सरकारी लाभ से वंचित हैं राम बत्ती देवी।

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नुरसबा खातुन

 

“कुछ साल पहले पड़ोस के लोगो के साथ किसी बात पर झगड़ा होने के कारण मेरें पति को गंभीर चोट आई और बहुत कोशिशों के बाद भी हम उनको बचा नही पाएं”। ये वाक्य हैं बिहार के सीतामढ़ी जिले से 35 किलोमीटर दूर बसे कुशैल गांव में रहने वाली 35 वर्षिय महिला राम बत्ती देवी का। जो पिछले कई सालो सें पति के देहांत के बाद अपने बुढ़ें सास ससुर और बच्चों की देखभाल कर रही हैं।

पति के बिना किस तरह घर चल पा रहा इस बारे में राम बत्ती देवी कहती है “आसान तो बिल्कुल भी नही 4 बच्चे, और बुढ़े सास ससुर जो मेरें माता पिता के समान हैं सबको संभालने मे शुरु शुरु मे बहुत दिक्कत उठाईं हुँ। हम आजो नही भूलने बानी जब अचानक एक छोटी सी बात पर पड़ोस में उनका झगड़ा हो गया, उनको बहुत चोट आई थी हम लोगन जल्दी जल्दी उन्हें पुपरी के सरकारी अस्पताल तक ले गए। वहां जाने पर डॉक्टर बोला कि पटना ले जाईब तबही इलाज हो सकता है। पैसा तो ज्यादा था नही लेकिन जैसे तैसे जल्दी जल्दी सब प्रबंध किये और जब पटना के लिए जा रहे थें तो रास्ते में ही उ मर गईल। और सबकुछ खत्म हो गया। तबसे बड़ी मुश्किल से हम सबकुछ संभाल रही हूँ।“

कितने बच्चें हैं आपको और सब क्या करते हैं। “दो बेटा और दो बेटी”  राम बत्ती देवी ने जवाब दिया। एक- एक पैसा जोड़ कर कुछ दिन पहले किसी तरह बड़ी बेटी के शादी किए हैं। अभी बड़ा बेटा मजदूरी करता है उसी से घर चलता है। ओह तो कितना कमा लेता है महिने का? पूछने पर राम बत्ती कहती हैं “महिने का कहां रोज का कभी 200 कभी 300 ऐसे ही चलता है। और बाकी बच्चे क्या करते हैं?  “छोटा बेटा और बेटी दोनो पास के सरकारी स्कूल में पढ़ने जात है। दोनो को पढ़ने का खुबे शौक है इसलिए हम भी कुछ बोलती नाही। सोंचते हैं तनिक पढ़ लिख लें ता कुछ बन जाइबे। कुछ कमा पाई। आप भी कोई काम करती हैं? “न हम तो पढ़े लिखे हैं नाही और सास- ससुर को छोड़ के कहां काम करे जाईबे। यहां कोई काम भी न मिलत है। हां कुछ कर पाते तो घर चलाना आसान हो जाता”।

तो आपको विधवा पेंशन तो मिलता होगा न? जैसे ही ये सवाल राम बत्ती से किया उन्होने गुस्से में कहा “कहां कुछ मिले है न हमका विधवा पेंशन, न ससुर को वृद्धा पेंशन बी पी एल तक में हमरे परिवार का नाम नाही है”। क्यों ऐसा क्यों क्या आपने अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नही बनवाया? ये शब्द सुनते ही वो कहती है रुकीये अभी दिखाते हैं और बक्से से जल्दी से ढ़ुढ़ कर पति का मृत्यु प्रमाण पत्र निकालती है और दिखाते हुए कहती है “ये देखिये यही है “? इ तो हम बनवा लिए हैं किसी तरह फिर भी नही मिल रहा विधवा पेंशन”।

क्या आपको मालुम है विधवा पेंशन लेने के लिए सबसे पहले बीपीएल में आपका नाम होना चाहिए। बिना बीपीएल के आपको न तो विधवा पेंशन मिल सकता है न ही आपके ससुर को वृद्धा पेंशन। साथ ही बैंक मे खाता भी खुलवाना पड़ता है। आपके पास आधार कार्ड भी होना चाहिए, और आपकी एक फोटो भी। फिर सभी प्रमाण पत्र की छायाप्रति के साथ ही आप किसी तरह का आवेदन प्रखंड विकास पदाधिकारी के दफ्तर में दे सकती है और आपको उससे लाभ मिल सकता है नही तो मात्र मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लेने से ही आपको विधवा पेंशन मिलने लगेगा ऐसा बिल्कुल भी नही है। सबसे पहले आप ये सब काम करवाईए फिर गांव के किसी पढ़े लिखे व्यक्ति से मिलकर आवेदन भरवाईए। तब  गांव के मुखिया या वार्ड पार्षद से आवेदन पर सिफारिश लिखवाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी के दफ्तर मे आवेदन दिजिए। साथ में अपना एक स्थाई मोबाईल नंबर भी देना होगा जिस पर आवेदन स्वीकार होने के बाद मैसेज आता है और फिर हर महिने विधवा पेंशन की राशि आपके खाते मे आएगी। इतना कुछ करने के बाद ही आप इन सारी सुविधाओं का लाभ उठा सकती हैं।

मेरी बाते सुनकर वो दंग रह गई हैरानी से उन्होने कहा “नही हमनी के ता इ सब पता नाही था। पढ़े लिखे तो हैं नही और गांवो मे भी कोई मदद नही करता है जो चारो पांचो गो पढ़ल लिखल लोग है। गरीब के कौन पुछता है बाबु”।

राम बत्ति देवी की स्थिति तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है हमारे समाज मे हर गली मुहल्ले में ऐसी कई महिलाएं हैं जो बुरे से बुरे समय में अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से किसी तरह घर परिवार तो संभाल लेती हैं परंतु अशिक्षित और जागरुक न होने के कारण सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने आस-पास मौजुद ऐसे लोगो की मदद को आगे आंए, अगर हम शिक्षित हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी रखते हैं तो उसे दुसरो के साथ साझा भी करे ताकि शिक्षित होने का कुछ कर्तव्य तो निभा पाएं।

1 COMMENT

  1. हमारे देश में न जाने कितनी राम बत्ती देवी हैं जो इस से भी खराब जीवन जी रही हैं – गरीब का कोई नहीं है इस युग में – नेता लोग भाषण करना खूब जानते हैं

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