एक गोली देश के लिये………..

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जगदीश यादव

उड़ी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में भारत के 18 जवान शहीद हो गए। इसके बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर युद्ध जैसे हालात हैं। दुनिया भी जानती है और नापक पाक भी कि भारत के सपूत आतंकियों के कायरता के शिकार हुए हैं। आज देश के लोगों को अपने वतन के पहरेदारों की शहादत पर गर्व तो हैं लेकिन वीर गति को प्राप्त हुए शहीद जवानों के प्रति देश चलाने वालों व देशवाशियों का भी कुछ फर्ज हैं जिसे चुकाना ही होगा। शहीदों की याद में देश के लोगों की आंखें नम हैं और आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी है। हर हिन्दुस्तानी अब चाहता है कि अब पाक के साथ जंग जायज है और एक और जंग हो ही जाये। भारत की आबादी 1,274,234,538 हो गई है। एक संगठन के मुताबिक, भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.23 फीसदी है। ऐसे में अगर मोटे तौर पर यह पकड़ लिया जाये कि देश में कम से कम 25 करोड़ परिवार है तो यह आंकड़ा भी अपने आप में काफी है। अब समय की मांग है कि पाकिस्तान के साथ जंग के लिये देश का हर परिवार एक गोली का खर्च देगा तो भारतीय सेना को 25 करोड़ गोलियां मिल सकती है। पाकिस्तान की आबादी लगभग 18,50,44,286 है। जाहिर है कि पाक की आबादी से कहीं ज्यादा गोलियों का खर्च भारत में रहने वाले परिवार दें सकते हैं। साफ कहें तो देश के नाम एक गोली देने से देश का कोई भी परिवार इंकार नहीं करेगा। बरन ऐसे भी परिवारों की संख्या उल्लेखनीय होगी जो सौ से एक लाख गोलियों का खर्च हंस कर उठा सकता है। वक्त आ गया है कि देश का हर परिवार एक गोली का खर्च वहन करें और हर गोली में भारत माता लिखा हो।

बता दें कि 1948 में पहली बार और भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 4 बार युद्ध हो चुके हैं। इसमें से पहला संघर्ष 1948 में हुआ। अब पांचवीं बार युद्द के हालात हैं और हमें इससे चुकना नहीं चाहिए। कारण धैर्य की भी एक सीमा होती है और पाक कब का इस सीमा को लांघ चुका है। वैसे यह भी बता देना उचित होगा कि पाकिस्तान के अलावा कोई भी मुस्लिम देश परमाणु शक्ति संपन्न नहीं हैं। इन 53 इस्लामिक देशों की सारी सेनाओं की कुल संख्या लगभग 19.62 लाख है। जब कि भारत के पास अकेले 16.82 लाख थल सेना और 11.31 लाख रिजर्व सैनिक बल है। किसी इस्लामिक देश के पास विमान वाहक युद्धपोत नहीं है जबकि भारत के पास 5 युद्धपोत हैं। किसी इस्लामिक देश के पास एंटी ब्लास्टिक मिसाइल नहीं है। चीन, जर्मनी के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश है जिसके पास मिसाइल को हवा में नष्ट करने की ताकत है। अगर बात आतंक के सौदगरों की करें तो दुनिया में कुल आतंकवादियों की संख्या 2.13 लाख है। सीआईए की रिपोर्ट के अनुसार मान लिया जाए तो सारे इस्लामिक देशों के आतंकवादी साथ मिलकर भारत के साथ युद्ध करते हैं तो भी भारतीय सेना मात्र 14 दिनों में सारे इस्लामिक देशों में तिरंगा फहराने की हिम्मत रखती हैं। जबकि पाक के पास 6.25 लाख थल सेना व 5 लाख लाख रिजर्व सैनिक बल है। बावजूद वह आंखें तरेरता रहा है।

यह रही पाक और भारत की बात अब अपने देश की सियासत पर नजर डाले तो कांग्रेस के युवराज अपने राग अलाप रहें हैं तो बंगाल की स्थिति कुछ और ही हकिकत बयां कर रही है। यह वह वक्त है जब देश अपने शहीद सैनिकों की वीर गति पर आंखों में आंसू लिये युद्ध की बात कर रहा है । बिहार, यूपी, राजस्थान की सरकारों ने अपने-अपने राज्य के निवासी रहे शहीदों के परिवारों के लिये आर्थिक मदद की घोषणा भी की है लेकिन बंगाल में ऐसा अबतक कुछ भी नहीं हुआ है। जबकि बंगाल के भी दो बेटों ने अपने प्राणों की बलि दी है। अजीब बात है कि ममता बनर्जी की सरकार शहीदों के परिवारों के लिये आर्थिक मदद की घोषणा के मामले पर अभी तक मौन ही रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के दौरें में ही व्यस्त है और बस शहीदों को शब्दों की श्रद्धांजलि अर्पित की हैं। जबकि यह यही राज्य है जहां अवैध शराब से मरने वालों के परिजनों के लिये राज्य सरकार दो लाख रपये का अनुदान या सहायता राशि की दी जाती है। किसी हादसे में अगर कोई खास सम्प्रदाय का आदमी मर जाता है तो स्वंय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मृतक के घर जाना नहीं भूलती । लेकिन इस राज्य के शहीदों के परिजनों के घर मुख्यमंत्री नहीं गई।

बंगाल के दो वीर सपूत वीर गति को प्राप्त हुए और सबको रुला गये लेकिन अबतक की जो स्थिति बंगाल में देखी जा रही है वह दुख दायक जरुर है। साफ कहें तो देश बचेगा तो सियासत के मौकें आते रहेंगे। पार्टी, जाति, धर्म कोई भी हो हमें नहीं नहीं भूलना चाहिए की हम हिन्दुस्तानी हैं। झंडे के रंग और सियासत के से परे रह कर आज हमे एक भारतीय के तौर पर ही सोचना होगा। इतिहास-भूगोल को खंगाले बगैर अब समय की मांग है कि अगर नापाक पाक से जायज है जंग तो जंग ही सही।

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