अन्ना ने दिया बहनजी-बुखारी को सिमरन व इक़रा से जवाब !

इक़बाल हिंदुस्तानी

आखि़रकार नेताओं की शतरंजी चालों से 12 दिन तक मौत और ज़िंदगी के बीच झूलते रहने के बाद अन्ना ने अपना अनशन दलित बच्ची सिमरन और मुस्लिम बच्ची इक़रा के हाथां जूस पीकर अपनी तीनों मांगे मनवाकर तोड़कर भी ख़त्म नहीं किया, बल्कि फिलहाल स्थगित किया है। अनशन उन्होंने आगे भी जारी रखने की बात कहकर राजनेताओं को दो टूक चेतावनी दे दी है। अन्ना की टीम पर लोकतंत्र से लेकर संसद तक की गरिमा और सर्वोच्चता को घटाने के आरोप लगे लेकिन फिर भी फक्कड़ समझे जाने वाले अन्ना, उनकी टीम और जनता ने हिंसक और उग्र न होकर एक बड़े लक्ष्य के लिये छोटी बातें सहन कर यह साबित कर दिया कि अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। यह केवल नारा नहीं एक सच्चाई है। अन्ना ने अपने भाषण में यह साफ भी कर दिया है कि यह जन की तंत्र पर पहली जीत है। अब यह संघर्ष यहीं रूकने वाला नहीं है। जैसा कि कांग्रेस के युवराज समझे जाने वाले कुटिल और चतुर राहुल गांधी ने संसद में कहा था कि भ्रष्टाचार एक कानून बनाने से ख़त्म होने वाला नहीं है। इसके लिये चुनाव आयोग जैसा एक स्वायत्तशासी आयोग बनाना पड़ेगा साथ ही कुछ और भी ठोस क़दम उठाने पड़ेंगे। युवराज से कोई पूछे कि जब वह यह जानते और मानते हैं कि भ्रष्टाचार इतना बड़ा भस्मासुर और राक्षस बन चुका है कि वह एक लोकपाल से काबू में नहीं आने वाला और आप यह भी मानते हैं कि हां देश की जनता भ्रष्टाचार से बेहद परेशान और तंग आ चुकी है तो फिर भी हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं? अगर अन्ना इस मुहिम को शुरू नहीं करते तो शायद अभी और चार पांच दशक तक लोकपाल ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहता। सत्ताधारी पार्टी का युवराज अगर भ्रष्टाचार से निबटने को कुछ नहीं करता और नज़र आगे पीएम बनने पर रखता है तो फिर कौन मुसीबत से छुटकारा दिलायेगा?

हालांकि अभी यह नहीं माना जा सकता कि सरकार, विपक्ष और अन्य दलों के सांसदों की नीयत वास्तव में जनलोकपाल जैसा सख़्त कानून बनाकर भ्रष्टाचार के दानव से जनता को निजात दिलाने की है लेकिन यह तय हो गया है कि अब संसद की सर्वोच्चता के नाम पर पार्टी हाईकमानों की मनमानी नहीं चलेगी। अब पांच साल का लूटने का लाइसंेस नहीं मिलेगा। जैसा कि अन्ना ने अनशन स्थगित करते हुए कहा है कि किसानों की समस्यायें, मज़दूरों की समस्यायें और गरीबों की दिक्कतें ख़त्म किये बिना हमारा अभियान ख़त्म नहीं होगा बल्कि यह एक पड़ाव है। अगला क़दम चुनाव साफ सुथरे और अच्छे लोगों को संसद में पहंुचाने का होगा। चुनाव में राइट टू रिजेक्ट और पांच साल की मनमानी रोकने को राइट टू रिकाल लाना होगा। शिक्षा और चिकित्सा की सुविधा ऐसी बनानी होगी जिससे गरीब और अमीर के बीच की खाई कम से कम हो सके। संविधान की मूल भावना को लागू करना होगा। पक्षपात, लूटखसोट और लालच पूंजी का गुलाम तंत्र बदलना होगा जिसके लिये लंबी लड़ाई चलेगी। अन्ना ने इतने दिन तक शांतिपूर्वक आंदोलन चलाने के लिये जहां जनता को बधाई दी वहीं विशेष रूप से युवाओं को अपने जोश का कारण बताया और सीख दी कि वे अगर मेरे नाम की टोपी पहनकर यह कहते हैं कि मैं अन्ना हूं तो त्याग और कथनी करनी एक करने के लिये भी तैयार रहना होगा।

इक़रा नाम की मुस्लिम बच्ची से जूस पीकर जहां अन्ना ने इमाम बुखारी जैसे एकमात्रा और अलग थलग पड़े कट्टरपंथी मौलाना को सही जवाब दिया वहीं सिमरन नाम की दलित बच्ची से जूस पीकर यह भी साबित किया कि वह न तो छुआछूत मानते हैं और न ही हिंदू मुस्लिम को बांटकर कोई साम्प्रदायिक खेल खेलना चाहते हैं। रामलीला मैदान में बड़ी तादाद मंे रमज़ान होने के बावजूद मुस्लिमों का पहुंचना पहले ही इस बात को साबित कर रहा था कि इमाम बुखारी की ज़हरीली बातों का किसी मुसलमान पर ज़र्रा बराबर भी असर नहीं हुआ। उूपर से वहां रोज़ा अफतारी और मगरिब की नमाज़ अदा होने से एक ऐसा संदेश गया जिसके बाद कुछ कहने सुनने की गुंजाइश ही नहीं रह जाती।

उधर बसपा सुप्रीमो बहन मायावती ने पहले अन्ना के आंदोलन का समर्थन करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख़्त कानून बनाने पर जोर दिया था। बाद में उनको इलहाम हुआ कि यह तो संसद के सर्वोच्च होने के रास्ते मंे बड़ी बाधा बन सकता है। साथ ही उनको यह भी लगा कि संसद संविधान से चलती है लिहाज़ा यह पूरा अभियान ही संविधन निर्माता माने जाने वाले डा0 भीमराव अंबेडकर यानी बाबा साहब के खिलाफ जा रहा है। फिर उनको पता लगा कि अन्ना की टीम में एक भी दलित और पिछड़ी जाति का सदस्य नहीं है। बस फिर क्या था, बहनजी ने समय रहते अपने इस स्टैंड से पलटी लगा दी। शायद इतना ही काफी नहीं था जो उन्होंने अन्ना जी को साथ ही यह भी सलाह दे डाली कि वे स्वयं चुनाव लड़कर संसद में जायें और अपनी मर्जी का जनलोकपाल बिल तब पास करायें।

बहनजी दलितों की कितनी हितैषी लगती हैं? यह तो अलग बात है लेकिन वे वास्तव में उनकी कितनी हमदर्द हैं यह बहस का विषय हो सकता है। यह ठीक ऐसी ही बात है जैसे कांग्रेस ने सच्चर कमैटी की रपट पर बहस छेड़कर मुसलमानों की सहानुभूति बटोरने की भरसक कोशिश की लेकिन जानकार लोगों को पता है कि मुसलमानों की यह हालत बनाने में खुद कांग्रेस का कितना हाथ है? साथ ही वह सच्चर कमैटी की एक तलवार भाजपा के हाथ में देकर आराम से तमाशा देख रही है, जबकि उसका इरादा इस रपट की सिफारिशों पर अमल करने का दूर दूर तक नज़र नहीं आता। ऐसे ही बहनजी आज यूपी में राज कर रही हैं। उनका दावा है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। यूपी का बच्चा बच्चा जानता है कि किस तरह पुलिस से लेकर सरकारी मशीनरी और यहां तक कि विधायकों से लेकर मंत्राी तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं। जिस बात को बहनजी अकसर अपनी उपलब्धि और कानून के राज की दुहायी के तौर पर इस्तेमाल करती हैं कि वे कई बड़े बसपा नेताओं,जनप्रतिनिध्यिों और सांसद व मंत्रियों तक को अपराध करने पर जेल की हवा खिला चुकी हैं, वही बात उनके खिलाफ यह भी साबित करती है कि उनके राज मंे अपराध और भ्रष्टाचार कहां तक पहुंच चुका है। यह अलग बात है कि प्रधनमंत्राी मनमोहन सिंह की तरह वे भी ऐसे मामलों में तभी कार्यवाही करती हैं जब इसके अलावा कोई चारा नहीं रहता है। क्या वे ऐसे लोगों को पार्टी की सदस्यता देते समय और टिकट बांटते समय नहीं जानती थीं? क्या लोग यह नहीं जानते कि बसपा में टिकट किस आधर पर बांटे जाते हैं? क्या विधयक बनने के बाद किसी को मंत्राी पद देते समय बहनजी यह जांच करती हैं कि उन एमएलए साहब का अपराधिक रिकॉर्ड और जनता में छवि कैसी रही है? क्या यह सच नहीं है कि बहनजी खुद ही प्रदेश में घूमकर यह मान चुकी हैं कि थाने नीलाम होते हैं। क्या मलाईदार पदों पर नियुक्ति और तबादलों के लिये मोटी रकम वसूल नहीं की जाती? क्या हाल ही में लखनउू में दो दो सीएमओ की जान इसी भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ गयी? क्या यूपी के किसी सरकारी कार्यालय में कोई काम बिना रिश्वत के होता है? यमुना एक्सप्रैस वे से लेकर गंगा एक्सप्रैस वे तक के लिये बिल्डरों से मिलकर कैसे किसानों की ज़मीनों पर क़ब्जा करके सरकारी कारिंदे मौज कर रहे हैं, इसपर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जो टिप्पणियां कर चुके हैं उसपर उंगली उठाने की और गुंजायश कहां बचती है?

एक तरफ बहनजी केंद्र में यूपीए को सपोर्ट करती हैं तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार पर अन्ना के साथ खड़े होने का ढोंग करती हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि बाद में अन्ना के खिलाफ़ बहनजी ने संेटर के इशारे पर ही इमाम बुखारी तरह मोर्चा खोला हो जबकि अन्ना का आंदोलन सफल होने पर सबसे अधिक लाभ दलितों को ही होगा,क्या यह बात बहनजी नहीं जानती हैं? या फिर यह माना जाये कि बहनजी यह हकीकत समझ गयी हैं कि अगर भ्रष्टाचार सचमुच ख़त्म होने लगा तो वह खुद इस जनलोकपाल का सबसे बड़ा शिकार हो सकती हैं।

0 मैं वो साफ़ ही न कहदूं जो है फ़र्क़ तुझमें मुझमें,

तेरा ग़म है ग़म ए तन्हा मेरा ग़म ग़म ए ज़माना।।

संपर्क-9412117990,बांसमंडी,नजीबाबाद-246763 यूपी

 

Previous articleकहो कौन्तेय-२२
Next articleअन्ना बचना इन विभीषणों से
इक़बाल हिंदुस्तानी
लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

2 COMMENTS

  1. जब मायावती अन्ना हजारे को चुनाव लड़ने की चुनौती देरही थी तो उनको शायद यह मालूम नहीं था की आज अन्ना हजारे भारत के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत सकते हैं,पर उसमे भी मायावती के लिए कोई खतरा नहीं है.पहले तो वे चुनाव लड़ने वाली चुनौती स्वीकारेंगे नहीं,अगर स्वीकार कर भी लिए तो उनको आरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने को मिलेगा नहीं. अतः मायावती को अपने लिए कोई चुनौती तो है नहीं.

  2. युवराज से कोई पूछे कि जब वह यह जानते और मानते हैं कि भ्रष्टाचार इतना बड़ा भस्मासुर और राक्षस बन चुका है कि वह एक लोकपाल से काबू में नहीं आने वाला और आप यह भी मानते हैं कि हां देश की जनता भ्रष्टाचार से बेहद परेशान और तंग आ चुकी है तो फिर भी हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं? …. बहुत ही बढ़िया तथ्यों पर आधारित सन्देश !!!!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here