अब नहीं होगी उनकी जिंदगी धुंआ-धुंआ…

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भिनसारे उठ जाना और स्नान-ध्यान कर परिवार के लिए रोटी पकाना पलकमती के लिए उतना कष्टसाध्य नहीं था जितना कि रोज-रोज धुंआ होती जिंदगी. चूल्हे पर भोजन पकाना उसकी रोजमर्रा की जिंदगी का काम है लेकिन इस रोजमर्रा के काम में उसकी जिंदगी के एक-एक कर जिंदगी खत्म होती जा रही थी. चूल्हे से निकलता धुंआ उसके सांसों के साथ उसके जिस्म को खाया जा रहा था. मुसीबत तब और बढ़ जाती थी जब बारिश के दिनों में गीली लकडिय़ां सुलग नहीं पाती और पूरी ताकत लगाकर वह उन्हें सुलगाने की कोशिश करती. आज का दिन पलकमती के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है. मुख्यमंत्री रमनसिंह उन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हा दे रहे हैं. पलकमती की पलकें चमकने लगी है तो इस कतार में और भी महिलायें हैं जिनकी जिंदगी पलकमती से अलग नहीं थी. उनके घरों में भी गैस चूल्हा आ गया है और उनकी जिंदगी धुंआ-धुंआ होने से बच जाएगी. एक-दो पांच नहीं बल्कि बड़ी संख्या में वो महिलाएं हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर थीं और जिनके लिए गैस कनेक्शन प्राप्त कर लेना सपना था. इन सभी के सपने सच करने के लिए राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री के वायदे को पूरा करने के लिए जुट गयी है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से हजारों महिलाओं के रसोईघर उजाले से भर उठे हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य के हजारों महिलाओं को वर्षों से चूल्हे के धुएं से पीडि़त होती आंखों को उज्ज्वला योजना से बेहद राहत मिली है। बरसात में जब लकडिय़ाँ गीली होती थी। तब तो घर परिवार के लिए महिलाओं को खाना बनाना बहुत मुश्किल होता था। चूल्हा फूंक-फूंक कर वे काफी परेशान हो जाती थी। गांव में योजना के पात्र परिवारों की महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिया गया है। इस योजना से एक तरफ जहाँ महिलाओं की सुविधा मिली है। वहीं दूसरी तरफ जंगल से लकडिय़ों की अवैध कटाई पर भी रोक लगेगी। केंद्र एवं राज्य सरकार ने अपनी महत्वपूर्ण योजना के जरिये ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की जिन्दगी में यह एक बेहतर तोहफा दिया। जब उज्ज्वल योजना के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को गैस-चूल्हा और सिलेंडर प्रदान किया गया। गैस कनेक्शन मिलने के बाद अब उन्हें खाना बनाना बेहद आसान हो गया है।
श्रीमती शांति मोहन साहू का अब अपनी सास और बेटी रिश्ता और अधिक मजबूत हो रहा है। छुरिया विकासखंड की ग्राम खुर्सीपार निवासी श्रीमती शांति साहू उज्ज्वला योजना के तहत मिले गैस चूल्हे से अब अपनी बेटी को उसकी मन-पसंद सब्जी और अपनी सास को उनका पसंदीदा खाना आधे घंटे में बनाकर दे देती है। इस गैस कनेक्शन के कारण अब शांति साहू की बेटी और सास जब चाहे तब गरमा-गरम खाना पका कर आसानी से खा लेते है। इससे खाना पकाने और पसंदीदा खाना पकाने में देरी के कारण परिवार में होने वाले मतभेद भी अब खत्म हो गये है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई उज्ज्वला योजना ने ना केवल ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की गरीब महिलाओं को चूल्हे पर खाना बनाने की समस्याओं से मुक्ति दिलाई है। बल्कि पारिवारीक सदस्यों में आपसी प्रेम और सहयोग की भावना को भी मजबूत किया है. इसी तरह मनरेगा श्रमिक श्रीमती लीलावती को मात्र 200 रूपये में भरा हुआ गैस सिलेण्डर चूल्हा और रेग्यूलेटर मिलने से वह खुशी एवं राहत महसूस रही है. ग्राम ओबरी निवासी लीलावती कहती है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने हम गरीब परिवार के महिलाओं को खाना बनाने के लिए गैसा सिलेण्डर और चूल्हा प्रदान कर हमारे जीवन में नई खुशियां ला दी है। पहले खाना बनाने के लिए जंगल से लकड़ी लाकर धुंऐ में परिवार के लिए भोजन बनाती थी। चूल्हे में आग सुलगाने से धुएं से पूरा रसोई घर भर जाता था भोजन बनाने में धुंऐ उनकी आंखो और मुंह में घुस जाती थी। जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानियां का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब राज्य सरकार ने गरीब महिलाओं के पीड़ा को पहचाना और उन्हें 200 रूपये में भरा हुआ गैस सिलेण्डर चूल्हा एवं रेग्यूलेटर प्रदान कर उनकी पीड़ा को दूर किया है।
घरेलू महिलाओं के साथ साथ उन महिलाओं को भी राहत मिली है जो आंगनवाड़ी में बच्चों के लिए भोजन बनाने का काम करती थीं. ऐसी कहानी है ग्राम छोटेकापसी के गायत्री महिला समूह की. इस समूह द्वारा आंगनबाडी केन्द्र पी.व्ही.130 को बच्चों के नाश्ता, भोजन बनाने की कठिनाईयों को देखते हुए आंगनबाड़ी गुणवत्ता उन्नयन अभियान से प्रेषित होकर आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए एक गैस सिलेण्डर, गैस चूल्हा, बर्तन रखने के लिए रैक, सब्जी रखने के लिए रैक तथा अन्य किचन सामान दिया गया. गैस सिलेण्डर मिलने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को आग के धुएॅ से मुक्ति मिली है. समूह द्वारा गैस सिलेण्डर देने पर गांव के आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों के पालकों ने समूह के प्रति आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि गायत्री महिला समूह गांव में कई सामाजिक काम में सक्रिय रहते है। समूह के सदस्य श्रीमती सीमा समद्दार, श्रीमती संगीता पाल, श्रीमती लक्ष्मी राव, श्रीमती चैती नेताम, श्रीमती सावित्री यादव, श्रीमती निर्मला शील, श्रीमती रमा विश्वकर्मा, श्रीमती ज्योत्सना शील, श्रीमती संगीता घोष, श्रीमती रन्ना शील, श्रीमती सुप्रिया बाढ़ई आदि के उक्त कार्य की चर्चा क्षेत्र में आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वसहायता समूहों के माध्यम से प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्रों में गैस कनेक्शन दिए जाने से आंगनबाड़ी केन्दोंं्र के बच्चों को समय पर गरम भोजन और रेडी टू ईट से बनाए जाने वाली व्यंजनेां को तैयार करने में सुविधा मिलेगी और स्वादिष्ट व्यंजनों से कुपोषण को समाप्त करने में मील का पत्थर साबित होगा। छत्तीसगढ़ में मातृशक्ति और शक्तिवान बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना कारगर पहल साबित हो रही है.

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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