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……और फिर तुम्हारी याद ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
……और फिर तुम्हारी याद ! एक छोटा सा धुप का टुकड़ा अचानक ही फटा हुआ आकाश बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध ……और फिर तुम्हारी याद ! उजले चाँद की बैचेनी अनजान तारो की जगमगाहट बहती नदी का रुकना और रुके हुए…