अकबरूद्दीन डराता है और पाकिस्तान एक्ट करता है

डा कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

हैदराबाद में मजलिस-ए-इतहादुल मुसलमीन नाम का राजनैतिक दल है । कुछ दिन पहले तक सोनिया कांग्रेस और यह पार्टी मिल कर आन्ध्र प्रदेश में सरकार चला रहे थे । आन्ध्र प्रदेश विधान सभा में एम आई एम के नेता अकबरूद्दीन ओबैसी ने २४ दिसम्बर को आदिलाबाद में एक भरी जनसभा में ललकारा कि यदि पुलिस बीच में से हट जाये तो हम मुसलमान पन्द्रह मिनट में ही सौ करोड़ हिन्दुओं से निपट लेंगे । यह चेतावनी देकर वे लन्दन चले गये । सप्ताह बाद जब वे वहाँ से वापिस आये तो हैदराबाद हवाई अड्डे पर उनके समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया । जब पूरे देश में इस घटना को लेकर रोष फैलने लगा तो सरकार को अन्ततः काफ़ी अनुनय विनय के साथ ओबैसी को गिरफ़्तार करना पड़ा । जो इतिहास में रुचि रखते हैं उन्हें ध्यान ही होगा कि हैदराबाद के नबाव ने भारतीय सेना से लड़ने से पहले रियासत में रजाकारों की पार्टी का गठन किया था जिसका मक़सद तेलंगाना क्षेत्र से हिन्दुओं का सफ़ाया करना था । उन दिनों सरदार पटेल ज़िन्दा थे , इसलिये बहुत देर तक न हैदराबाद के नबाव सत्ता में रह पाये और न ही उनकी रजाकार पार्टीं । लेकिन रजाकार पार्टीं के अवशेषों से मजलिसें इतहादुल मुसलमीन नाम के अनेक दल पैदा हो गये जो अभी भी रजाकार पार्टी के एजेंडा को ही लागू करने की साज़िश में लगे हुये हैं । इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि हैदराबाद के नबाव और रजाकारों की सत्ता के समाप्त हो जाने के बासठ साल बाद भी कांग्रेस को सत्ता के लालच में उन्हीं के वैचारिक वारिसों से हाथ मिलाने में रत्ती भर भी संकोच नहीं होता ।

ओबैसी पन्द्रह मिनट में हिन्दुओं को निपटा देने की जब धमकी देता है , तो उनको किस निर्दयता से निपटाना है इस का एक नमूना ओबैसी की धमकी के कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान की सेना ने दिया । जम्मू कश्मीर प्रदेश के उड़ी पुँछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर आठ जनवरी को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सैनिकों पर आक्रमण किया । दो भारतीय सैनिक मारे गये । पाक सैनिक एक भारतीय सैनिक का सिर काट कर अपने साथ ले गये और दोनों के मृत शरीरों को बुरी तरह क्षत विक्षत कर गये । दुनिया भर में देशों में युद्ध होते रहते हैं । सेनाएँ आपस में लड़ती हैं , लेकिन शवों के साथ इस प्रकार का राक्षसी व्यवहार कौन करता है ? जैनेवा कन्वैंशन क्या कहती है , इसको भी छोडिए , सामान्य मानवीय व्यवहार ही इस बारे में तो बहुत कुछ कहता है । फिर पाकिस्तान और हिन्दोस्तान के लोग तो अलग भी नहीं हैं । एक ही विरासत का हिस्सा हैं । तब पाक की सेना ऐसा व्यवहार क्यों करती है ? तालिबान करे , या अल क़ायदा करे , तब भी समझा जा सकता है , लेकिन जब कोई प्रोफ़ेशनल सेना ऐसा करे तो क्या कहा जाये ?

बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि भारत एक साफ्ट स्टेट है , इसीलिये पाकिस्तान क्या , बंगला देश भी इसके साथ इस प्रकार का व्यवहार कर जाता है । भारत सरकार अब भी बहुत ज़ोरदार प्रोटैस्ट लैटर पाकिस्तान को जारी करेगी ही । वैसे भारत सरकार ने पाकिस्तान को सख़्ती से कह दिया है कि इस घटना की जाँच करवाये । पाकिस्तान ने भी उतनी ही सख़्ती से इस घटना में पाक सेना के हाथ होने का खंडन कर दिया है । जाँच की रपट भी वह जल्दी ही सौंप देगा । वह क्या होगी , इसमें सरकार को शक हो सकता है , भारत के लोगों को नहीं । दिल्ली में विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सलीम बशीर को बुलाकर विरोध जताया गया । विरोध कितना सख़्त था , सरकार के अनुसार इसका अन्दाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि बशीर को चाय पानी के लिये भी नहीं भी पूछा गया । हैरानी नहीं होनी चाहिये यदि पाकिस्तान इस्लामाबाद में भारत के उच्चायुक्त को बुला कर ऐसा ही विरोध जता दे । दरअसल जब तक राजनैतिक दल इन सारी घटनाओं को वोट राजनीति के हिसाब से देखते रहेंगे तो इन घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं रोकी जा सकेगी । चाहे यह घटना अकबरूद्दीन ओबैसी की हो या फिर सीमा पर दो सैनिकों की बहशियाना तरीक़े से की गई हत्या की । इसके बाबजूद यदि किसी की ज़रुरत यह जानने में हो कि इस पूरी घटना में भारतीय सेना का ही दोष था , तो वह दस तारीख़ का चेन्नै से छपने वाला प्रतिष्ठित हिन्दु अखवार पढ़ सकता है । मुझे लगता है कि इस देश में बहुत से लोग होंगे ही , जिन्हें संकट की इस घड़ी में इस की ज़रुरत महसूस हो रही होगी । इन लोगों की यह ज़रुरत भी ओबैसियों और पाक को प्राण वायु देती रहती है ।

भारत सरकार को यथार्थ वादी नीति अपनानी होगी , रजाकारों की बची इस फ़ौज से भी और पाकिस्तान की फ़ौज से भी । हम केवल इन्हीं विश्लेषणों को सत्य सिद्ध करनी की ख़ातिर अपने फ़ौजियों की बलि नहीं चड़ा सकते कि पाक में चुनाव होने वाले हैं और वहाँ कुछ शक्तियाँ नहीं चाहतीं कि भारत पाक के बीच शान्ति वार्ता चलती रहे । दरअसल ये कुछ शक्तियाँ ही पाक का नियंत्रण कर रही हैं और वही भारत के प्रति पाक नीति का निर्धारण कर रही हैं । भारत को पाक की इन्हीं कुछ शक्तियों पर कार्यवाही करनी होगी , अन्यथा १९४७,१९६५,१९७१ और कारगिल की लड़ाई में किया गया बलिदान व्यर्थ जायेगा । ओबैसियों से डरते रहोगे या फिर सत्ता के लालच में उनको बचाते रहोगे तो भारत के सम्मान की रक्षा नहीं हो पायेगी । पाक की नापाक हरकतें भी इन्हीं ओबैसियों के भरोसे ही होती हैं , यह याद रखना चाहिये ।

2 COMMENTS

  1. Ovaisi ka case pakistan ki napak hrkt se jodna apki sampradayikta hai. Ovaisi ne jo kahaa hai qanoon unko sza dega lekin thakre singhal aur togadiya jb muslimo ke khilaf zehr uglte hain tb aap jaise log chuppi kyon sadh lete hai?

  2. सरकार को इस तरह के मामलों पर एकदम रोक लगानी चाहिए.. मगर दुःख की बात है ऐसा होगा नहीं. क्योंकि सरकर को देश की सुरक्षा और मान सम्मान से ज्यादा अपनी कुर्सी और वोट बैंक की ज्यादा चिंता है. . … इसीलिए तो बांग्लादेश जैसा तुच्छ देश भी भारत को आँखे दिखने की हिम्मत रखता है.

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