बुरे फंसे अन्ना हजारे

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आज अमर सिंह की पत्रकार वार्ता में शिकार भले ही शशि भूषण व प्रशांत भूषण हों मगर निशाने पर अन्ना हजारे दिख रहे थे । अन्ना हजारे नें अपने अनशन के समय शशि भूषण को ईमानदार बताते हुए जन लोकपाल कमेटी में उन्हे उपप्रमुख की नियुक्ति दिलवाए थे । कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने शांति भूषण और उनके बेटे को नोएडा के पास जमीन दिए जाने पर सवाल उठाते हुए उनसे खुद ही लोकपाल बिल की ड्राफ्ट कमेटी से अलग हो जाने की मांग की है. नया विवाद इन खबरों के सामने आने के बाद उठा जिसके मुताबिक शांति भूषण को उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 हजार स्क्वेयर मीटर जमीन आवंटित की जिनमें से हर एक की कीमत साढ़े तीन करोड़ है. ताजा मामले के अनुसार – शांति भूषण के बेटे जयंत भूषण उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ नोएडा पार्क में मूर्तियां लगाए जाने के खिलाफ कोर्ट गए थे. उनका कहना है कि इसमें विवाद की वजह नहीं थी. नए विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए शांति भूषण ने कहा है, कुछ “भ्रष्ट और महत्वपूर्ण” राजनेता उन पर लगाए गए आरोपों के पीछे हैं क्योंकि कमेटी में उनके (शांति भूषण) रहते “नरम” लोकपाल बिल तैयार करना मुमकिन नहीं होगा. यहां एक दिलचस्प पहलू देखिये – अन्ना हजारे नें सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखे कि ‘पिछले दो दिनों में जिस तरह से सिविल सोसायटी के लोगों के खिलाफ खुलकर दुष्प्रचार किया जा रहा है, वह चिंता का विषय है।’ उन्होंने कहा है कि ऐसा लग रहा है जैसे लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए सारे भ्रष्ट लोग एकजुट हो गए हैं। दिग्विजय सिंह का नाम लिए बिना अन्ना ने कहा,’कांग्रेस के एक महासचिव बयानबाजी कर रहे हैं और मुझे लगता है कि इस तरह की बयानबाजी के लिए उन्हें पार्टी का सपोर्ट मिल रहा है। ज्यादातर बातें जो कही जा रही हैं वे गलत हैं। क्या आप (सोनिया) इन बयानों से सहमत हैं?’ अन्ना की च्ट्ठी के जवाब में सोनिया गांधी की ओर से पत्र आया ( सोनिया जी को लिखने की जरूरत नही पडती ) जिसमें कहा कि उन्होंने कभी भी कीचड़ उछालने और बदनाम करने की राजनीति पर यकीन नहीं किया और न ही वे ऐसे किसी भी प्रयास का समर्थन करती हैं। हजारे ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर कहा था कि कुछ कांग्रेस के नेता भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन की धार कुंद करने के लिए सुनियोजित तरीके से मुहिम चला रहे हैं , सोनिया ने कहा कि उन्हें (अन्ना हजारे को) उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर नीयत पर शंका नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और घूसखोरी से लड़ने की सख्त आवश्यकता है। वह मजबूत लोकपाल के पक्ष में हैं, जो संसदीय प्रणाली के नियमों के अंतर्गत कार्य करे। मजे की बात ये है कि सुर दिग्गी राजा के भी बदल गये लेकिन इन शातिराना चालों के बीच अमर सिंह प्रकट हुए और दिग्गी राजा की कही बातों को पत्रकार वार्ता में देश के सामने रख दिये । शब्द दिग्गी राजा के थे और मुंह अमर सिंह का था । अब अन्ना हजारे के साथ साथ सारा देश सन्न है कि उन्हे क्या जवाब दिया जाए क्योंकि कानून बनाने वाले लोग जानते हैं कि किसी भी बात को चाहे वो झूठी ही क्यों ना हो साबित करने में सालों लग जाते हैं । इस शातिराना चाल में नुकसाल केवल दो लोगों का होगा एक अन्ना हजारे का और दुसरा …. मेरे देश का । इसलिये अब हमें ये सोचना है कि अमर सिंह की कांग्रेसी जुबान को कैसे खारिज करवाया जाए ।

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