सरफ़राज़ ख़ान
जो लोग एम्फाइसीमा और अन्य गंभीर फेफड़े की बीमारी के षिकार हों तो वे सुरक्षित हवाई सफर कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले उनको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक़ ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में जिसमें 500 फेफड़े की बीमारी वाले मरीजों पर सर्वे किया जिन्होंने हवाई सफर किया। इसमें उन्होंने पाया कि 18 फीसदी मरीज में किसी न किसी तरह की सांस सम्बंधी समस्या हवाई जहाज पर हुई जिसके तहत सांस लेने में दिक्कत, खांसी या सीने में दर्द हुआ।
हालांकि मध्यम किस्म के लक्षण नजर आना कोई गंभीर मामला नहीं होता है जिससे कि इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़े। यह रिपोर्ट यूरोपियन रेसपायरेटरी जर्नल में प्रकाषित हुई है। इसमें सुझाव दिया गया है कि गंभीर फेफड़े की बीमारी वाले मरीजों को हवाई सफर करने से पहले अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए और यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि इससे वे संतुष्ट हैं और अपने ट्रिप के दौरान वे दवाईयां लेते रहें।
अस्थमा के आघात से होने वाली मौत की आशंका हेरीडैटरी है। एक अन्य अध्ययन में साल्ट लेक सिटी के यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा के डॉ. क्रेग सी टीरलिंक ओर उनके सहयोगियों के मुताबिक जिन लोगों के परिवार वालों की अस्थमा से मौत हो चुकी होती है, उनसे सीधा संबंध रखने वालों में मौत का खतरा 69 फीसदी ज्यादा होता है बनिस्बत उन लोगों के जिनके परिवार वालों का अस्थमा का इतिहास नहीं होता। यह रिपोर्ट अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पायरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। द्वितीयक तरीके से संबंधी में भी अस्थमा से मौत का खतरा 34 फीसदी ज्यादा होता है और तीसरे तौर पर संबंधी होने वालों में भी 15 फीसदी खतरा मौत का रहता है। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)