अन्ना हजारे तुम इतने टेढ़े क्यों हो ?

अन्ना हजारे भले हैं और जो मन में आता है उसे बिना लाग लपेट के बोलते हैं। उनकी इस साफ़गोई पर कोई भी कुरबान हो सकता है। कल उनकी प्रेस कॉफ्रेस थी,उनकी एक तरफं अरविंद केजरीवाल थे दूसरी ओर किरन बेदी बैठी थीं। कुछ अन्ना रह रहे थे कुछ ये दोनों कह रहे थे। इस तरह ये तीनों मिलकर सिविल सोसायटी का भ्रष्टाचार विरोधी नया आख्यान रच रहे थे।

ये तीनों एक साथ थे। एक दूसरे से सहमत होते हुए बोल रहे थे। उनमें विचार भेद नहीं था। मसलन अन्ना ने जब बिहार और गुजरात के मुख्यमंत्री की प्रशंसा की तो यह मानकर चलना चाहिए कि किरन बेदी और केजरीवाल भी उनके प्रशंसक ही हैं । क्योंकि उन लोगों ने अन्ना की राय का वहां पर विरोध नहीं किया। मैं सोच रहा था मल्लिका साराभाई के बारे में जो अन्ना हजारे को लेकर बेहद उत्साहित थीं और टीवी पर कह रही थीं कि वे अन्ना के मैसेज को गुजरात के गांवों में ले जाएंगी। मैं नहीं जानता कि मोदी की प्रशंसा के बाद मल्लिका के पास क्या बचा है मोदी का विरोध करने के लिए ? मैं सोच रहा हूँ कांग्रेसनेत्री सोनिया गांधी के बारे में क्या वे मोदी के साथ अन्ना को हजम कर पाएंगी ?

लोकपाल बिल का सवाल नहीं है वह तो आएगा और उसका स्वरूप ,शक्ति और संभावनाएं क्या होंगी ,इसके बारे में प्रेस कॉफ्रेस में ही अरविन्द केजरीवाल ने बता दिया कि वे एक और सीबीआई जैसा संगठन बनाना चाहते हैं। इसके पास सीबीआई और सीवीसी के अधिकारों को मिलाकर अधिकार होंगे और इसके दायरे को व्यापक रखा जाएगा। इसके पास पुख्ता कानूनी ढ़ांचा होगा।

इसके अलावा अन्ना हजारे ने प्रेस कॉफ्रेस में एक बेहद अपमानजनक और घटिया बात कही है और यह भारत के नागरिकों के लिए अपमानजनक है। अन्ना से जब पूछा गया कि आप चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा नहीं, मैं चुनाव लडूँगा तो मेरी जमानत जब्त हो जाएगी। इसी क्रम में उन्होंने कहा भारत का मतदाता जागरूक नहीं है। वह सौ रूपये,एक शराब की बोतल में बिक जाता है। सुविधा के लिए टाइम्स ऑफ इण्डिया ( 11 अप्रैल 2011) की वह कटिंग यहां पेश कर रहा हूँ-

“His five-day fast for a strong anti-graft law drew groundswell support across the country, but social reformer Anna Hazare feels that if he contested an election, he will lose his security deposit.

“If I stand for election, I will lose my security deposit,” Anna Hazare said jest-fully answering a question at a press conference on Sunday.

 

“(People) Take Rs100 and vote, take bottle of wine to vote, an election costs Rs 6-7 crore,” he said.

 

Anna Hazare stressed that electoral reforms can rectify this situation.

 

“Give the option of dislike, if all candidates are bad, then voters will not vote for anyone,” he said ”

अन्ना नहीं जानते कि वे क्या कह रहे हैं ? अथवा बहुत ही सुचिंतित ढ़ंग से बोल रहे हैं ? इस बयान में वर्तमान लोकतंत्र को लेकर गहरी घृणा झलक रही है और भारत के मतदाताओं का अपमान भी झलक रहा है।

अन्ना भारत के अधिकांश वोटर घूसखोर नहीं हैं। यदि ऐसा होता तो 60 साल में लोकतंत्र में गर्व करने लायक कुछ नहीं होता। बहुत छोटा सेक्शन है जो घूस खाता है। लेकिन अधिकांश जनता बिना 100 रूपया लिए और शराब की बोतल लिए ही वोट देने जाती है। अन्ना अपनी झोंपड़ी से बाहर निकलो और पूछो मनमोहन सिंह -सोनिया-मोदी-नीतीश से क्या उन्होंने 100 रूपये और बोलत बांटी है ?

अन्ना तुमको आज जो कुछ मिला है वह लोकतंत्र के कारण मिला है। सिविल सोसायटी के कारण नहीं। सिविल सोसायटी में गरीब नहीं रहते अन्ना। बहुत पहले अनेक समाजशास्त्री बता गए हैं कि सिविल सोसायटी में किस वर्ग के लोग रहते हैं। सिविल सोसायटी खाए-अघाए और लोकतंत्र से भागे हुए लोगों का समाज है। ये लोकतंत्र के फल खाना चाहते हैं लेकिन लोकतंत्र के लिए कुर्बानी देने को तैयार नहीं हैं।

अन्ना एक बात पर गंभीरता से सोचो यदि वोटर भ्रष्ट हो गया है और जैसा आप मानते हैं तो अब तक लोकतंत्र चल कैसे रहा है ? अन्ना क्या अमेरिका में लोकतंत्र की दोषरहित,मनी पावर रहित व्यवस्था है ? अन्ना आप जानते हैं लोकतंत्र कमजोर का अस्त्र है लेकिन इसकी कमाण्ड अभिजन और पूंजीपतियों के हाथों में है।

अन्ना आप कल्पना में रहते हैं लोकतंत्र कल्पना से नहीं चलता। लोकतंत्र महज नियमों से भी नहीं चलता। लोकतंत्र में जनता की शिरकत और लोकतांत्रिक संरचनाएं ही हैं जो उसे ताकतवर बनाती हैं। लोकतंत्र की धुरी है लोकतांत्रिक मनुष्य। आपकी सिविल सोसायटी और उससे जुड़े चिंतक अपने को डेमोक्रेट नहीं सुपर डेमोक्रेट समझते हैं।

मेरा सवाल है आप चुनाव में भाग क्यों नहीं लेते ? आपकी बात मानी जाए लोकतंत्र मनीतंत्र से मुक्त हो जाए तब क्या आप और सिविल सोसायटी वाले भाग लेंगे ? लोकतंत्र कैसा होगा यह इस बात से तय होगा कि भारत के लोग कैसे हैं ? लोकतंत्र में जैसा मिट्टी-पानी-सीमेंट लगाएंगे वैसा ही लोकतंत्र बनेगा। लोकतंत्र का कच्चा माल विदेश से नहीं आएगा,स्वर्ग से भी नहीं आएगा। यह काम मात्र चुनाव सुधारों से होने वाला नहीं है। लोकतंत्र मात्र चुनाव सुधार का मसला नहीं है। कितने भी चुनाव सुधार कर लिए जाएं पैसे की सत्ता बनी रहेगी।

पैसे की सत्ता ,भ्रष्टाचार आदि को खत्म करने का एक ही सुझाव है अन्ना जो किसी जमाने में मार्क्स ने दिया था व्यक्तिगत संपत्ति का खात्मा। अन्ना आप मार्क्स के इस सुझाव को मानेंगे ? जब व्यक्तिगत संपत्ति का स्वामित्व ही नहीं होगा तो संपत्ति से जुड़ी बहुत सारी बीमारियां भी नहीं होगी।

लेकिन मैं जानता हूँ अन्ना आपको मार्क्स से नफ़रत है। कम्युनिस्टों से घृणा है। आपको तो मोदी से प्यार है। आपके अनुसार मोदी ने ग्रामीण विकास के लिए सुंदर काम किए हैं । अन्ना हम जानना चाहते हैं नरेन्द्र मोदी ने कितने एकड़ जमीन गुजरात के भूमिहीन किसानों में भूमि सुधार कार्यक्रम के तहत वितरित की ? अन्ना इस मामले मे आप नीतीश कुमार से भी पूछ लें कि गांव के गरीबों को क्या उन्होंने फाजिल जमीन दी है ? अन्ना जरा एनडीए की सभी सरकारों से पूछें कि क्या उन्होंने भूमिसुधार कार्यक्रमों के तहत खेतिहर मजदूरों को जमीन दी है ? नहीं अन्ना नहीं। आप इतनी जल्दी अपने असली अभिजन रंग में सामने क्यों आ गए ?

अच्छा अन्ना बताओ हिटलर के विकास मॉडल पर आपके क्या विचार हैं ? मोदी ने गुजरात में जो किया है उसे किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जा सकता । मोदी का विकास मॉडल अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारहनन पर आधारित है। क्या आप ऐसे विकास मॉडल को पसंद करते हैं जहां अल्पसंख्यक आतंकित,असुरक्षित रहें ? उनके खिलाफ लगातार घृणा का प्रचार किया जाए ? अन्ना आप कभी गुजरात में हुए अल्पसंख्यक विरोधी हमलों के खिलाफ गुजरात में मोमबत्ती जुलूस लेकर क्यों नहीं निकले ? आपने गुजरात की हिंसा के खिलाफ आमरण अनशन का मन भी नहीं बनाया। अन्ना क्या गांधी ऐसे ही साम्प्रदायिकता से लड़े थे जैसे आप लड़ रहे हैं ?

अन्ना क्या यह बताने की जरूरत है कि आपने मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे ठिकानों पर राजठाकरे के दल के लोगों के जो बिहारियों पर विगत में जो हिंसक हमले किए थे उस समय आपने हिन्दीभाषियों के महाराष्ट्र में आने पर आपत्ति जतायी थी। आपकी मराठी अंधक्षेत्रीयतावाद के प्रति गहरी आस्थाएं हैं। आप मानते हैं महाराष्ट्र सिर्फ मराठियों के लिए है।

अन्ना आप कैसे बांधेगे देश को एकसूत्र में ? क्या इस देश को सिविल सोसायटी वाले एकजुट रखे हुए हैं ? क्या राजठाकरे और नरेन्द्र मोदी के विचारों के आधार पर नया भारत बनाना चाहते हैं ? अन्ना आप अच्छी तरह जानते हैं भारत को एकजुट बनाए रखने और लोकतंत्र को गतिशील बनाए रखने में 100 रूपये लेकर वोट देने वाले या शराब की बोतल लेकर वोट देने वाली अनपढ़-जाहिल जनता की केन्द्रीय भूमिका है। सिविल सोसायटी वाले कारपोरेट गुलामों और मीडियावीरों को तो भारत का सही में भूगोल और संस्कृति तक का ज्ञान नहीं है । वे बातों के वीर हैं।कर्मवीर नहीं हैं। सिविल सोसायटी आपके लिए ठीक हैं,लोकतंत्र के लिए नहीं।

अन्ना यह सही है आपने राजठाकरे और उनके दल की हिंसा का समर्थन नहीं किया लेकिन हिंसा करने वालों को दण्डित कराने के लिए भी आपने बयान तक नहीं दिया। यह भी सच है आपने मोदी की साम्प्रदायिक हिंसा का समर्थन नहीं किया लेकिन इतने भयानक गुजरात के दंगे देखकर भी आपकी आत्मा बेचैन नहीं हुई और मोदी और उनके लठैतों के खिलाफ आप गुजरात की सड़कों पर नहीं उतरे ? अन्ना आपने ऐसी कायरता क्यों दिखाई ? गुजरात के दंगाईयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को लेकर आपका दिल नहीं मचला ? लोकपाल बिल से ज्यादा दंगों में मारे गए आम आदमी की समस्या महत्वपूर्ण है अन्ना । दंगे सीधे मानवाधिकारों पर हमला है । मानवाधिकारों पर क्रूरतम हमलावर के रूप में मोदी को सारी दुनिया जानती है लेकिन आपने मोदी को ही श्रेष्ठ मुख्यमंत्री का खिताब दे दिया। मोदी के शासन में देवालय,मजार,मस्जिद,चर्च आदि सब पर हमले हुए। अन्ना नहीं यह नहीं चलेगा।

मोदी मानवाधिकार हनन का नायक है वह विकास पुरूष नहीं है। उसने गुजरात को साम्प्रदायिक आधार पर बांटा है और आप उसको आदर्श बता रहे हैं। अन्ना क्षमा करें मोदी गुजरात में आतंक का पर्याय है। अल्पसंख्यकों के मन और समाज को उसने तबाह किया है। आपको अल्पसंख्यकों की तबाही नहीं दिखाई दी,मेरे लिए इसमें आश्चर्य नहीं हुआ ।क्योंकि आप अपने तथाकथित सर्वजन प्रेम के मुहावरे पर चल रहे हैं। आप जिस भाव में हैं वह कम से कम गांधी का भाव नहीं है। अन्ना इस समय सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार करने वाले कारपोरेट घरानों के संगठन भी आपके साथ हैं। फिक्की से लेकर एस्सोचैम तक सभी ने आपका समर्थन किया है। मनमोहन से लेकर आडवाणी तक,माओवादियों से लेकर मोदीतक,ममता से लेकर माकपा तक भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल बिल के सवाल पर आपके साथ हैं और ये सभी राजनीतिक दल किसी न किसी बहाने कभी न कभी लोकपाल बिल को संसद में आने देने से रोकते रहे हैं।

अन्ना एक बात का जबाब जरूर दो क्या लोकतंत्र में पैसे के बिना चुनाव लड़ सकते हैं ? क्या अमेरिका-ब्रिटेन -जापान-जर्मनी में लोकतंत्र में पैसा खर्च होता है ? आप जानते हैं लोकतंत्र पैसातंत्र है। इसे लेकर आम जनता को आप कल्पना की लंबी उड़ानों में क्यों ले जा रहे हैं ? आपकी टीम में संतोष हेगडे साहब हैं, ये जजसाहब आरक्षण विरोधी फैसला देने के कारण नाम कमा चुके हैं। जिन श्रीश्री रविशंकर को आपने अनशन तोड़ते धन्यवाद दिया वे भी आरक्षण के विरोधी हैं। अन्ना ध्यान रहे सामाजिक न्याय के बिना लोकपाल बेकार है। लोकपाल पैसे की लूट को कुछ हद तक रोक सकता है लेकिन सामाजिक असमानता,खासकर जातिभेद तो सामाजिक कोढ़ है और इस भेद को कम करने का यदि कोई उपाय सुझाया जाता है तो आपके समर्थकों की तलवारें म्यान से बाहर निकल आ जाती हैं। अन्ना आपकी सिविल सोसायटी में दलितों और मुसलमानों के लिए कोई एजेण्डा है ? आप 60 सालों से इन समुदायों के बारे में खामोश क्यों हैं ?

– जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

 

15 COMMENTS

  1. आपने पालतू कुत्तों को देखा होगा जो दरवाजे पर आये साधु महात्मा को देखकर जोर जोर से भोंखते हैं और अपने मालिक को देख देख कर दिये गये टुकड़ो का मूल्य चुकाने का संकेत करते हैं । ऐसे ही कुछ लेखक भी हैं जो बड़ी बेशर्मी के साथ यह काम करते हैं। पर जनता सब जानती है इन्हें अधिक महत्व देने की आवश्यकता नहीं है।

  2. हो सके तो आप केवल अपना पहला नाम ही लिखे एक वेद का ज्ञान नहीं आपको चतुर्वेदी बने फिरते हैं, वामपंथियों ने इस संसार को जितना नुक्सान पहुंचाया है शायद विश्व-युद्धों ने भी नहीं,ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं वामपंथियों ने बंगाल में परिणाम आने से पहले ही हार मान ली है, धीरे ही सही दानवीय शक्तियों पर इंसानियत की जीत शुरू हो चुकी है,

  3. जगदीश्‍वर चतुर्वेदी,
    जब जब गोधरा होता रहेगा. गुजरात दोहराया जायेगा. आप जैसे लोग जो गोधरा को भूल जाते हैं उन्हें किसी की तरफ अंगुली उठाने का अधिकार नहीं है. सबसे पहले तो आप जैसे लोगों को फांसी देनी चाहिए क्योंकि आप के कार ही गोधरा और फिर प्रतिक्रिया मैं गुजरात होता है.

  4. No matter what leftists like Jagdishwar Chaturvedi and secularists likeMallika Sarabhai say, Shri Narendra Modi will continue to be a role model for people of Bharat and someone for other politicians to emulate.

    I salute Shri Anna Hazare for fearlessly praising Shri Narendra Modi. Truth can not be hidden and teh truth is that Modi has given a clean and corruption free administration to Gujrat.

  5. “अन्ना हजारे तुम इतने टेढ़े क्यों हो ?”
    =================================
    टेढ़ा होने की परम्परा तो इस देश की ही है। बाँके बिहारी भी तो बाँका ही था। बंकिम भी, बंकिम (बांका ही) कहलाता था। मैं तो मानता हूं, कि कुछ बांकपन (Fanaticism ) इस भ्रष्टाचारी परम्परा को नष्ट करने के लिए आवश्यक है।
    सीधे लोग तो चाटुकारिता में व्यस्त है; “अपनी अपनी सम्हालियो, जी, भाड में जाय देस” को चरितार्थ करते हुए। अण्णा जी आप टेढे ही “मन मोहन” बने रहिए।

  6. Jis satya ko aapne likha hai उसकी बित्तेर्नेस किसी se kaise chhup सकती hai…Par Aapne ek unkha satya kha …Hai aur chahe kitani bheed kyon na jut jaaye …Jo person Jameen se Juda nahin hain..Chahe किसी bhi parti ka kyon na ho..Aur main hoo ya koi aur Wo koi bhi samajik samasya nhi suljha sakta……Par Aap ko padhne ko aur use karyrup dene me aapka ek sahyogi…

  7. लाख प्रलाप चाहे कोई करे मोदी ने गुजरात को भारतीय नवुत्थान का प्रतीक banaya है गुजरात हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जरा बंगाल से तुलना कर के देख लीजिये

  8. आदरणीय सुरेश भाई आपकी टिप्पणी सटीक लगी है| इन वामपंथियों को इसी बात की मिर्ची लग रही है कि मोदी की तारीफ कैसे कर दी, यह तो जघन्य अपराध है| मोदी भी यही सोच रहे होंगे कि अन्ना फंस गए| इस विषय पर मुझे एक मेल मिला था जिसे लेख के रूप में मैंने अपने ब्लॉग पर लगाया| किसी कारणवश वह प्रवक्ता पर नहीं छापा गया| इसकी मुझे कोई शिकायत नहीं है| आपसे अनुरोध है कि आप उसे नीचे दिए गए लिंक पर पढ़ें|
    https://pndiwasgaur.blogspot.com/2011/04/blog-post_13.html

    भाई अभिषेक जी आपने बहुत ही तथ्यात्मक टिप्पणी की है| मै भी एक अभियंता हूँ अत: तथ्यों में विश्वास रखता हूँ| मुझे तो सीधी सीधी बात समझ में आती है, प्रोफ़ेसर साहब का यह साहित्यिक ज्ञान मेरी समझ के तो बाहर है| मेरा एक सहकर्मी जो कि मुस्लिम है वह भी मोदी पुराण गाता रहता है| मैंने जब उसे पूछा कि दुनिया तो यही समझती है कि वह मुसलामानों का हत्यारा है तो उसने मुझे बताया कि मेरे दो भाई गुजरात में रहते हैं| दोनों इंजिनियर हैं व वहीँ नौकरी करते हैं| उन्होंने बताया कि मोदी के गुजरात में योग्यता की मांग है, जाती या धर्म की नहीं| यहाँ बड़े बड़े उद्योगपति मुस्लिम हैं जो कि मोदी पुराण गाते रहते हैं| अब aur kya tathya chaahiye|
    मै भी raajasthan का nivasi हूँ aur ichchha है कि kaash यहाँ भी एक मोदी hota, aur यही kyon desh के kone kone में aaj मोदी की jarurat है|

  9. @डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ । 12 और 13 अप्रैल को प्रवक्‍ता पर तकनीकी काम चल रहा था। इसी क्रम में कुछ लेख तकनीकी प्रमुख से डिलीट हो गए थे, जिसका उन्‍हें ध्‍यान नहीं रहा। आपके द्वारा मेरी जानकारी में लाने से थोड़ी ही देर बाद इसे पुन: अपलोड कर दिया गया। चूंकि लेख का मूल पाठ मेरे मेल में सुरक्षित था, इसलिए इसे पुन: प्रकाशित कर दिया गया, परन्‍तु टिप्‍पणियां डिलीट हो गई। वैसे लेख के पुन: प्रकाशन से पहले ही अधिक टिप्‍पणियां आ रही हैं।

  10. मेरी छोटी बहन को उसके kolej vale shaikshik bhraman पर गुजरात ले गए थे ,वहा usako machali पकड़ने व् उसके पालन adi के बारे में बताया ,उसने मुझे पूरा समझाया मेरी समझ में खास कुछ नहीं आया सिवाय इसके की जिस उद्योग पति के प्लांट पर वे गए थे व् कुछ साल पहले बहुत गरीब था पर उसके पास एक विजन था वे चार bhae है उन्हों वहा के मुख्यमंत्री को एक भेट में समादुर व् मचलियो के बारे में अपने पैत्रिक व् व्यक्तिगत ज्ञान के बारे में बाते मुख्यमंत्री ने हाथो हाथ स्वीकृति dete हुवे उस पर shodh का prabandh करावा दिया उसका नतीजा था की कोस्टल एरिया में नव्रोजगर का srijan huva उसके लिए वो “गरीब-दलित” पूंजीपति मोदी का बहुत abhari था |
    मेने ये घटना क्यों लिखी???
    १.एक उचे पद पर बैठा आदमी इतना सरल है की सामान्य मछुवारे के सुझाव को न केवल मनाता है बल्कि उसे उतारता भी है.
    2.naye ज्ञान को तुरंत स्थानीय parivesh में dhal कर काम करना व् ऐसे काम करने वालो को बढावा देना yah मोदी ने kiya.
    ३.मोदी के पास एक सोच है एक plan है देश को आगइ बढ़ने का ,वो thoti bate नहीं karata ,वो अमीरों के पैसो को लुट कर गरीबो को देने के भुलावे नहीं देता.
    ४.वो राजनेतो की तरह जनता को आरक्षण का लोलीपोप नहीं देता है वो एसा माहोल तैयार करता है जहा हर एक को काम मिले,हर व्यक्ति mehanat कर आगे बढ़ सके.
    ५.खास बात यह है की उस के प्लांट में अपने जोधपुर से गए दो विद्यार्थी काम कर rahe थे किसी भी विचारधारा से दूर वो मुक्त कान्त से मोदी गुणगान करते है.

    अपने एक मित्र है बड़ोदा में एक कंपनी में काम करते है मेनेजर के बराबर के पद पर है विचारधारा कोई खास नहीं है परिवार पूरा कोंग्रेसी विचार का है मेरे से सम्पर्क था तो थोडा बहुत संघ वालो को देखा है भाजपा को गालिया बकते थे अभी पिछले दो सालो में जबसे बड़ोदा गए है tab से मोदी गुणगान करते है क्यों करते है??bola वहा के सरे युवा मोदी को ही चाहते है.क्यों चाहते है??हसते हुवे मुझे राजस्थान व् गुजरात की तुलना करने को कह कर चुप ho jate है ………….फिर batate है वहा की sadak,वहा की bijalai,pani,rojagar…………kya kahu jyada??

    मेरे एक mamere bhaiyya दूर कोस्टल ariya में एक tharamal प्लांट में siniyar engineer है kabhi भी rajaniti में dilchspi नहीं li सरे नेता chor है एक ये ही sidhant है lekin मोदी की बात कुछ or है kahana नहीं bhulate ,बात alag क्यों है???bole सफ़ेद कुरता पूरा saf है अभी भी……….

    ये अनुभव मेरे अपने परिवार व् दोस्त के है inako amubhav करने vale तो पार्टियों का nam भी नहीं जानते है यहाँ तक की राजस्थान का राज्यपाल kon है shayad ही pata ho rajniti से shuny पर अपने kshetr के safal ये लोग इन धुर्ष्ट राजनेतो,बुधिजिवियो व् जातिवादी लोगो से कही jyada pramanik व् satyvadi है …………………फिर भला मई व् मुझसे जुड़े सभी लोग क्यों is फर्जी मिडिया के bakvad में ulajhe???
    काश मोदी जैसा एक नेता अपने राजस्थान में भी एक होता………………….

  11. अन्ना जी से हमारी सहानुभूति है सेक्युलर प्रलाप शरु हो चूका है बंगाल को बर्बाद कर ये कम्युनिस्ट ताकते भारत को बर्बाद करना चाहती है लेकिन हिन्दू विचार अंगद की तरह चरण रोप कर khada है इन आसुरी कम्युनिस्ट व् जातिवादी ताकतों के हिलाए भी नहीं हिलेगा “चरण अंगद ने रखा है……..आ उसे कोई हिलाए…………dahakata ज्वालामुखी यह आ उसे कोई बुझाये……….”|पर अन्ना जी आप घबरयिगा मत इन को कोई नहीं पूछता है भारत में ,१३ राज्यों के मुख्यमंती,सरे सेक्युलर नेता,सरे जातिवादी संघटन,सारा कम्युनिस्म,सारा का सारा मिडिया,चुनाव योग,मा{दा}नवाधिकार aयोग,पाकिस्तानी जेहादी,अमेरिकी पासे से पालने वाले फर्जी ngo ओउर भी न जाने कौन कौन इन सब के सम्मिलित प्रयास भी मोदी का कुछ नहीं बिगड़ पाए |
    मोदी ने भारत के युवा को आशा दी है एक मंच दिया है कोई भी जागरुक युवा को उठा lo तो मोदी मोदी kahata है इन kam padhelikhe व्”सेक्युलारी chhap” logo से क्या डरना,ये भारत का भविष्य व् वर्तमान नहीं है मेरी अभियंत्रिकी करने वाले विद्यार्थियों व् अभियंताओ से बहुत बातचीत होती है जो देश का निर्माण करते है जिनके पास सभी प्रकार के आधुनिकतम डेटा मिल जाते है वे गुजरात की ग्रोथ के बारे में बताते है व् मुक्त कान्त से मोदी की प्रसंसा करते है इन akl के अन्धो को कौन समझाये की मोदी एक “निर्वाचित मुख्यमंत्री” है जिसे us संविधान ने ही बनाया है ओउर अन्ना को चुनोती देने वाले he कम्युनिस्ट देवो!!!! तुम खुद चुनाव जित कर बताओ………….ज्यादा मदद है तो गुजरात या राजस्थान में जित कर बताओ ………..बंगाल से आगे बढ़ने की कभी हैसियत है नहीं चुनावी राजनीति में ओउर चले है अन्ना को राजनीति का path padhane ,जो बंगाल समृध्तम tha ,जो बंगाल रामकृष्ण,vivekanand,aravind,रविन्द्र,बंकिम,सुभाष का बंगाल आज नक्सलवाद-मार्क्सवाद का अखाडा बना है खास बात यह है की dono की मा कम्युनिस्म ही है भारत के एक कोने पर गुजरात है एक पर बंगाल,एक समर्धि को agrsar है एक garibi की or,jabaki गुजरात की tulana में बंगाल की bhumi बहुत ज्यादा upajau है मोदी के ane से pahale tak गुजरात में pani की बहुत samsya thi जिसे pahale keshubhai ने fir मोदी ने बहुत had tak dur kiya है ……………………mai तो एक takaniki adami hu bina tathyo के बात नहीं karata व् मोदी का kam schamuch jordar है जो भी abhiynta है ओउर jisame soch है vo मोदी की tarif kiya bina नहीं rahega varana jhola chhap profesaro को क्या pata की takanik क्या होती है,faiktri क्या व् बांध क्या?????????????अन्ना द्वारा उनके गाँव में kiya gaya parivartan ही देख लेते तो सारा कम्युनिस्म उअत्र जाता जिसने हमारे प्रिय बंगाल का नाश kiya ……………aami chir vidrohi ashant………..abhi भी ashant ही है

  12. यदि अण्णा हजारे ने नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ न की होती, तो पता नहीं कितने लेखक(?) अपनी भड़ास निकालने से वंचित रह जाते… जब तक अन्ना ने मोदी की तारीफ़ नहीं की थी, तब तक सब कुछ ठीक था…

    लेकिन ओह अण्णा यह आपने यह क्या किया? न जाने कितने पेटों में दर्द पैदा कर दिया, न जाने कितने लोगों को सेकुलर उल्टियाँ करवा दीं… अण्णा आपको यह नहीं करना चाहिये था… 🙂

  13. श्री संजीव जी,
    आशा है कि आप कुशल होंगे|
    आज १३.०४.११ को मेरी जानकारी के अनुसार प्रवक्ता पर से निम्न दो लेख न जाने क्यों हटा दिए गए :-
    १-अन्ना हजारे तुम इतने टेढ़े क्यों हो ?
    २-ये है हमारे देश का धार्मिक चरित्र-दलित रिटायर हुआ तो रूम को गोमूत्र से धोया!
    इनके बारे में मैंने आपको फोन किया और एक पाठक ने टिप्पणी भी की हैं, इसके बाद आपने दोनों लेख तो प्रदर्शित कर दिए लेकिन इन लेखों पर की गयी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ अभी भी नदारद हैं| कृपया उन्हें भी दिखावें|
    आपका शुभाकांक्षी
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

  14. bahut umdaa guruji……..vastav men ye chhadm roop men BHAJPAAIYON ka dharna tha…anna to chehre-mohre ke roop aur anti-political icon ke roop men janta ko digbhramit karne ke lie aage laaye gaye the……jaise aksar aajkal RAAMDEV aage laaye jate han…

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