गिरफ्तारी के बाद के सवाल

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yasin bhatkalअरविंद जयतिलक

प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आर्इएम) का सह-संस्थापक यासीन भटकल और आर्इएम के एक अन्य आतंकी असदुल्ला अख्तर की गिरफ्तारी भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए बड़ी कामयाबी है। एक अरसे से सुरक्षा एजेंसियां यासीन भटकल को गिरफ्तार करने की कोशिश में जुटी थी। लेकिन वह हर बार चकमा देने में सफल हो जाता था। लेकिन 600 से अधिक निर्दोश लोगों का हत्यारा आखिरकार नेपाल सीमा पर पकड़ ही लिया गया। 50 से अधिक आतंकी वारदातों में शामिल यह बहुरुपिया इंडियन मुजाहिदीन का आपरेशनल हेड है और कर्इ नामों से जाना जाता है। 2007 के बाद देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुर्इ हैं उन सभी में इसकी संलिप्तता रही है। इसने कबूल भी किया है कि दिल्ली, पुणे और बंगलुरु बम धमाकों में वह शामिल रहा है। उसने यह भी खुलासा किया है कि इंडियन मुजाहिदीन का कार्यालय करांची में है और वह 2009 में करांची में आइएसआइ के बड़े अफसरों से मिला था। उसकी मानें तो उसका भार्इ रियाज और इकबाल भटकल आज भी आइएसआइ के संरक्षण में हैं। गौरतलब है कि रियाज भटकल, इकबाल भटकल और आमिर रजा खान आइएसआइ की मदद से इंडियन मुजाहिहदीन के लिए फंड और संसाधन जुटाने का काम करते हैं और यासीन उसका इस्तेमाल करता है। यासीन के खुलासों से स्पष्ट है कि इंडियन मुजाहिदीन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के हाथों की कठपुतली बन चुका है और उसी के इशारे पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। हालांकि देखा जाए तो यासीन का खुलासा कोर्इ नया नहीं है। इसलिए कि देश-दुनिया के सामने पहले ही उजागर हो चुका है कि इंडियन मुजाहिदीन आइएसआइ की ही पैदाइश है। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद उसके ही सदस्यों के बूते उसने इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना की। उसने इस संगठन को कराची प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया। पाकिस्तान का मकसद भारत के स्थानीय लोगों का इस्तेमाल कर आतंक का खूनी खेल खेलना था। आइएसआइ की इस कराची प्रोजेक्ट का खुलासा मुंबर्इ आतंकी हमले का आरोपी डेविड कोलमैन हेडली पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समक्ष कर चुका है। पाकिस्तान भटकल बंधुओं के अलावा आमिर रजा खान, अब्दुस सुभान कुरैषी, मुफ्ती सुफियान, अबू अयमान और मोहसिन चौधरी जैसे आतंकियों को भी शरण दिए हुए है। मौंजू सवाल यह है कि यासीन की गिरफ्तारी आतंक से निपटने में भारत के लिए कितना मददगार साबित होगा? क्या सुरक्षा एजेंसियां देश और पाकिस्तान में छिपे इंडियन मुजाहिदीन के सैकड़ों सक्रिय सदस्यों को पकड़ने में कामयाब होंगी? क्या उन राष्ट्रद्रोहियों का चेहरा सामने आ पाएगा जो इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों को संरक्षण दे रहे हैं? क्या यासीन उन भारतीय संगठनों और व्यकितयों के नामों का खुलासा करेगा जो इंडियन मुजाहिदीन को आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं? सवाल यह भी कि क्या भारत यासीन भटकल के कबूलनामे को आधार बनाकर पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की घेराबंदी करने और मुंबर्इ बम विस्फोट के आरोपी दाऊद इब्राहिम को भारत लाने में सफल होगा? ढेरों ऐसे सवाल हैं जो यासीन की गिरफ्तारी के बाद सतह पर हैं। दो राय नहीं कि अगर जांच एजेंसियां अपनी पूछताछ में यासीन भटकल के सीने में छिपे राज को उगलवाने में सफल रहती हैं तो देश में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी ढांचे को तबाह करने में भरपूर मदद मिल सकती है। इस समय देश में सबसे ताकतवर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ही है। यासीन इस संगठन के नेटवर्क के एक-एक आतंकियों और उनके ठिकानों को अच्छी तरह जानता है। इंडियन मुजाहिदीन में दरभंगा माडल उसी की देन है। इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों की भर्ती और उन्हें प्रशिक्षित करने का उत्तरदायित्व भी उसी के कंधे पर रहा है। पिछले कुछ समय में इंडियन मुजाहिदीन से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार 13 लोगों में 12 दरभंगा और उसके आसपास के ही रहे हैं। यासीन का आजमगढ़ के संजरपुर से भी गहरा रिष्ता रहा है। इंडियन मुजाहिदीन के गठन के दौरान वह कर्इ बार आजमगढ़ आया। संजरपुर में आतंक की नर्सरी उसी की देन है। उसने दिल्ली के बाटला हाउस से लेकर पुणे के जर्मन बेकरी को दहलाने में इसी नर्सरी का इस्तेमाल किया। वह आजमगढ़ के असदुल्लाह के साथ मिलकर दिल्ली, नांदेड़, मुंबर्इ, पुणे, भटकल और हैदराबाद में अलग-अलग माडयूल और स्लीपर सेल तैयार किया। ऐसे में उसका खुलासा इंडियन मुजाहिदीन का कमर तोड़ने में मदरगार साबित हो सकता है। यासीन की गिरफ्तारी से बाटला हाऊस कांड के बारे में भी कुछ अहम जानकारी सामने आ सकती है। लेकिन सवाल यह कि क्या यासीन सच बोलेगा? यह एक बड़ा सवाल है। इस बात की भी संभावना जतायी जा रही है कि यासीन की गिरफ्तारी के बाद इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी अपना स्थान बदल लिए होंगे। ऐसे में उनकी धर-पकड़ आसान नहीं होगी। यहां समझना ज्यादा यह जरुरी है कि भारत में आतंकवाद का अंत तब होगा जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम लगेगा। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ही भारत में आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। 16 अगस्त को गिरफ्तार लश्कर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा जिसकी संलिप्तता 1993 में मुंबर्इ और 1997 में दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में हुए बम धमाकों में रही है, ने भी कहा है कि भारत में आतंकी घटनाओं के लिए पूर्णत: आइएसआइ ही जिम्मेदार है। उसका कहना है कि उसके ही इशारे पर वह भटके हुए नौजवानों को बम बनाने की ट्रेनिंग और मदरसों में भारत के खिलाफ भड़काने की स्पीच देता था। उसने यह भी रहस्योदघाटन किया है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में आइएसआइ के संरक्षण में कराची में रह रहा है। वह शिपिंग इंडस्ट्री, एयरलाइंस सेक्टर, गारमेंट फैक्ट्री व रीयल एस्टेट के धंधे से जुड़ा है। टुंडा का कहना है कि उसने ही अंडरवल्र्ड डान दाऊद इब्राहिम को लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सर्इद से मिलवाया। लश्कर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा की गिरफ्तारी से पहले मुंबर्इ बम अटैक के हैंडलर अबू जुंदाल भी कह चुका है कि वह 2611 आतंकी हमले के समय खुद पाकिस्तान सिथत कंट्रोल रुम से कसाब समेत 10 आतंकियों को निर्देश देने का काम किया। कंट्रोल रुम में उसके साथ लश्कर आतंकी जकीउर रहमान लखवी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एक आला अधिकारी भी मौजूद था। लेकिन पाकिस्तान इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है। आज तक उसने मुंबर्इ हमले के एक भी आतंकी के खिलाफ कार्रवार्इ नहीं की है। मुंबर्इ आतंकी हमले में हाफिज सर्इद की संलिप्तता उजागर हो चुकी है लेकिन वह उसे आतंकी मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान अब्दुल करीम टुंडा और यासीन भटकल की स्वीकारोकित को तवज्जो देगा या दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंपेंगा यह कल्पना तक नहीं की जा सकती। दाऊद इब्राहिम के मसले पर वह लगातार झूठ बोलता आ रहा है। अभी चंद रोज पहले ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विषेश दूत शहरयार खान ने लंदन सिथत इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि ‘दाऊद पाकिस्तान में था लेकिन मेरा मानना है कि उसे पाकिस्तान से बाहर खदेड़ दिया गया। यदि वह पाकिस्तान में है तो उसे ढुंढ लिया जाएगा और गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन चौबीस घंटे बाद ही वे अपने बयान से पलट गए। यह कहते सुने गए कि ‘गृहमंत्रालय को शायद दाऊद के बारे में पता होगा, लेकिन विदेश मंत्रालय को इसके बारे में कोर्इ जानकारी नहीं है। मुझे तो यह भी पता नहीं कि वह पाकिस्तान में रहा भी है। मुंबर्इ आतंकी हमले के दोशी और मौत की सजा पा चुके अजमल कसाब के मामले में भी पाकिस्तान की झूठ पकड़ी जा चुकी है। वह पहले मानने को तैयार ही नहीं था कि कसाब उसका नागरिक है। लेकिन जब भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उसके सामने ढेर सारे सबूत पेश किए तब जाकर अपना नागरिक मानने को तैयार हुआ। ऐसे में पाकिस्तान से उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह यासीन और टुंडा की गिरफ्तारी और उनके सच से शर्मिंदा होगा। सच्चार्इ यह है आतंक से निपटने के लिए भारत को अपनी लड़ार्इ खुद लड़नी होगी। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को चाक-चौबंद करना होगा। भारत से लगने वाली सीमाओं पर सतर्कता बढ़ानी होगी। ध्यान देना होगा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ नेपाल की भूमि का भी इस्तेमाल कर रहा है। आज की तारीख में नेपाल नकली करेंसी और दहशत का सबसे खतरनाक रुट बन चुका है। इसे तोड़ना होगा। देखना दिलचस्प होगा कि यासीन और टुंडा की गिरफ्तारी आतंक के ढांचे को तबाह करने में कितना मददगार साबित होता है।

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