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और भाषण बाज नहीं चाहिए ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कीर्ति दीक्षित क्षत विक्षत है भारत भूमि का अंग अंग बाणों से । त्राहि त्राहि का नाद निकलता है असंख्य प्राणों से । । दिनकर साहब की ये पंक्तियाँ आज के परिदृश्य में कितनी सफल होकर उतरती हैं, आज ये भारत भूमि यदि कोई मानवी रूप धारित किये होती तो कितने…