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जनक की पाती उर्मिला के नाम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कीर्ति दीक्षित मेरी प्राणजा, मैथिली, जनकदुलारी, वैदेही, जानकी प्रिय उर्मिले, ये पत्र तो सीता जीजी के लिए है, मेरे इन उद्बोधनों को पढ़कर यही विचारा होगा न तुमने, मेरी तनया! ये पाती मैनें मेरी उर्मिला के लिए लिखी है, श्री राम सीता, और सौमित्र के वनगमन के पश्चात् मैं तुझे…