रेरणा इस विशेषांक से मिलेगी।

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि पूर्व में भी राष्ट्रहित में परिवर्तन के राजनीतिक विषयों को भी छात्रशक्ति पत्रिका ने मुखर तौर पर उठाया है। जिसमें अनुच्छेद-370 और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ पर स्वतंत्रता से लिखा भी गया है। सह-सरकार्यवाह ने माना कि विद्यार्थी परिषद् द्वारा पूरे देशभर में विभिन्न भाषाओं में छात्र पत्रिका निकालना परिवर्तन लाने के लिए वैचारिक आंदोलन का हिस्सा है। इस क्रम को आगे भी बढ़ाये रखने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय छात्रशक्ति पत्रिका के संपादक आशुतोष भटनागर ने विशेषांक प्रस्तावन रखते हुए बताया कि अभाविप आंदोलनकारी जुझारू संगठन है। ऐसे में विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों को अक्सर संवाद की जरूरत रहती है इसके लिए परिसर में वर्तमान कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय दृष्टि देने, उपयोगी साहित्य-सामग्री देने के लिए पत्रिका के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। स्वामी विवेकानन्द की जयंती से विशेषांक को जोड़कर ‘युवा भारत समर्थ भारत’ नाम देने का मकसद देश के युवा, भारत देश और युवा शक्ति के बल पर समर्थ देश की कल्पना पर विचार करना है।

इस क्रम में वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय छात्र शक्तिपत्रिका के विकास पर आधारित यह वित्तचित्र (डॉक्युमेंट्री) हमें विद्यार्थी परिषद् के इतिहास में ले जाती है। जब विद्यार्थी परिषद ने पहली बार राष्ट्रीय छात्रशक्ति पत्रिका को 1978 में निकाला था। उस समय विद्यार्थी परिषद को अपने विचार रखने के लिए एक मंच की जरूरत थी, जो इस पत्रिका से मिला। आने वाले वर्षों में विद्यार्थी परिषद के लिए छात्रशक्ति क्या करे, इस पर विचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि छात्रशक्ति की वेबसाईट भी शुरु करनी चाहिए। यह पत्रिका केवल अपने रंगीन पृष्ट, डिजाइन के लिए जाने जाने से ज्यादा अपनी सामग्री के द्वारा जानी जाने चाहिए। लोकार्पित विशेषांक में स्वामी विवेकानन्द को लेकर समर्थ भारत की कल्पना की गई है, जो सराहनीय है।

इससे पूर्व कार्यक्रम के आरम्भ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पत्रिका ‘राष्ट्रीय छात्र शक्ति’ की विकास यात्रा को एक डॉकुमेंट्री फिल्म के द्वारा कार्यक्रम में प्रदर्षित किया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इतिहास, छात्र आंदोलनों का विवरण, छात्रसंघ के प्रवाहमय कार्यों का पत्रिका में उल्लेख विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के माध्यम से डॉकुमेंट्री में प्रदर्षित किया गया।

1 COMMENT

  1. छात्र शक्ति में ऊर्जा होती है, उससे आप बिजली बना ले या बम बना ले, यह तो नेतृत्व पर निर्भर है. भारत एक युवा देश है और मुझे युवाओ से आशा है की वे विविध विषयो में प्रवीणता हासिल करे और देश के चहुँ दिशा में गौरव का परचम लहराए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here