प्रभुदयाल श्रीवास्तव
अक्ल बड़ी या भैंस
मेंडम ने मुन्ना से पूछा,
जरा दिमाग लगाओ|
अक्ल बड़ी या भैंस बड़ी है,
मुझे अभी समझाओ|
मुन्ना बोला अभी बताता,
बिल्कुल ना घबराओ|
पहले उन दोनों की मुझको,
जन्म दिनांक बताओ|
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
अक्ल बड़ी या भैंस
मेंडम ने मुन्ना से पूछा,
जरा दिमाग लगाओ|
अक्ल बड़ी या भैंस बड़ी है,
मुझे अभी समझाओ|
मुन्ना बोला अभी बताता,
बिल्कुल ना घबराओ|
पहले उन दोनों की मुझको,
जन्म दिनांक बताओ|
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।