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इक जग - दुनिया बहुतेरे...!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तारकेश कुमार ओझा छात्र जीवन में दूसरी , तीसरी और चौथी दुनिया की बातें सुन मुझे बड़ा आश्चर्य होता था। क्योंकि अपनी समझ से तो दुनिया एक ही है। फिर यह दूसरी - तीसरी और चौथी दुनिया की बात का क्या मतलब। लेकिन बात धीरे - धीरे समझ में आने…