ये हमारे समाज के ही सामान्य प्राणी हैं

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अनिल अनूप
मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने फ़ैसला सुनाया है कि हिजड़े पुरुष ही हैं और उन्हें महिला नहीं माना जा सकता। उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के उस फ़ैसले को बरक़रार रखा है कि हिजड़े ‘तकनीकी ‘तौर पर पुरुष ही होते हैं।
क्या शीमेल जन्मजात होते हैं ??
उनका जीवन कैसा होता होगा ???
भारत का समाज किन्नर (हिजड़ा) से भली भांति परिचित है | किन्नर पैदायशी रूप से न ही स्त्री लिंग हैं न ही पुरुष अपितु प्रकृति ने इन्हें अन्तः लिंगी अथवा अलैंगिक स्वरुप का बनाया है | अधिकांश किन्नर पुरुष शारीरिक संरचना के होते हैं परन्तु उनका व्यवहार स्त्रियोचित होता है | बहुत कम किन्नर ऐसे भी होते हैं जिनकी शारीरिक संरचना स्त्रियों जैसी होती है परन्तु दोनों किन्नरों में जननांग अवशेषी रूप में होते हैं जो सक्रीय नहीं होते हैं|
शीमेल वास्तव में प्राकृतिक हिजड़ा या किन्नर नहीं होते हैं अपितु पुरुषों द्वारा कृत्रिम रूप से स्तनों को विकसित कर शीमेल बना जाता हैं | कुछ तो पैसों के लालच में शीमेल बनते हैं क्यों की पोर्न/अश्लील उद्योग में इनकी भारी मांग है और अच्छी कमाई होती है। लेकिन मोटे तौर पर वे अभी भी संसार में एक विवादित मुद्दा है क्यों की इन्हें समलैंगिक (गे) यौन श्रेणी का माना जाता है।
शीमेल, पूर्ण पुरुष के रूप में जन्म लेते हैं, वे मनोवैज्ञानिक तौर पर स्वयं को आतंरिक रूप में महिला मानते हैं और स्वयं को एक पुरुष के शरीर में फंसा हुआ महसूस करते हैं। जब तक वे पुरुष के शरीर में ही फंसे रहें और किसी भी परिवर्तन के बिना स्वयं ही स्त्रियोचित आचरण करें तो उन्हें “ट्रांसजेंडर” अथवा समलैंगिक कहा जा सकता है। परन्तु जब यही पुरुष शरीर में छुपा स्त्रीत्व (एक मनोविकार) Nip & Tuck surgery (कसाव हेतु शल्य चिकित्सा) कराकर तथा अच्छी तरह से स्टेरॉयड और हार्मोन लेकर शरीर के आकार में बदलाव शुरू कर देता हैं तो “शीमेल” बन जाता है । यानि शीमेल वास्तव में कृत्रिम रूप से किन्नर(विकृत नर) बनाने की परंपरा है |
हारमोंन के सेवन से शरीर पर वक्ष विक्सित होने लगते हैं | और वक्षों का एक सिलिकॉन आपरेशन उन्हें एक महिला की तरह लगने वाला बना देता है | अंग्रेजी में इन्हें “ladyboy” भी कहा जाता है और इसके आलावा कुछ तुकबन्दियाँ भी प्रयोग होती हैंl
इस्तेमाल किया जाने वाला स्टेरॉयड आमतौर पर विरोधी एण्ड्रोजन या विरोधी हारमोंस हैं। यह हार्मोन उपचार शरीर का खेल बदलता है, शरीर की मांसपेशियों में बदलाव लाता है । कुछ समय में आवाज बदलने का प्रभाव भी हो जाता है, यहां तक कि शरीर पर बालों का झाड़ना और सिर में बालों के बढ़ना सामान्य परिवर्तन है |
विरोधी एण्ड्रोजन काम करता है जिस तरह से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है और टेस्टोस्टेरोन स्तर को कम कर देता है, यह एण्ड्रोजन घटकों पर एक imbalance बनाता है।
यानि अश्लील/ पोर्न में दिखने वाले शीमेल वास्तव में ट्रांससेक्सुअल ( लिंगपरिवर्तित) होते हैं ना कि ट्रांसजेंडर अर्थात हिजड़ा या किन्नर | यह अपनी मानसिक प्रेरणा से एक महिला की तरह महसूस करना चाहते हैं।
उपरोक्त से स्पष्ट हुआ की शीमेल वास्तव में एक महिलाओं जैसे स्तन और शरीर में परिवर्तित पुरुष जननांग युक्त समलैंगिक होता है | यद्यपि की उसने जननांग को सर्जरी से स्त्री जननांग में न बदल दिया हो |
स्तम्भन वास्तव में विरोधी एण्ड्रोजन हार्मोन के लिए खाए जाने वाले खुराक पर निर्भर करता है क्यों की स्टेरॉयड के सेवन से पुरुष स्तम्भन हेतु जिम्मेदार टेस्टोस्टेरोन नमक हारमोंस का स्तर कम होने से स्तम्भन नहीं होता है। नियमित अंतराल में विरोधी एण्ड्रोजन हार्मोन लेते हुए उन्हें कमजोर टेस्टोस्टेरोन स्तर पर स्तम्भन संभव नहीं है | लेकिन धीमी गति से विरोधी एण्ड्रोजन हार्मोन कली खुराक स्तम्भन करने के लिए मदद करता है जैसा की अश्लील/ पोर्न में दिखाया जाता है।
विरोधी एण्ड्रोजन हार्मोन के प्रभाव में स्खलन भी एक बहुत पतली और पानी की कुछ बूंदों के रूप में बदल जाता है। हार्मोन की खुराक हलकी है तो स्खलन गाढ़ा होता है।
शीमेल के हार्मोनल उपचार के बाद एक बार जब टेस्टोस्टेरोन स्तर नीचे चला जाता है तो फिर सक्रिय शुक्राणुओं के होने की सम्भावना ख़त्म हो जाति है । यही कारण है की हार्मोन थेरेपी के लिए जाने से पहले वे भविष्य में जरूरत के मामले में स्टोर करने के लिए विक्की डोनर के रूप में अपना स्पर्म शुक्राणु बैंक में रख देते हैं | जब कभी उन्हें भविष्य में उपयोग की आवश्यकता हो तो वो इन हिमीकृत शुक्राणुओं से अपनी वंश परंपरा को आगे बाधा सकते हैं |
अध्ययन कहते हैं कि शीमेल पुरुष हैं पर वे पुरुष के शरीर में फंसा महसूस करते हैं, और उनका मनोविज्ञान अधिक महिला की तरह होता है। दुनिया भर के शोध के अनुसार लगभग 40% शीमेल अपने कम प्रभावी (निष्क्रिय लिंग) पुरुष जननांग के साथ समलैंगिक साथी के रूप में एक और महिला के साथ रहना पसंद करता है । बाकी 60% शीमेल, पुरुष के साथ होना पसंद करते हैं। आप जिन शीमेल को पोर्न फिल्मों में देखते हैं सभी में शीमेल एक आदमी को खुश करने और किसी दूसरे आदमी के साथ खुश रहने के लिए प्यार करता है | ये उन 60% के बीच हैं।
परन्तु वास्तव में शीमेल एक मानसिक विकृति है | यह मनोरोग विशिष्ट मनोचिकित्सा और काउंसेलिंग से ठीक हो सकता है | परन्तु पश्चिम के उन्मुक्त समाज में हर चीज़ को स्वतंत्रता और ह्यूमन राईट से जोड़ने का जो एक नया फैसन आया है यह वास्तव में बहुत दोषपूर्ण है | शीमेल के द्वारा अपने शरीर की दुर्गति कर लेने, पुरुषत्व को पूर्ण रूप गँवा देने के बाद जब उम्र का एक पड़ाव आता है तो जीवन पश्चाताप में डूब जाता है और अधिकाँश शीमेल आत्महत्या का शिकार हो जाते है |
ज्योतिष के अनुसार वीर्य की अधिकता से पुरुष (पुत्र) उतपन्न होता है। रक्त (रज) की अधिकता से स्त्री (कन्या) उतपन्न होती है। वीर्य और राज़ समान हो तो किन्नर संतान उतपन्न होती है।
महाभारत में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञात वास काट रहे थे, तब अर्जुन एक वर्ष तक किन्नर वृहन्नला बनकर रहा था।
पुराने समय में भी किन्नर राजा-महाराजाओं के यहां नाचना-गाना करके अपनी जीविका चलाते थे। महाभारत में वृहन्नला (अर्जुन) ने उत्तरा को नृत्य और गायन की शिक्षा दी थी।
किन्नर की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे समय को दूर कर सकती हैं। धन लाभ चाहते है तो किसी किन्नर से एक सिक्का लेकर पर्स में रखे।
एक मान्यता है कि ब्रह्माजी की छाया से किन्नरों की उत्पत्ति हुई है। दूसरी मान्यता यह है कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उतपत्ति हुई है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार शिखंडी को किन्नर ही माना गया है। शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था।
यदि कुंडली में बुध गृह कमजोर हो तो किसी किन्नर को हरे रंग की चूड़ियां साडी दान करनी चाहिए। इससे लाभ होता है।
किसी नए वयक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने के भी नियम है। इसके लिए कई रीती-रिवाज़ है, जिनका पालन किया जाता है। नए किन्नर को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है।
फिलहाल देश में किन्नरों की चार देवियां हैं।
कुंडली में बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योगों से व्यक्ति किन्नर या नपुंसक हो सकता है।
किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है।
किन्नरों की जब मौत होती है तो उसे किसी गैर किन्नर को नहीं दिखाया जाता। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से मरने वाला अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा।किन्नर मुर्दे को जलाते नहीं बल्कि दफनाते हैं.
हिंजड़ों की शव यात्राएं रात्रि को निकाली जाती है। शव यात्रा को उठाने से पूर्व जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है।किन्नर के मरने उपरांत पूरा हिंजड़ा समुदाय एक सप्ताह तक भूखा रहता है।
किन्नर समुदाय में गुरू शिष्य जैसे प्राचीन परम्परा आज भी यथावत बनी हुई है। किन्नर समुदाय के सदस्य स्वयं को मंगल मुखी कहते है क्योंकि ये सिर्फ मांगलिक कार्यो में ही हिस्सा लेते हैं मातम में नहीं ।
किन्नर समाज कि सबसे बड़ी विशेषता है मरने के बाद यह मातम नहीं मनाते हैं।किन्नर समाज में मान्यता है कि मरने के बाद इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है। इसीलिए मरने के बाद हम खुशी मानते हैं । ये लोग स्वंय के पैसो से कई दान कार्य भी करवाते है ताकि पुन: उन्हें इस रूप में पैदा ना होना पड़े।
देश में हर साल किन्नरों की संख्या में 40-50 हजार की वृद्धि होती है। देशभर के तमाम किन्नरों में से 90 फीसद ऐसे होते हैं जिन्हें बनाया जाता है। समय के साथ किन्नर बिरादरी में वो लोग भी शामिल होते चले गए जो जनाना भाव रखते हैं।
किन्नरों की दुनिया का एक खौफनाक सच यह भी है कि यह समाज ऐसे लड़कों की तलाश में रहता है जो खूबसूरत हो, जिसकी चाल-ढाल थोड़ी कोमल हो और जो ऊंचा उठने के ख्वाब देखता हो। यह समुदाय उससे नजदीकी बढ़ाता है और फिर समय आते ही उसे बधिया कर दिया जाता है। बधिया, यानी उसके शरीर के हिस्से के उस अंग को काट देना, जिसके बाद वह कभी लड़का नहीं रहता।
अब देश में मौजूद पचास लाख से भी ज्यादा किन्नरों को तीसरे दर्जे में शामिल कर लिया गया है। अपने इस हक के लिए किन्नर बिरादरी वर्षों से लड़ाई लड़ रही थी। 1871 से पहले तक भारत में किन्नरों को ट्रांसजेंडर का अधिकार मिला हुआ था। मगर 1871 में अंग्रेजों ने किन्नरों को क्रिमिनल ट्राइब्स यानी जरायमपेशा जनजाति की श्रेणी में डाल दिया था। बाद में आजाद हिंदुस्तान का जब नया संविधान बना तो 1951 में किन्नरों को क्रिमिनल ट्राइब्स से निकाल दिया गया। मगर उन्हें उनका हक तब भी नहीं मिला था।
आमतौर पर सिंहस्थ में 13 अखाड़े शामिल होते हैं, लेकिन इस बार एक नया अखाड़ा और बना है। ये अखाड़ा है किन्नर अखाड़ा। किन्नर अखाड़े को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं। इस अखाड़े का मुख्य उद्देश्य किन्नरों को भी समाज में समानता का अधिकार दिलवाना है।
किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है।
किन्नर जिन्हें लगता है कि उनका किन्नर होना उनके लिए कलंक है तो वे इस कलंक को अब दूर कर सकते हैं। किन्नर अब अपना लिंग परिवर्तन कर महिला या पुरुष बन सकते हैं। छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण व स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।
तमिलनाडु में किन्नरों के अॉपरेशन पर अध्ययन चल रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो किन्नरों के ऑपरेशन का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। शासन से हरी झंडी मिली तो थर्ड जेंडर ऑपरेशन के बाद सामान्य महिला व पुरूष की तरह जीने लगेंगे।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य निदेशक आर. प्रसन्ना ने बताया कि किन्नर को ऑपरेशन कर महिला व पुरूष बनाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक सलाह व सहमति के बाद ही किसी किन्नर का ऑपरेशन किया जाएगा। किन्नरों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में स्वास्थ्य संचालक आर. प्रसन्ना से मुलाकात की थी।
अधिकारियों का कहना है कि पूरे परामर्श व माता-पिता की सहमति के बाद ही किन्नर का ऑपरेशन किया जाएगा। किसी को जबर्दस्ती न महिला बनाया जाएगा और न ही पुरूष।
-अनिल अनूप

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