अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और सरकार

10
162

आर. सिंह

सच पूछिए तो बहुत से तथ्य अब एक साथ उभड कर सामने आ रहे हैं . अन्ना हजारे ने चार अप्रैल को जन्तर मन्तर में सत्याग्रह और अनशन आरम्भ किया. क्या समय चुना था उन्होंने या उनके सहयोगियों ने. अभी अभी भारत ने एक दिवसीय क्रिकेट का विश्वकप जीता था. पूरा युवक वृन्द उत्साह से भरा हुआ था. ऐसे भी भ्रष्टाचार एक ऐसा नासूर बन बन गया है कि उसके विरुद्ध कुछ भी करने पर सहयोग मिलना हीं है. बहुत दिनों से ऐसा कुछ हुआ भी नहीं था. अन्ना हजारे को एक गांघी वादी सामाजिक कार्य कर्ता के रूप में कुछ शोहरत भी मिल चुकी थी पर राष्ट्रीय मंच पर उनका आगमन एक तरह से अचानक ही दिख रहा था. उसके पहले बावा रामदेव रामलीला मैदान में अपनी लीला दिखा चुके थे और उनको अपेक्षा से अधिक ही सहयोग मिला था.

अन्ना हजारे के पक्ष में दो बातें थी. एक तो उपुक्त समय का चुनाव और दूसरा उनका सब राजनैतिक दलों से दूरी बनाए रखना. ऐसे तो कांग्रेस यह कहने से बाज नहीं आ रही है कि अन्ना हजारे को भी संघ परिवार का सहयोग प्राप्त था,पर सत्यता इससे कोसों दूर है. अन्ना हजारे को अपने मुहीम में अप्रत्याशित सफलता मिली. चार दिनों का अनशन ने पहले दौर में ऐसा प्रभाव छोड़ा जिसकी कतई उम्मीद नहीं थी. रामदेव और उनके समर्थकों को यह कतई गवारा नहीं हुआ कि उनके अभियान पर कोई दूसरा हावी हो जाए, पर जिन्होंने जेपी का आन्दोलन देखा था या उसके हर पहलुओं का अध्ययन किया था उनको ज्ञात था कि हो हल्ला मचा कर अगर किसी तरह सत्ता परिवर्तन कर भी लिया गया तो १९७७ से अच्छा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि ढांचा तो वही रहेगा न. चूंकि एक तरह से रामदेव भी वही कर रहे है जो जेपी ने किया था, अतः कुछ अर्थों में उनका आंदोलन जेपी के आंदोलन की पुनरावृति है, हालांकि कुछ अंतर भी है. ऐसे इस बार सत्ता परिवर्तन भी उतना आसान नहीं.सत्ता परिवर्तन हो भी जाए तो दूसरी सरकार एक तो रामदेव और उनके अनुयायियों की बने इसकी सम्भावना नहीं के बराबर है और ऐसा हो भी जाये तो इसका दावा कौन कर सकता है कि वर्तमान ढांचे में वे भी अलग व्यवहार करेंगे. ऐसे भी अन्ना हजारे और रामदेव में बुनियादी अंतर है और यह अंतर उस समय और स्पष्ट हो गया जब उनके मंच पर आने वाले लोगों का मुयायना किया गया .जिन नेताओं और राजनैतिक कार्यकर्ताओं को अन्ना के मंच के पास भी फटकने नहीं दिया गया था और उस की विशेषता यह थी कि यह मापदंड सभी राजनैतिक दलों के लिए बिना भेद भाव के लागू था, वहीं रामदेव के मंच को देख कर तो ऐसा लग रहा था की उनको एक दल विशेष का अनुग्रह प्राप्त है. ऐसे कहा कुछ भी जाये ,पर अन्ना को किसी दल विशेष से जोड़ना आसान नहीं है पर रामदेव का तो गढ़ वही है जो संघ परिवार का है. काग्रेस को भी यह बात अच्छी तरह ज्ञात थी, अत: उनको रामदेव के रूप में एक ऐसा हथियार दिखा , जिसके सहारे वे एक तीर से दो शिकार कर सकते थे.पहला तो आपसी मतभेद को सामने लाकर अन्ना के प्रभाव को कम करना, क्योंकि कांग्रेसियों को एक तो अन्ना अधिक खतरनाक दिख रहे थे. दूसरे कोई भी सरकार यह नहीं चाहेगी की दवाव में आकर उसे ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर किया जाए जिससे उसको हानि के अतिरिक्त कुछ हासिल न हो. भ्रष्टाचार से प्रत्यक्ष रूप से वर्तमान सरकार को कोई हानि होती तो दिखती नहीं.जनता तडपती है तो तडपती रहे.अगर इसमें कमी आती है और उसका श्रेय कोई अन्य ले जाता है तो जग हसाईं भी अपनी. रामदेव को उछालने से संघ परिवार के वोट बैंक में सीधा सीधा छिद्र हो रहा था. साथ ही साथ लाभ यह था कि भ्रष्टाचार विरोधी दो खेमे खडे हो रहे थे और उनके आपसी टकराव की संभावना अधिक थी. रामदेव को वश में करना भी आसान लग रहा था,क्योंकि इस अभियान में उनका स्वार्थ जुड़ा हुआ था. अन्ना हजारे एक ऐसे आदमी का नाम है जिनके पास खोने के लिये शायद कुछ भी नहीं है. दूसरी ओर बाबा रामदेव हैं , जिनका अपना साम्राज्य है.उनकी महत्वकांक्षा भी बहुत ज्यादा है. उनका आंदोलन यद्पि जेपी के संपूर्ण क्रांति वाले आंदोलन से मिलता जुलता है,पर वे जेपी की तरह तटस्थ नहीं हैं. जेपी के आंदोलन की सफलता का एक पहलू यह भी है जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे रामदेव की लिप्तता से एक लाभ तो है . वह यह कि शासन की बागडोर अपने हाथ में लेकर वे ऐसा कुछ कर सकें ,जो जेपी चाह कर भी नहीं कर पाये थे,चूंकि सत्ता की बागडोर उनके हाथों में नहीं थी. यद्यपि इस तरह के त्याग का हमारे देश में बहुत सम्मान है, जिसका जीता जागता उदाहरण सोनिया जी हैं, पर यह एक तरह से पलायन भी है, जिम्मेवारियों से भागना है. बाबा के ढंग से आंदोलन चलाने का सबसे बडा घाटा यह है कि जनता की निगाह में कल के त्यागी बाबा आज सत्ता लोलूप नजर आने लगे हैं. अन्ना हजारे की प्रथम जीत और बाबा की पहली पारी में हIर के लिये कुछ हद तक यह अंतर भी जिम्मेवार है. कांग्रेस का विचार मंच ऐसे भी अन्ना हजारे के अनशन के समय इसके लिये तैयार भी नहीं था और शायद उन्हें इतनी सफलता की उम्मीद भी नहीं थी. सबसे बडा डर चुनाव के परिणामों पर असर पडने का था.कांग्रेस ने किस तरह भ्रष्टाचार का ठीकरा डीमके के माथे पर फोडा,यह चुनाव परिणामों से साफ जाहिर हो गया.लगता है यहीं से कांग्रेस की नीति भी बदल गयी.उन्होने समझ लिया कि इस बार के भ्रष्टाचार वाले मामलों में शायद वे जनता को समझाने में सफल हो जायेंगे,क्योंकि धर पकड़ तो उन्होने जारी कर ही दी है.

आज बाबा रामदेव हाशिये पर चले गये हैं.वह फिर कब सक्रिय हो पायेंगे यह तो भविष्य ही बतायेगा. अब यह देखना बाकी है कि अन्ना और उनके सहयोगी कहाँ तक सफल हो पाते हैं.हमारा राष्ट्रीय चरित्र ऐसा है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थ और तत्कालिक लाभ से उपर उठ ही नहीं पाते.इस माहौल में भ्रष्टाचार आंदोलन के इस अध्याय का बिना किसी परिणाम के समाप्त होने के लक्षण अवश्य दिखाई पड़ रहे हैं.

ज्यादा से ज्यादा शायद यही हो कि कुछ फेर बदल के साथ वर्तमान लोकपाल व्यवस्था को थोड़ा और चमकदार बना दिया जाये.यह भी खैर भविष्य के गर्भ में ही है,पर यह भी हो सकता है कि अन्ना को दूसरी बार में और ज्यादा सहयोग मिले और सरकार को पूर्णतः झुकना पडे़,पर उसकी सम्भावना कम ही है.

10 COMMENTS

  1. बाबा और अन्ना की तुलना लेखक की nasamjhi का बोधा krati है अन्ना मात्र अक smajsevii है जिनकी सीमा nishchit है बाबा ने विश्व स्टार पर जो काम किया आजाद भारत में न kisi ने किया न शायद कोई vha तक पहुच पाई

  2. डाक्टर मीणा को सकारात्मक टिप्पणी और सुझाव के लिए धन्यवाद .मीणाजी, नतो मैं कोई विचारक हूँ और न विद्वान्. मैं तो एक आम आदमी हूँ.एसपेड को एसपेड कहने की पुरानी आदत है और उसीका परिणाम ये लेख या टिप्पणियाँ हैं.इसमें कही गहराई और कहीं उथलापन स्वाभाविक है.इतना अवश्य है की इन विचारों को व्यक्त करते समय मैं केवल यही ध्यान रखता हूँ की वह मेरे विचारानुसार सत्य के करीब हो.विचारों में नास्तिक होने के कारण,यह अवश्य है की किसीको भी मैं इतना उच्च स्थान नहीं दे पता जिसकी लोग अपेक्षा करते हैं.

  3. आदरणीय श्री आर सिंह जी आपने अन्ना और रामदेव की तुलना को लेकर प्रवक्ता पर चल रही चर्चा को आगे बढाया| इसके लिये आप बधाई के पात्र हैं, लेकिन लेख में जो कुछ लिखा गया है, उससे वैसी सटीकता और स्पष्टता नहीं झलकती जैसी की आपकी टिप्पणियों में झलकती है या आपके लेख ‘नाली के कीड़े’ में झलकती है|

    मुझे नहीं पता कि ऐसा क्योंकर हुआ है, लेकिन निश्‍चय ही आपने बाबा की तुलना जेपी से करके भी दोनों में जो भिन्नता दर्शायी है, इसके कारण आपके आलेख का सटीक निचोड़ सामने नहीं आ पाया है|

    अन्ना और बाबा रामदेव दोनों के बारे में लगातार चर्चा चल रही है| जब तक अन्ना को कॉंग्रेस संघ-भाजपा का ऐजेंट बतला रही थी, तो प्रवक्ता पर कथित संघवादी, राष्ट्रवादी या हिन्दूवादी अन्ना के गुणगान करते नहीं थक रहे थे, लेकिन जैसे ही यह सिद्ध करने का अभियान चला कि अन्ना तो संघ नहीं, बल्कि सोनिया के इशारे पर अनशन कर रहा है तो प्रवक्ता पर कथित संघवादी, राष्ट्रवादी या हिन्दूवादी लेखकों और टिप्पणीकारों की कलम अन्ना के खिलाफ चलने लगी|

    इससे यह बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि कथित संघवादी, राष्ट्रवादी या हिन्दूवादी एक केन्द्र विशेष के इशारे पर ही लेखन करते हैं| उनके अपने कोई मौलिक विचार नहीं होते है| जबकि सभी जानते हैं कि लेखन तो मौलिकता का ही नाम है| यहॉं पर तो कुछ पाठक बाबा रामदेव को ईश्‍वर तक मानने लगे हैं| बाबा के खिलाफ एक शब्द भी पढना या सुनना नहीं चाहते और जो कोई बाबा के विचारों या कृत्यों के विरुद्ध लिखता है, उसे देशद्रोही, हिन्दुत्व का विरोधी और विदेशों का ऐजेण्ट घोषित कर दिया जाता है| यह भी इनके केन्द्र का ही निर्देश है| इनकी नीति है, जो भी कोई इंसाफ की या संविधान की बात करके इनके मनमाने और समाज में जहर घोलने वाले विचारों का विरोध करे, उसे नेस्तनाबूद कर दो| इनकी राज्य सरकारें भी ऐसा ही करने के लिये कुख्यात हो चुकी हैं|

    इसलिये ऐसे लोगों से ये आशा करना कि ये किसी तार्किक बात को मान लेंगे, स्वयं को धोखा देने के समान है| अत: मेरा मानना है कि जो भी लिखा जाये, नि:संकोच और इस बात की परवाह किये बिना लिखा जाना चाहिये कि कथित संघवादी, राष्ट्रवादी या हिन्दूवादी इस बारे में क्या सोचेंगे?

  4. लगता है आप बाबा रामदेव के ऐसे भक्तों में हैं ,जिनको बाबा रामदेव भगवान सदृश लगते हैं ,अत: आपसे निष्पक्ष विचार की आशा व्यर्थ हीं लगती है.ऐसे बाबा रामदेव के साम्राज्य निर्माण के पीछे बहुत कराह भी शामिल है.बहुत जगह इसका जिक्र भी आचुका है,पर इस पर मैं चर्चा इसलिए नहीं करूंगा,क्योंकि मैं इस सिद्धांत में विश्वास नहीं करता की किसकी तुलना में कौन अच्छा या बुरा है..मेरी मान्यता तो यह रही है की कोई भी इन्सान अपने आपमें बुरा या अच्छा होता है.रह गयी बात अन्ना हजारे के विरुद्ध प्रमाण की तो आपने वह अभी तक नहीं दिया.हमारे जैसे लोग अब उस उम्र में पहुँच गये हैं की उनको शब्द जालों में नहीं उलझाया जा सकता.बाबा के पीछे सीबीआई है तो इससे अन्ना हजारे को क्या मतलब?यह तो सरकार की सोच है की जिसके लिए एक बार पलक पांवड़े बिछे हुए थे ,आज उनके पीछे जासूसों का जाल बिछ गया है. रह गयी गांधी टोपी की बात तो मैं एक बात कहना चाहूंगा की पहनावे से चरित्र की मीमांसा नहीं की जा सकती.क्योंकि व्यभिचार के मामले में गांधी टोपी और भगवा वस्त्र दोनों ही बदनाम होगये हैं.

  5. सही बात की हिमवंत जी आप ने बाबा रामदेव के साथ आम जानत है जो अन्ना हजारे के साथ नहीं है अन्ना को सिर्फ मीडिया की चमक है और कुछ नहीं सिंग सर मैं आप को अन्ना के बारे मैं जल्द ही जानकारी दूंगा फिर आप सोच लेना की अन्ना कितना अच्छा आदमी है हर गाँधी टोपी वाला साफ नहीं रहता कई लोग ऐसे जो सिर्फ गाँधी भक्ति का नाटक करते है कोंग्रेसियों को तो आप देख चुके हो , रही बात स्वामी रामदेव जी की उनकी विश्वसनीयता पर कोईसक नहीं कर सकता है मिडिया और खान ग्रेस बाबा रामदेव को सिर्फ बदनाम कर रही है अभी हाली मैं मैंने न्यूज़ channal ( भांड ) से सुना की आचर्य बालकृष्ण जी पर आरोप लगा या है की उनक अपस्स्पोर्ट पर पत्ता गलत लिखा है और उसकी जाँच सीबीआई कर रही है क्या सीबीआई के पास इतना फालतू समय है की पासपोर्ट की जाँच करे या फिर सीबीआई( कांग्रेस बुरो ऑफ़ investigation ) पाने अकओंको खुस करने के लिए या फिर उनके आदेश का पालन कर रही है

  6. नीरास मत होइए हर अँधेरी रात के बाद एक चमकता हुवा सूरज उदय होता है /सरकार सिर्फ झुकेगी ही नहीं घुटने के बल बैठ कर जन लोक पल बिल बनाएगी

  7. मैं आपलोगों को सलाह दूंगा की मेरा लेख नाली के कीड़े जो प्रवक्ता में १ मई को प्रकाशित हो चुका है,एक बार पढने का कष्ट करें तो शायद यह वकवास थोडा कम बकवास लगे.ऐसे यह भी सम्भव यह है की तब यह और ज्यादा बकवास लगे.

  8. अन्ना हजारे और बाबा रामदेव मे सभी पक्षो का तुलनात्मक अध्य्यन करने से बाबा रामदेव की विश्वसनीयता अधिक दिख पडती है. अन्ना के साथ स्वामी अग्निवेस सरीखे वेदेशी आई.एन.जी.ओ के लिए काम करने वाले लोग है जो उनकी विश्वसनीयता को घटाती है….. मै मानता हुं की बाबा ने गजब का काम किया है. मिडिया और कांग्रेसीयो ने बाबा को बदनाम करने की कोशीस किया लेकिन जनता आज भी बाबा के साथ है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here