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आह रे आखर मार! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अशोक गौतम अब भार्इ साहब! आप से छुपाना क्या! जबसे सोचने समझने लायक हुए हैं , हर काम नंबर दो का शान से कालर खड़े कर करते आ रहे हैं। खुल कर करते आ रहे हैं । ये छुपन छुपार्इ का खेल हमें शुरू से ही कतर्इ पसंद नहीं! आप…