मिल गये हाथी दादा|
एक चूहा दूजे से बोला,
क्या है भाई इरादा?
कई दिनों से हाथ सुस्त हैं,
कसरत न हो पाई|
क्यों न हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई|
बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह बात|
दो जब मिलकर किसी अकेले ,
पर करते हैं घात|
दुनियाँ वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा,
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा|