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अभिलाषा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अभिलाषा हर आँगन में उजियारा हो, तिमिर मिटे संसार का। चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का। सपने हो मन में अनंत के, हो अनंत की अभिलाषा। मन अनंत का ही भूखा हो, मन अनंत का हो प्यासा। कोई भी उपयोग नहीं, सूने वीणा के तार का । चलो, दिवाली आज मनायें, दीया…