अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी का न्यूज रियलिटी शो और फेसबुक सवाल

जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

मजेदार मीडियागेम चल रहा है अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी के आरोपों पर खुर्शीद जांच को तैयार हैं,आज गडकरी भी तैयार हैं। असल में परंपरागत दलों में इतनी समझदारी विकसित हो गयी है कि जांच से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा।

केजरीवाल भी जानते हैं आरोपों से इन नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा। क्योंकि मीडिया-मीडियागेम हो रहा है। जनता में इन आरोपों पर लामबंदी नहीं हो रही । नेता मीडिया से नहीं जनता से डरते हैं केजरीवालजी। केजरीवाल तो समाचार चैनलों के रीयलिटी शो हो गए हैं।

-2-

टीवी न्यूज चैनलों के रियलिटी टीवी शो का अन्ना हजारे पहला गेम शो थे। बाबा रामदेव दूसरा रियलिटी शो थे। अरविन्द केजरीवाल एंड कम्पनी अन्नाटीम के भंग होने के बाद तीसरा रियलिटी टीवी शो चला रहे हैं। ऐसे अभी कम से कम 100 शो आने वाले हैं। समाचार चैनलों को प्राइमटाइम शो का मुफ्त में किरदार मिल गया है। यह ऐसा नेता है जो आमिरखान की तरह ही शो करेगा, कभी कभी जनता में और अधिकतर टीवी स्टूडियो में या प्रेस कॉफ्रेस में मिलेगा।

-3-

मीडिया रियलिटी शो वालों ने अन्ना की हाइप पैदा की,वे गायब हो गए.जैसे रामायण सीरियल गायब हो गया,बाबा रामदेव की हाइप पैदा की गई वे भी आंदोलन समेटकर चलते बने,अनविन्द केजरीवाल इनदिनों मीडिया हाइप के केन्द्र में हैं ये भी वैसे ही गायब होंगे जैसे आमिरखान का हाल का बहुचर्चित शो आमलोगों के बीच से गायब हुआ है। इसे मीडिया उन्माद कहते हैं और इससे मीडिया और बाजार की मंदी को तोड़ने मदद मिलती है। इस तरह की हाइप का भ्रष्टाचार पर बहुत कम असर होता है।

-4-

कल से केजरीवाल एंड कंपनी के लोग फिर से टीवी चैनलों पर बैठे मिलेंगे और कहेंगे एक सप्ताह बाद हम फिर से फलां-फलां की पोल खोलने जा रहे हैं। गडकरी की पूर्व सूचना वे विज्ञापन की तरह वैसे ही दे रहे थे जैसे कौन बनेगा करोडपति का विज्ञापन दिखाया जाता है। कहने का अर्थ यह है कि केजरीवाल एंड कंपनी अपने प्रचार के लिए राजनीति कम और विज्ञापनकला के फार्मूलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। वे किसी एक मुद्दे पर टिककर जनांदोलन नहीं कर रहे वे तो सिर्फ रीयलिटी शो कर रहे हैं और हरबार नए भ्रष्टाचार पर एक एपीसोड बनाकर पेश कर रहे हैं। रियलिटी शो से करप्शन वैध बनता है।

-5-

सार्वजनिक संपत्ति की लूट के मामले में बुर्जुआनेताओं ने भारत में बड़े-बड़े मानक बनाए हैं। केजरीवाल अच्छा कर रहे हैं कि वे आम जनता में नेताओं की संपदा का लेखा-जोखा पेश कर रहे हैं। लेकिन इस लेखा-जोखा या रहस्योदघाटन से कांग्रेस-भाजपा के जमीनी राजनीतिक समीकरण को नहीं बदल सकते। भ्रष्टाचार का बार बार उद्घाटन इस तथ्य की पुष्टि है कि नव्य-आर्थिक उदारीकरण की नीतियों की ओट में आम जनता की संपदा की खुली लूट होती रही है।

-6-

अरविन्द केजरीवाल एंड कम्पनी के वाड्रा कवरेज से लेकर गडकरी कवरेज तक एक ही सत्य उभर रहा है कि मीडिया में विपक्ष का स्पेस हथियाने की मुहिम चल रही है और भाजपा और अन्य विपक्षीदल इस मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या केजरीवाल एंड कंपनी सचमुच में जमीनी विपक्षीदल बन पाएगा या मीडियाशेर बने रहेंगे ?

-7-

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को केजरीवाल जैसे छोटे कद के नेताओं के हंगामेदार प्रचार अभियान ने बेचैन करके रख दिया है,ऊपर से वाड्रा प्रकरण पर हरियाणा सरकार के हस्तक्षेप ने नौकरशाही से लेकर आम जनता तक कांग्रेस की किरकिरी करके रख दी है। कांग्रेस आज जितनी प्रभावहीन है वैसी हाल के दशक में कभी नहीं थी। यह मनमोहन सरकार के मीडिया कु-प्रबंधन का परिणाम है।

-8-

मनमोहन सरकार में मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा रोचक बयानों के नेता हैं। उनका रोचक बयान आया है कि सलमान खुर्शीद के लिए 71लाख की राशि छोटी राशि है। अब मंत्री साहब की इस अक्लमंदी पर कौन बलिहारी नहीं होगा।

-9-

अब मीडिया कवरेज से तय होगा कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदार है ? मीडिया मुगल मुर्गे लड़ा रहे हैं और हम सब मजे ले रहे हैं।

-10-

टीवी चैनलों की बहसें और टॉकशो पूरी तरह पार्टी प्रवक्ताओं और वकीलों से घिरे होते हैं। इतने वकील और प्रवक्ता बीबीसी लंदन पर मैंने कभी नहीं देखे।

-11-

इस समय एनडीटीवी पर भाजपा के नेता रविशंकर जी अपने तर्क की पुष्टि के लिए लालकृष्ण आडवाणी की डायरी में लिखे वाक्यों को प्रमाण के रूप में इस्पातकांड के संदर्भ में इस्तेमाल कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सभी नेताओं की डायरियां राष्ट्रीय संग्रहालय के हवाले की जाएं जिससे आम लोग जान सकें कि नेता की डायरी में क्या लिखा है।

-12-

कांग्रेस के नेता टीवी चैनल पर बोलते समय जब भाजपानेता को डियर फ्रेंड कहते हैं तो बहुत सुंदर अर्थ ध्वनि निकलती है।

-13-

अरविंद केजरीवाल आज पहलीबार हिरासत में जेल गए हैं। यानी वे अब टीवीनेता से नेता बनने की दिशा में चल दिए हैं।

-14-

ठंडे दिमाग से सोचें तो मनमोहन सरकार को अरविन्द केजरीवाल-अन्ना हजारे -बाबा रामदेव किसी से राजनीतिक खतरा नहीं है और न सरकार घबड़ायी हुई है। प्रधानमंत्री जितने ठंड़े पहले थे उतने ही आज हैं। यही हाल भाजपा का है। इसका प्रधान कारण है कि मीडिया उन्माद को अब राजनेता दरकिनार करना सीख गए हैं। यहां तक कि आम दर्शक भी समझ गया है कि अरविन्द केजरीवाल मीडिया हाइप पैदा कर रहे हैं।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here