अन्ना की जान को खतरा?

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आर. सिंह

annaaवे सब लोग जो इस भ्रष्ट व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे हैं, अथक प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी प्रकार से आम आदमी पार्टी को आगे बढ़ने से रोका जाए. इसमें प्रथन स्थान आता है, उन राजनेताओं का जो भ्रष्टाचार में डूबे रहने के बावजूद अपने बाहुबल और काले धन के बल पर देश में छाये हुए हैं. ये वही लोग हैं,जिन्होंने बाहर की कौन कहे संसद तक में अन्ना का मजाक उड़ाया था.इसमे वे अफसर और अन्य लोग भी शामिल हैं,जो इस भ्रष्ट व्यवस्था से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं. मंजुनाथ,सत्येन्द्र दूबे और नरेंद्र सिंह की हत्या करने वाले आम आदमी पार्टी को कैसे बर्दास्त कर सकते हैं? पिछले एक सप्ताह से जो भी घट रहा है, वह सब उन्ही लोगों द्वारा रचित कुटिल षड्यंत्र का परिणाम है.

मेरे पास सूचना थी कि अगर आम आदमी पार्टी का प्रभाव बढ़ता रहा , तो दिल्ली चुनाव के करीब पंद्रह दिन पहले आम आदमी पार्टी के विरुद्ध बहुत तरह के आरोप आना आरम्भ हो जाएंगे, यह सत्य साबित हो रहा है. मेरे पास कुछ अन्य सूचनाएं भी हैं. उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण सूचना यह है कि जब दिल्ली चुनाव के करीब एक सप्ताह रह जायेंगे , तो जनमोर्चा की तरफ से एक बड़ा धमाका होगा. जनमोर्चा वह संगठन है, जो आज अन्ना के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है. यह बड़ा धमाका तब होगा, जब उसके पहले का कोई आरोप आम आदमी पार्टी को हानि नहीं पहुंचा सकेगा. वह वर्ग जो आमआदमी पार्टी को समाप्त करने पर तुला हुआ है,वह सब कुछ सुनियोजित ढंग से कर रहा है. पहले विदेशी अनुदान का मामला उठाया गया, जाहिर है उसमें कोई दम नहीं था. अतः वह टांय टांय फिस्‍स हो गया. फिर मामला आया, भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत के फंड के गलत इस्तेमाल या एक तरह से उसके गबन का लांक्षन, पर अन्ना जो इस आरोप के केंद्र बिंदु हैं,स्वयं इस तरह का अस्थिर और सच पूछिए तो असंगत तरीके से व्यवहार कर रहे हैं क़ि उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड सका.

तब आया यह छुपा हुआ कैमरा..मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. हो सकता है कि यह स्वतंत्र रूप से किया गया हो. और उस षड्यंत्र से अलग हो,पर अनुरंजन झा और उनके सहयोगियों को वह योजना मालूम हो और उन्होंने वाह-वाही के साथ मुद्रा लाभ के लिए ऐसा किया हो. इस पूरे चुभने वाली कार्यवाही (स्टिंग आपरेशन) में दो बातों का ख़ास ध्यान रखा गया है. पहला तो यह क़ि निर्वाचन क्षेत्र फैले हुए हों और दूसरा कि उसमें विभिन्न जाति और धर्म के लोग शामिल हों. इस ग्रुप को अनुमान था क़ि आम आदमी पार्टी का नेतृत्व इनके छलावे में आ जाएगा और एक झटके में सबको बाहर का रास्ता दिखा देगा. एक सर्वप्रिय वक्ता को उसमें शामिल कर इन्होने अपनी मंशा जगजाहिर कर दी. पर इनके दुर्भाग्य बस और आम आदमीके सौभाग्य से ऐसा हुआ नहीं.

अब प्रश्न यह उठता है कि अगर जनमोर्चा का धमाका भी असफल हुआ तब क्या होगा? यह प्रतिक्रिया अवश्य बहुत प्रचंड होगी, क्योंकि तब दिल्ली के चुनाव के संपन्न होने में केवल चंद दिन रह जायेंगे.ध्यान दीजिये. यह उस भ्रष्ट समूह के लिए जिंदगी और मौत का प्रश्न है. यह निष्कर्ष क्यों नहीं निकाला जा सकता कि तब वे लोग अन्ना को ही इस तरह समाप्त करने का प्रयत्न करेंगे कि वह या तो आत्महत्या लगे या अन्ना के पहले के सहयोगियों द्वारा किया या कराया हुआ हत्या ? अगर ऐसा हुआ तो?

2 COMMENTS

  1. इन स्थापित राजनितिक दलों को जब अपने क्षेत्र में हस्तक्षेप लगने लगता है तब वे अपने विरोध को भूल उनके विरुद्ध खड़े होने वाले संगठन के विरुद्ध हो जाते हैं. कांग्रेस व भा ज पा भी एक साथ हो गएँ हैं,कुछ और भी निहित स्वार्थ वाले दल उनके पिछलग्गू हो गए हैं.स्टिंग ऑपरेशन भी आजकल किसी भी विरोधी को नीचे लाने का एक हथियार बन गया है.इनकी भी सच्चाई अविश्वश्नीय होती है.आप भी इन पैड संवाद दाताओं व सम्पादकों की शिकार हो गयी लगती है.बाक़ी तो चुनाव आयोग ही फैसला करेगा, आयोग के भी कई निर्णय अचरज भरे होते हैं, जैसे कि वे किसी से प्रेरित हों या दबाव में लिए गएँ हों.उसकी निष्पक्षणीयता किसी पक्ष विशेष की तरफ झुकी प्रतीत होती है.

  2. इन स्थापित राजनितिक दलों को जब अपने क्षेत्र में हस्तक्षेप लगने लगता है तब वे अपने विरोध को भूल उनके विरुद्ध खड़े होने वाले संगठन के विरुद्ध हो जाते हैं. कांग्रेस व भा ज पा भी एक साथ हो गएँ हैं,कुछ और भी निहित स्वार्थ वाले दल उनके पिछलग्गू हो गए हैं.स्टिंग ऑपरेशन भी आजकल किसी भी विरोधी को नीचे लाने का एक हथियार बन गया है.इनकी भी सच्चाई अविश्वश्नीय होती है.आप भी इन पैड संवाद दाताओं व सम्पादकों की शिकार हो गयी लगती है.बाक़ी तो चुनाव आयोग ही फैसला करेगा, आयोग के भी कई निर्णय अचरज भरे होते हैं, जैसे कि वे किसी से प्रेरित हों या दबाव में लिए गएँ हों.उसकी निष्पक्षणीयता किसी पक्ष विशेह की तरफ झुकी प्रतीत होती है.

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