बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा कैबिनेट में एक सराहनीय फैसला लिया गया । यह फैसला कायदे में केंद्र सरकार को पूरे देश भर में लागू करना चाहिए। इस अधिनियम के मुताबिक बुजुर्ग माता पिता जिन्होंने अपनी संपत्ति अपने बच्चों के नाम कर दी है उन बच्चों को आजीवन अपने माता पिता का भरण पोषण करना होगा। यदि बच्चे एसा नहीं करते हैं या अपने मां- बाप को बेघर करते हैं तो माता- पिता के पास अपनी संपत्ति वापस लेने का पूरा अधिकार है। वास्तव में उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला तारीफ के काबिल भी है और अन्य राज्यों के लिए उदाहरण भी है। सरकार ने अपने पांच महीने के कार्यकाल में पहली बार कोई एसा फैसला लिया है जो आम जनता के हित में हैं।
सच्चाई यही है, आज सैकडों उदाहरण हैं कि माता पिता अपनी संपत्ति बच्चों के नाम कर देते हैं। उसके बाद नालायक बच्चे उन्हें घर से बाहर निकाल देती हैं। मजबूरन उन्हें वृद्घाश्रम आदि में जाना पड़ता है जो उनके लिए जीते जी मरने से बदतर हो जाता है। इस संबंध में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल गठित करने की भी योजना है।
इसके अलाव सरकार ने वृद्घों के हितों की रक्षा के लिए अन्य व्यवस्थाएं भी की हैं। माता पिता को प्रताड़ित करने पर भी तीन माह की सजा का प्रावधान है।
मेरे हिसाब से देश के सभी राज्यों की सरकारों को एसा ही कड़ा कानून बनाना चाहिए । पता नहीं भारत जैसे संस्कृति प्रधान देश में एसी विकृतियां कहां से आ गई हैं। लोग माता पिता को घर की सबसे गंदी चीज मानने लगे हैं। पाश्चात्य संस्कृति लोगों के दिल और दिमाग पर इस कदर हावी हो रही है कि लोगों में भले बूरे की समझ ही नहीं रहीं है। जिस समाज में माता पिता को ईश्वर का पवित्र दर्जा दिया जाता है वहीं ऐसे नीच कृत्य आज खूब हो रहे है, जो सर्वनाश का कारण भी बन सकता है।
कैसी अजीब विडँबना है- मां बाप अपने चार बच्चों का पेट अकेले भरते हैं लेकिन वही बच्चे जब बडे हो जाते हैं तो चारो मिलकर अकेले मां बाप की लाठी नहीं बन पाते हैं। सरकार ने इन वृद्घों की लाठी को मजबूत करने के लिए यह फैसला लिया है। इन सभी कुरीतियों को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल कारगर साबित हो सकती है। लेकिन इस संबंध में थोडे और प्रयास की जरूरत है। यह एक गंभीर विषय है, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर किसी बडी पहल की आवश्यकता है।
कुलदीप सिंह राघव
जब यह असल में लागू होगा तब सही हालत पता चलेगी.न जाने कितने कानून जोश में बन तो जातें हैं ,पर कागजों में ही पड़े रहते हैं.जितनी इच्छा बनाने में दिखाई है,उतनी ही सख्ती से लागू करेंगे , तब ही बधाई के पत्र होंगे.
बहुत सुंदर फैसला है ये, और इसे अमलीजामा पहनाया जाना बहुत जरूरी है, ये कानून वक्ती जरूरत है. बहुतायत में मां बाप को दरकिनार कर दिया जा रहा है पैसा लेने के बाद.