अन्ना का आंदोलन इस्लाम विरोधी : बुखारी

नयी दिल्ली, २२ अगस्त (हि.स.)। जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे की मुहिम को मिल रहे जन समर्थन और सफलता के बीच जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने मुसलमानों से अन्ना के आंदोलन से दूर रहने को कहा है। उनका कहना है कि अन्ना का आंदोलन इस्लाम विरोधी है क्योंकि इसमें वंदे मातरम और भारत माता की जय जैसे नारे लग रहे हैं। बुखारी ने अन्ना के आंदोलन को मिल रहे फंड के बारे में सवाल उठाया और आरोप लगाया कि अन्ना आरएसएस और भाजपा के साथ मिले हुए हैं और राजनीति कर रहे हैं।

इस्लाम मातृभूमि और देश की पूजा में विश्वास नहीं करता

बुखारी ने कहा, ‘ इस्लाम मातृभूमि और देश की पूजा में विश्वास नहीं करता है। यह उस मां की पूजा की पूजा को भी सही नहीं ठहराता, जिसके गर्भ में बच्चे का विकास होता है। ऐसे में इस्लाम इस आंदोलन से कैसे जुड़ सकते हैं, जो इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इसीलिए मैंने मुसलमानों को इस आंदोलन से दूर रहने को कहा है।’ उनका कहना है कि देश के लिए करप्शन से बड़ा मुद्दा सांप्रदायिकता है और देश को इससे ज्यादा खतरा है। उन्होंने कहा, ‘ अगर अन्ना इस आंदोलन में सांप्रदायिकता को भी मु्द्दा बनाते हैं, तो मैं इस बारे में आश्वस्त हो सकता हूं। ‘

बुखारी के इस आह्वान के बाद वंदे मातरम पर विवाद एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है। गौरतलब है कि देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम, देवबंद ने रविवार को कहा था कि वह गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे के साथ है, लेकिन एक शिक्षण संस्थान के रूप में उनके आंदोलन का समर्थन नहीं कर सकती। दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने अन्ना का समर्थन किया है। ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रमुख शाइस्ता अंबर ने भी कहा है कि उनका संगठन अन्ना के आंदोलन का समर्थन करता है।(अवनीश)

17 COMMENTS

  1. आदरणीय आर.सिंह जी ,
    आपने सही कहा है ,कही न कही बुखारी जी की दुकान भी तो इसी कांग्रेस की देन है तो बुखारी जी भी लाभार्थी तो हे ही .

  2. आदरणीय अनिल जी ,नमस्कार
    आप के विचार जाने ,जो बाते आपने इनके पूर्वजो के बारे में बताई है यही सब बाते परम पूज्य स्वामी रामदेव जी भी अपने उदबोधनो में कहते आ रहे है की हम सब के पूर्वज एक ही थे ,खून एक ही है ,तो फिर ऐसा क्या है जो हम एक नहीं हो पाते या एक तरह की सोच नहीं रखते .पतंजली योग पीठ ,हरिद्वार में ९ aug से १३ aug के बीच एक मंथन शिविर में दक्षिण भारत से आये एक विद्वान के विचार सुनने का अवसर मिला ,उनका कहना है कि हम सब का धरम एक ही है मजहब अलग-अलग हो सकते है क्योकि धरम का मतलब जीवन -पद्धति से है और मजहब का अर्थ पूजा पद्धति से.लेकिन सरकारों ने तो धरम का अर्थ हिन्दू मान लिया और मजहब को मुसलमान से जोढ़ दिया .शायद इसी लिए देश को धरम निरपेकछ घोषित कर दिया (यानि धरम के बिना)

  3. आपकी कविता ज्ञान वर्धक है | आशा है बुखारी जी को समझने मे आसान होगी |

  4. आल इंडिया मुस्लिम वोमेन पर्सनल ला बोर्ड अध्यक्ष शाईस्ता अम्बर ने जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी के बयान को अनुचित बताते हुए सभी मुसलमानों से इस आन्दोलन का समर्थन करने की अपील की है.

  5. ऐसे कल मैंने रामलीला मैदान में देखा की मंच पर उन्ही के धर्मावलम्बियों का दो बजे के बाद बोलबाला रहा और वे बीच बीच में बुखारी साहब को भी आड़े हाथों लेते रहे .भीड़ में भी मुस्लिमों की संख्या अच्छी खासी दिखी. पता नहीं उन्होंने बुखारी साहब का कहना क्यों नहीं माना. ऐसे भी वन्दे मातरम और भारत माता की जय से आप अपने धर्मानुसार परहेज कर सकते हैं,पर अगर आप या आप जिनके रहनुमा बनने का दावा करते हैं वे यदि भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं तो भाग लीजिये पर वह नारमत लगाइए. यह्दूसरी बात है की हो सकता है बुखारी साहब भी भ्रष्टाचार से लाभान्वित होने होने वालों में से हों.फिर भी वे यह क्यों भूल जाते हैं की जब इतने बड़े जन आन्दोलन को बीजेपी या आर.एस.एस. की देन मानते हैं तो वे अपने ही जाल में उलझ कर रह जाते हैं.बीजेपी या आर.एस.एस. के सबसे बड़े दुष्प्रचारक बुखारी जी जान बूझ कर तो ऐसा कर नहीं सकते पर उनको पता नहीं की वे अनजाने में एक बड़ी भूल कर बैठे हैं बीजेपी और आर.एस.एस. को उनके द्वारा इस प्रचार के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए.

  6. मधुसुदन जी की कविता पर एक और कविता याद आ गयी जो नीरज ने इमरजेंसी से पहले मीसा के ऊपर लिखी थी. कुछ पंक्तियाँ याद रह गयी जो इस प्रकार हैं ” फूलों की आँखों में आंसू, उतरा है रंग बहारों का; लगता है आने वाला है मौसम फिर से अंगारों का…… आतंरिक सुरक्षा के दर से बुलबुल ने गाना छोड़ दिया, गोरी ने पनघट पर जाकर गागर छलकाना छोड़ दिया…..”

  7. हे देशबंधु बुखारी मधु भाई की कविता से भारत देश एवं स्वयं को समझये | जय हिंद

  8. अन्ना हजारे जी के इस आन्दोलन में देश के किसी भी उद्योगपतियों का समर्थन न आना इस बात को पुख्ता करता है की भ्रष्टाचार की जड़ को पानी देने का काम यही से होता है ………

  9. प्रो. मदुसुदन जी की विद्वत्तापूर्ण और रोचक कविता पढ़ कर याद आ गया की जब मैं विशारद में पढ़ता था तो एक संस्कृत विद्वान ने जानकारी दी कि अमर कोष में माँ के प्रयायवाची शब्दों हैं…अम्बा, अल्ला, अक्का, अम्बालिका अदि. तो फिर मुस्लिम भाईयों का ”अल्ला” शब्द भी तो संस्कृत से उधार लिया हुआ है.

    • Rajeshji बोहुत दुःख hu आप ka comment padhne के बाद आप जैसे लोगो ne bharat ko इस जगह पंहुचा दिया हे. ab kuchh नहीं bacha jo bhashao ko भी baatne lage. sanskrit hindu ko जागीर हे aur urdu muslim की. koi khaas फर्क नहीं हे आप i aur bukhari की soch me . सहमे on थी थिंकिंग ये भी bta दीजिये की आप jo kuchh ayurvedik ilaaj बताते हे वो हिन्दुओ के लियe हे ya musalmaan भी use kar सकते हे. कभी aisa तो नही की बूटिय musalmaano ko laabh na पहुचाये.

  10. बुखारी जैसे कुछ सिरफिरे लोगों के कारन ही पूरा मुस्लमान समाज संदेह के घेरे में आ जाता है. बुखारी जैसे लोग कभी नहीं सुधरेंगे. लेकिन जिस दिन इस देश में मजबूत हिन्दू साशन स्थापित हो जायेगा येही बुखारी अपनी वंशावली ढूँढकर लायेंगे और जमा मस्जिद के शीर्ष पर चढ़कर ये ऐलान करेंगे की उनके नाना का दादा का दादा फलां मंदिर का पुजारी था और वो तो अब भी वाही पुजारी का काम कर रहे हैं. जैसा की कुछ वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर मरहूम कुंवर महमूद अली जी ने कहा था जब वो उज्जैन में देवी के प्राचीन मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा की मुस्लमान होकर भी आप मंदिर में क्यों जा रहे हो तो उन्होंने जवाब दिया की ये मंदिर यहाँ के परमार राजपूत राजाओं की कुलदेवी का मंदिर है और मैं परमार राजपूत राजाओं का वंशज हूँ अतः नैन तो अपने पूर्वजों के कुलदेवी के मंदिर के हालत का जाएजा लेने आया हूँ. उस समय मध्य प्रदेश में भाजपा के सुन्दरलाल पटवा की सर्कार थी. वैसे जिस दिन बुखार साहब दिल्ली में अपना ऐलान कर रहे थे उसी दिन मेरठ में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष मीर हसन ने अन्ना के आन्दोलन के समर्थन का ऐलान किया.प्रतिष्ठित इस्लामिक विद्वान् मौलाना वहीदुद्दीन तथा इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी इसे देश हित में बताया है.आल इंडिया उलेमा कोंसिल के महासचिव महमूद दर्याबादी ने बुखारी की अपील को निजी विचार बताया है उन्होंने व्यंग करते हुए कहा की बुखारी एक बादशाह द्वारा बनवाई गयी मस्जिद के शाही इमाम हैं उनका साधारण मुसलमानों के विचारों से कोई मतलब या वास्ता नहीं है. हाकर मोहम्मद इरफ़ान ने भी अन्ना का समर्थन किया. मुम्बई में मुस्लिम एन जी ओ के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को क्रेफोर्ड मार्केट से आजाद मदन तक रेल्ली निकलने का ऐलान किया.महारष्ट्र उर्दू लेखकों के गिल्ड ने बुखारी के गुमराह करने वाले बयान के लिए उसकी निंदा की. उन्होंने ये भी कहा की वन्देमातरम व भारत माता कीजै के नारे केवल वतन के वास्ते मुहब्बत दर्शाने का तरीका हैं.मुस्लमान मादरेवतन की इबादत बेशक न करते हों लेकिन मादरेवतन के लिए उनका जज्बा व मोहब्बत किसी से कम नहीं है. बुखारी अनावश्यक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को मजहबी रंग दे रहे हैं, गिल्ड के अध्यक्ष सलाम बिन रजाक ने कहा.असल में अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो के मंत्र को अपने कांग्रेसी उत्तराधिकारियों को अच्छी तरह से पढ़कर गद्दी सौंपी थी जिसके कारन आजादी के बाद से जब भी कोई देश को जोड़ने का काम होता है कांग्रेसी अपना रंग दिखाना शुरू कर देते हैं और अपने एजेंटों के जरिये फूट डालने के प्रयास में जुट जाते हैं . सबने देखा है की आन्दोलन स्थल पर मुसलमानों के रोजा इफ्तारी तक का पूरा इन्तेजाम किया गया है. कभी स आन्दोलन को बाबासाहेब आंबेडकर के अपमान का नाम लेकर तोड़ने का प्रयास किया जाता है. दलित लेखकों का अपना अलग “ब्रेकिंग इंडिया” अभियान चलता रहता है. लेकिन सबसे अच्छी बात ये है की आम आदमी पर इनका कोई असर नहीं हो रहा है. यदि आम आदमी की ये जाग्रति टिक सकी तो ये देश के लिए संजीवनी बन सकेगी.उधर लखनऊ में भी शिया चाँद कमिटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने भी कहा है की भ्रष्टाचार विरोधी लडाई में अवाम के साथ उलेमाओं का भी पूरा समर्थन है. ईदगाह के नायब इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भ्रष्टाचार विरोधी इस लड़ाई का समर्थन करते हुए कहा की देश से भ्रष्टाचार ख़त्म होना चाहिए. इसलिए जो इसकी लड़ाई लडेगा उलेमा उसके साथ हैं.आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त से सख्त कानून लागू करना होगा.

  11. मधुसूदन –॥बुखारी जी से॥
    (कविता)
    आप की नमाज में “नम” धातु, है, “देव वाणी” का।
    और “आमीन” हमारे ॐ का अपभ्रंश है।

    “बिरादर” आपका, हमारा “भ्रातर” है।
    “कारवाई” आपकी, हमारी “कार्यवाही” है।

    मोहबत में भी मोह (प्रेम) भी तो, उधार हमारा है।

    मक्का करते ही हो ना प्रदक्षिणा,
    और काबा का पत्थर शालिग्राम है।

    “मस्ज़िद” में “मस्ज” धातु यह मज्जन है।
    “धोकर साफ़ करने” के अर्थ वाला,
    प्रवेश पर “वज़ु” करते ही हो ना?

    माँ को जब पुकारते हो “अम्मा”
    वह “अम्बा” भी है, देव वाणी का,
    “अम्बा माता”
    तो क्या माँ को अम्मा पुकारना बंद करोगे?

    क्यों डरते हो? इस वतन को , वंदन करते?
    क्यों डरते हो “वन्दे मातरम” कहते?

    हम मरेंगे, तो राख हो जाएंगे।
    जल जाएंगे, खाक़ हो जाएंगे।
    ऊड जाएंगे हवाओ में, चहुं ओर फैल जाएंगे।
    अथवा जल में बह जाएंगे।

    आप तो इस धरती में ही गड जाओगे,
    युगो युगों तक,
    कयामत तक,
    चैनकी नींद सोओगे।

    जिस धरती में सोओगे,
    दाना, पानी, आसरा ले ज़िंदगी जियोगे
    ???????? क्या क्या कहें?
    जिस “डाल” पर बांधा घोंसला ?
    उसी को काटने वाले को क्या कहोगे?

  12. बुखारी बेपेंदी का लोटा है। यह श्ख्स जेपी आन्दोलन का भी विरोधी था। आपत्‌ काल में जब संजय गांधी ने इसे जामा मस्जिद के सामने खाट में बांध के पिटवाया, तब इनके ज्ञान के कपाट खुले। इमरजेन्सी के बाद इन्होंने आर.एस.एस. के स्वयंसेवकों के साथ ईद भी मनाई। बाद में फिर अगले चुनाव में इन्दिरा गांधी ने इन्हें पटा लिया और इन्होंने कांग्रेस के पक्ष में फ़तवा जारी किया। बुखारी पर मुस्लिम समाज भी ऐतबार नहीं करता। सारे देशभक्त मुसलमान अन्ना की क्रान्ति से जुड़े हैं। मैं काशी मे नित्य ही जुलुसों और धरना-प्रदर्शन तथा क्रमिक अनशनों में भाग लेते हुए सैकड़ों मुसलमानों को देखता हूं। बुखारी का यह वक्तव्य मुसलमानों को बदनाम करने के लिए दिया गया है। इसकी जितनी निन्दा की जाय, कम होगी।

  13. जिन्नाह जाते जाते कुछ अपने शैतान यंहीं पर छोड़ गया था. ..बुखारी साहेब भी उन्ही में से एक हैं.

  14. एक धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी राष्ट्रीय आन्दोलन इस्लाम के अनुसार नहीं चलाया जा सकता न ही हिंदुत्व के अनुसार न ही वामपंथियों के अनुसार न ही दक्षिणपंथियों के अनुसार
    आपको वन्दे मातरम पसंद न हो आप इन्कलाब जिंदाबाद के नारे लगाये
    मूल बात ये है की जिस मुद्दे के लिए आन्दोलन हो रहा है वो सांप्रदायिक नहीं है न ही उसे चलाने वाले इसलिए अगर साथ देना है तो दे न देना हो तो न दे कह दे की हम भ्रष्टाचार के साथ है

  15. बुखारी जैसे कुछ सिरफिरे लोगों के कारन ही पूरा मुस्लमान समाज संदेह के घेरे में आ जाता है. बुखारी जैसे लोग कभी नहीं सुधरेंगे. लेकिन जिस दिन इस देश में मजबूत हिन्दू साशन स्थापित हो जायेगा येही बुखारी अपनी वंशावली ढूँढकर लायेंगे और जमा मस्जिद के शीर्ष पर चढ़कर ये ऐलान करेंगे की उनके नाना का दादा का दादा फलां मंदिर का पुजारी था और वो तो अब भी वाही पुजारी का काम कर रहे हैं. जैसा की कुछ वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर मरहूम कुंवर महमूद अली जी ने कहा था जब वो उज्जैन में देवी के प्राचीन मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा की मुस्लमान होकर भी आप मंदिर में क्यों जा रहे हो तो उन्होंने जवाब दिया की ये मंदिर यहाँ के परमार राजपूत राजाओं की कुलदेवी का मंदिर है और मैं परमार राजपूत राजाओं का वंशज हूँ अतः नैन तो अपने पूर्वजों के कुलदेवी के मंदिर के हालत का जाएजा लेने आया हूँ. उस समय मध्य प्रदेश में भाजपा के सुन्दरलाल पटवा की सर्कार थी. वैसे जिस दिन बुखार साहब दिल्ली में अपना ऐलान कर रहे थे उसी दिन मेरठ में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष मीर हसन ने अन्ना के आन्दोलन के समर्थन का ऐलान किया.प्रतिष्ठित इस्लामिक विद्वान् मौलाना वहीदुद्दीन तथा इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी इसे देश हित में बताया है.आल इंडिया उलेमा कोंसिल के महासचिव महमूद दर्याबादी ने बुखारी की अपील को निजी विचार बताया है उन्होंने व्यंग करते हुए कहा की बुखारी एक बादशाह द्वारा बनवाई गयी मस्जिद के शाही इमाम हैं उनका साधारण मुसलमानों के विचारों से कोई मतलब या वास्ता नहीं है. हाकर मोहम्मद इरफ़ान ने भी अन्ना का समर्थन किया. मुम्बई में मुस्लिम एन जी ओ के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को क्रेफोर्ड मार्केट से आजाद मदन तक रेल्ली निकलने का ऐलान किया.महारष्ट्र उर्दू लेखकों के गिल्ड ने बुखारी के गुमराह करने वाले बयान के लिए उसकी निंदा की. उन्होंने ये भी कहा की वन्देमातरम व भारत माता कीजै के नारे केवल वतन के वास्ते मुहब्बत दर्शाने का तरीका हैं.मुस्लमान मादरेवतन की इबादत बेशक न करते हों लेकिन मादरेवतन के लिए उनका जज्बा व मोहब्बत किसी से कम नहीं है. बुखारी अनावश्यक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को मजहबी रंग दे रहे हैं, गिल्ड के अध्यक्ष सलाम बिन रजाक ने कहा.असल में अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो के मंत्र को अपने कांग्रेसी उत्तराधिकारियों को अच्छी तरह से पढ़कर गद्दी सौंपी थी जिसके कारन आजादी के बाद से जब भी कोई देश को जोड़ने का काम होता है कांग्रेसी अपना रंग दिखाना शुरू कर देते हैं और अपने एजेंटों के जरिये फूट डालने के प्रयास में जुट जाते हैं . सबने देखा है की आन्दोलन स्थल पर मुसलमानों के रोजा इफ्तारी तक का पूरा इन्तेजाम किया गया है. कभी स आन्दोलन को बाबासाहेब आंबेडकर के अपमान का नाम लेकर तोड़ने का प्रयास किया जाता है. दलित लेखकों का अपना अलग “ब्रेकिंग इंडिया” अभियान चलता रहता है. लेकिन सबसे अच्छी बात ये है की आम आदमी पर इनका कोई असर नहीं हो रहा है. यदि आम आदमी की ये जाग्रति टिक सकी तो ये देश के लिए संजीवनी बन सकेगी.

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