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अभिशप्त - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रात का था धुँधलका , सिर्फ़ तारों की छाँह । मैंने देखा - मन्दिर से निकल कर एक छायामूर्ति चली जा रही है विजन वन की ओर । आश्चर्यचकित मैंने पूछा, " देवि ! आप कौन हैं ? रात्रि के इस सुनसान प्रहर में अकेली कहाँ जा रही हैं ?…