राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी एक से दिखे बाबा को

राहुल चले दिग्विजय के नक्शेकदम पर

कहा- संघ और सिमी एक जैसे

-लोकेन्‍द्र सिंह राजपूत

राहुल ‘बाबा’ ने बुधवार को मध्यप्रदेश के प्रवास पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और सिमी की तुलना करते हुए दोनों को एक समान ठहरा दिया। हर किसी को राहुल की बुद्धि पर तरस आ रहा है। जाहिर है मुझे भी आ रहा है। उनके बयान को सुनकर लगा वाकई बाबा विदेश से पढ़कर आए हैं, उन्होंने देश का इतिहास अभी ठीक से नहीं पढ़ा। उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए और ढंग से भारत के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए। या फिर लगता है कि अपनी मां की तरह उनकी भी हिन्दी बहुत खराब है। राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी में अंतर नहीं समझ पाए होंगे। अक्टूबर एक से तीन तक मैं भोपाल प्रवास पर था। उसी दौरान भाजपा के एक कार्यकर्ता से राहुल को लेकर बातचीत हुई। मैंने उनसे कहा कि वे पश्चिम बंगाल गए थे, वहां उन्होंने वामपंथियों का झंड़ा उखाडऩे की बात कही। कहा कि वामपंथियों ने बंगाल की जनता को धोखे में रखा। लम्बे समय से उनका एकछत्र शासन बंगाल में है, लेकिन उन्होंने बंगाल में कलकत्ता के अलावा कहीं विकास नहीं किया। तब वामपंथियों ने बाबा को करारा जवाब दिया कि राहुल के खानदान ने तो भारत में वर्षों से शासन किया है। उनका खानदान भारत तो क्या एक दिल्ली को भी नहीं चमका पाए। इस पर राहुल दुम दबाए घिघयाने से दिखे, उनसे इसका जवाब देते न बना। अब राहुल मध्यप्रदेश में आ रहे हैं। तब उन भाजपा कार्यकर्ता ने कहा आपको क्या लगता है वह यहां कुछ उल्टा-पुल्टा बयान जारी करके नहीं जाएंगे। मैंने कहा बयान जारी करना ही तो राजनीति है, लेकिन मैंने राहुल से इस बयान की कल्पना भी नहीं की थी।

संघ मेरे अध्ययन का प्रिय विषय रहा है। आज तक मुझे संघ और सिमी में कोई समानता नहीं दिखी। इससे पूर्व एक पोस्ट में मैंने लिखा था कि ग्वालियर में संघ की शाखाओं में मुस्लिम युवा और बच्चे आते हैं। इसके अलावा संघ के पथ संचलन पर मुस्लिम बंधु फूल भी बरसाते हैं। इससे तात्पर्य है कि संघ कट्टरवादी या मुस्लिम विरोधी नहीं है। राहुल के बयान से तो यह भी लगता है कि उन्हें इस बात की भी जानकारी न होगी कि संघ के नेतृत्व में एक राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच का गठन भी किया गया है। जिससे हजारों राष्ट्रवादी मुस्लिमों का जुड़ाव है। जबकि सिमी के साथ यह सब नहीं है। वह स्पष्टतौर पर इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन है। जो इस्लामिक मत के प्रचार-प्रसार की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। ऐसे में वैचारिक स्तर पर भी कैसे संघ और सिमी राहुल को एक जैसे लगे यह समझ से परे है।

राहुल बाबा से पूर्व संघ पर निशाना साधने के लिए उन्होंने एक बंदे को तैनात किया हुआ है। संघ आतंकवादी संगठन है, उसके कार्यालयों में बम बनते हैं, पिस्टल और कट्टे बनते हैं। इस तरह के बयान देने के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह की नियुक्ति की हुई है। इसलिए संघ की इस तरह से व्याख्या अन्य कांग्रेसी कभी नहीं करते। बाबा ने यह कमाल कर दिखाया। बाबा ने यह बयान भोपाल में दिया। मुझे एक शंका है। कहीं दिग्विजय सिंह ने अपना भाषण उन्हें तो नहीं रटा दिया। क्योंकि जब राहुल के बयान की चौतरफा निंदा हुई तो उनके बचाव में सबसे पहले दिग्विजय ही कूदे। खैर जो भी हुआ हो। यह तो साफ हो गया कि राहुल की समझ और विचार शक्ति अभी कमजोर है। वे अक्सर भाषण देते समय अपने परिवार की गौरव गाथा सुनाते रहते हैं। मेरे पिता ने फलां काम कराया, फलां विचार दिया। इस बार उन्होंने यह नहीं कहा कि जिस संघ को वे सिमी जैसा बता रहे हैं। उनके ही खानदान के पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संघ को राष्ट्रवादी संगठन मानते हुए कई मौकों पर आमंत्रित किया। 1962 में चीनी आक्रमण में संघ ने सेना और सरकारी तंत्र की जिस तरह मदद की उससे प्रभावित होकर पंडित नेहरू ने 26 जनवरी 1963 के गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होने के लिए संघ को आमंत्रित किया और उनके आमंत्रण पर संघ के 300 स्वयं सेवकों ने पूर्ण गणवेश में दिल्ली परेड में भाग लिया। कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा विरोध होने पर नेहरू ने कहा था कि उन्होंने देशभक्त नागरिकों को परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। अर्थात् नेहरू की नजरों में संघ देशभक्त है और राहुल की नजरों में आतंकवादी संगठन सिमी जैसा। इनके परिवार की भी बात छोड़ दें तो इस देश के महान नेताओं ने संघ के प्रति पूर्ण निष्ठा जताई है। उन नेताओं के आगे आज के ये नेता जो संघ के संबंध में अनर्गल बयान जारी करते हैं बिल्ली का गू भी नहीं है।

1965 में पाकिस्तान ने आक्रमण किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री व प्रात: पूज्य लाल बहादुर शास्त्री जी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। जिसमें संघ के सर संघचालक श्री गुरुजी को टेलीफोन कर आमंत्रित किया। पाकिस्तान के साथ 22 दिन युद्ध चला। इस दौरान दिल्ली में यातायात नियंत्रण का सारा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सौंपा गया। इतना ही नहीं जब भी आवश्यकता पड़ती दिल्ली सरकार तुरंत संघ कार्यालय फोन करती थी। युद्ध आरंभ होने के दिन से स्वयं सेवक प्रतिदिन दिल्ली अस्पताल जाते और घायल सैनिकों की सेवा करते व रक्तदान करते। यह संघ की देश भक्ति का उदाहरण है।

1934 में जब प्रात: स्मरणीय गांधी जी वर्धा में 1500 स्वयं सेवकों का शिविर देखने पहुंचे तो उन्हें यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि अश्पृश्यता का विचार रखना तो दूर वे एक-दूसरे की जाति तक नहीं जानते। इस घटना को उल्लेख गांधी जी जब-तब करते रहे। 1939 में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर पूना में संघ शिक्षा वर्ग देखने पहुंचे। वहां उन्होंने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (संघ के स्थापक) से पूछा कि क्या शिविर में कोई अस्पृश्य भी है तो उत्तर मिला कि शिविर में न तो ‘स्पृश्य’ है और न ही ‘अस्पृश्य’। यह उदाहरण है सामाजिक समरसता के। जो संघ के प्रयासों से संभव हुआ।

वैसे सिमी की वकालात तो इटालियन मैम यानि राहुल बाबा की माताजी सोनिया गांधी भी कर चुकी हैं। मार्च 2002 और जून 2002 में संसद में भाषण देते हुए सोनिया गांधी ने सिमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एनडीए सरकार के कदम का जोरदार विरोध किया। सोनिया की वकालात के बाद कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने 2005 में प्रतिबंध की अवधि बीत जाने के बाद चुप्पी साध ली, लेकिन उसे फरवरी 2006 में फिर से प्रतिबंध लगाना पड़ा। इसी कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार ने 11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई धमाकों में सिमी का हाथ माना और करीब 200 सिमी के आतंकियों को गिरफ्तार किया। सिमी के कार्यकर्ताओं को समय-समय पर राष्ट्रविरोधी हिंसक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

क्या है सिमी

स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इण्डिया (सिमी) की स्थापना 1977 में अमरीका के एक विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त प्राध्यापक मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी ने की थी। वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता और जनसंचार में प्राध्यापक था। सिमी हिंसक घटनाओं तथा मुस्लिम युवाओं की जिंदगी बर्बाद करने वाला धार्मिक कटट्रता को पोषित करने वाला गिरोह है। संगठन की स्थापना का उद्देश्य इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना बतलाया गया। लेकिन इसकी आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया गया।

दुनिया भर के आतंकी संगठनों से मिलती रही सिमी को मदद-

-वल्र्ड असेम्बल ऑफ मुस्लिम यूथ, रियाद

इंटरनेशनल इस्लामिक फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन, कुवैत

जमात-ए-इस्लाम, पाकिस्तान

इस्लामी छात्र शिविर, बांग्लादेश

हिज उल मुजाहिदीन

आईएसआई, पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था

लश्कर-ए-तोएयबा

जैश-ए-मोहम्मद

हरकत उल जेहाद अल इस्लाम, बांग्लादेश

20 COMMENTS

  1. (१) संघ एक विधायक, रचनात्मक, सकारात्मक संस्था है। जिसकी सैंकडो शाखाएं भारत से बाहर भी फैली है।==(दक्षिण अमरिकामें भी और उत्तरी अमरिकामें भी, कुछ जानकारी के आधारपर कह रहा हूं।)==U K में मार्गारेट थॅचर, जो वहांकी प्राइमिनिस्टर थी, वर्षप्रतिपदा उत्सवपर शाखापर आयी थी, और हिंदूओंको अपनी सहिष्णु नैतिक संस्कृति, अन्य युवाओं मे फैलाने के लिए कहा। क्यों? जानते हो? क्यों कि हिंदु समन्वयकारी है, हिंदू युवा अनुशासित है, जिसे कहा गया, कि अन्योंको भी यही पाठ सिखाओ।
    (२) काम तो बहुत है। साथ में संघ विकासोन्मुख, उत्क्रांतिशील संगठन है। समय समय पर उसके इतिहासको जानने से यह पता चलता है। एक समय की मराठी की प्रार्थना क्रमशः हिंदी और अंतमें संस्कृत में परिणत हुयी।संघका प्रक्षेप बढता ही जाएगा।
    (३) आज मोहनजीने संघके द्वार मुस्लिमोंके लिए भी खोल दिए हैं। मुज़्ज़फर हुसेन, हमीद दलवाई,अज़ीज़ हुसैन इत्यादि लघुमति के सदस्यभी राष्ट्रीय स्रोतमें जुड रहे हैं। (उन्हें विरोध उन्हीके धर्मबंधुओंकी ओरसे होता है, संघसे नहीं।)
    (४) रचनात्मक काम समाजमें फैलकर करना होता है। पटरी का जोड तोडने के लिए कुछ व्यक्ति पर्याप्त होते हैं।विस्फोट करने भी अधिक नहीं लगते।
    (५) सिम्मीने अपवाद रूपसे कोई रचनात्मक काम शायद किया हो, पर मुझे विशेष ज्ञात नहीं। कोई स्मरण कराए, -तो कृपा होगी।
    (६) देढ लाखसे अधिक रचनात्मक, प्रकल्प चलाने वाला, (जिसकी प्रेरणासे ३४४३३ एकल विद्यालय चलते हैं) ऐसा संघ,
    (७) जिस संघ स्वयंसेवकों ने, पाकीस्तानसे हिंदुओंको सुरक्षित लाने में प्राणोंकी आहुति दे दी थी, जिस व्यथा पू. गुरूजी को अंत तक रहा करती थी, उस संघकी तुलना किसी अहरी गहरी देशद्रोही सिम्मी से करने में वोट बॅन्क को सुनिश्चित करने के सिवा और कोई भी हेतु मुझे दिखाई नहीं देता।
    लोकेंद्र सिंह जी, डटे रहें।भारतका उदय, आप जैसे, युवा पत्रकारों से ही होना है।
    उगता सूरज पूजकर दुनिया धन्यता माने।
    यहां जीवन लगे हैं, एक सच्चा सूरज उगाने।

  2. अरे भाई लोकेन्द्र जी आपने तो दिल खुश कर दिया … बिलकुल करारा जबाब दिया है आपने ….
    इक्छा तो है की मैं भी इसे अपने अख़बार में छापू …. लेकिन अफसोश है की मैं ऐसा नहीं कर सकता बहरहाल मैं कोशिश करूँगा इसे कई लोगों तक पहुँचाने की …..

  3. इस देश मैं कोई भी कुछ भी बयान दे देता है राहुल जैसे अल्पग्य लोगों को संघ का महत्व कभी समझ नहीं आ सकता|

    राहुल को अयोध्या मुद्दा सुलझता दिखने से जलन हो रही है क्योंकि उनका उल्लू सीधा इसी तरह की बयानों से होना है|

    राहुल ने भी घटिया राजनीती शुरू कर दी है| ये भी इस देश को कुछ नहीं दे पायेगा सिर्फ वर्ग संघर्ष के…

  4. राहुल गाँधी एक मंझे हुए राजनेता है.सुर्ख़ियों में रहने के लिए ही वे कुछ न कुछ करते रहते है,कभी किसी गरीब के घर रात बिताते है तो कभी किसी वृध्दा के सर का बोझ उठाते है,और लीजिये पेश-ए-खिदमत है उनका नया जारी वक्तव्य.

  5. एक दिन पूरा गुजर गया अब इस नादान लड़के को और महत्त्व देना ठीक नहीं …. सिमी पर बैन लगा हुआ है ये सब जानते हैं और ये भी सच है ये जितना उछल ले आर एस एस पर बैन इसकी अम्मा भी नहीं लगा सकती

  6. लोकेन्द्र जी बहुत अछे. बड़ी ज़रूरत थी ऐसे जवाब की जो कि आपने दे दिया है. साधुवाद !

  7. rahul gandhi mecale putra hi nahi mecale pita hai, kyo ki unki sari shiksha, sanskar aur mata videshi hai bharat bhumi ki dharohar ki pahchan unse karna apni murkhata hogi.

  8. ये तो सार्वभौमिक सत्य है की किसी भी संस्था के वास्तविक चाल चेहरा और चरित्र को जाने विना उस पर अनुकूल या प्रतिकूल टिप्पणी करना अनेतिक है .जब यह सार्व भौम सिद्धांत है तो किसी को विशेषाधिकार क्यों ?यदि राहुल को संघ या सिमी के बारे में नहीं मालूम या की उन्होंने .’बंच आफ थाट्स ‘इत्यादि नहीं पड़ी या की मुसोलनी से प्रेरक प्रसंग पर डॉ मुंजे या गोल्बलकर के विचार नहीं पड़े या की राहुल को सिमी का अजेंडा -दारुल हरब-से दारुल इस्लाम का खतरनाक चिंतन नहीं मालूम तो उन्हें दोनों साम्प्रदायिक संगठनो को एक तराजू पर नहीं तौलना चाहिए .
    इसी तरह जो संघ में कम से कम साक्षर हैं उन्हें भी ‘भगवद गीता ‘रामचरितमानास’ पढ़े बिना या आरण्यकों को पढ़े बिना हिदुत्व या राष्ट्रवाद पर ढपोरशंख नहीं बजाना चाहिए .आप यदि चाहते हैं की लोग आपकी विचारधारा को सुने समझें जाने -माने .तो आपका भी दायित्व है की कडू आहट छोड़कर प्रतिवादी का विचार सुने समझें ,जाने -माने .इसी को सहिष्णुता -सहस्तित्व कहते हैं .
    राहुल जी को कुछ लोग संघ का साहित्य भेज रहें हैं -अच्छा प्रयास है लेकिन भेजने वाले भी इसी पर अमल करते हुए फटाफट -कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो ,दास केपिटल के अलावा ‘माँ “अग्निदीक्षा ‘और शहीद भगतसिंह की जीवनी ही पढ़ लें .
    वर्ना -पर उपदेश …कुशल …बहुतेरे ….

    • भाई साहब प्रश्न है कि क्या राष्ट्र-भक्ति के मामले में संघ को सिम्मी जैसा कहने वाले को ग्यानी कहा जाए कि अज्ञानी ? वैसे तो कहा गया है कि जो अज्ञानी है और मानता है कि वह अज्ञानी है उस पर दया करनी चहिए पर जो अज्ञानी है और मानता है कि वह बड़ा ग्यानी है उसकी उपेक्षा कर देनी चाहिए … संघ ज्ञान के बारे में राहुल बाबा दूसरी श्रेणी के जीव हैं अन्यथा आपको और उनको दोनों को पता होता कि बाबा के दल कांग्रेस की केन्द्र सरकार द्वारा 10 दिसंबर 1992 को संघ पर प्रतिबंध लगाया गया और संघ को देश विरोधी कहते हुए न्याय मूर्ति श्री पी के बाहरी की अध्यक्ष्ता में गठित न्यायाधिकरण को इस बारे में निर्णय करने का अधिकार दिया … 6 महीने तक प्रतिदिन सुनवाई करने के बाद 4 जून 1993 को दिए गए अपने निर्णय में न्यायमूर्ति श्री पी के बाहरी ने स्पष्ट शब्दों में निर्णय दिया कि “संघ की विचार धारा देशभक्ति की विचार धारा है ..” और उस आदेश में संघ पर लगाया प्रतिबन्ध बाबा की कांग्रेसी सरकार को हटाना पड़ा … सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो कोर्ट ने इस मामले को सुनने योग्य न मानते हुए सरकार की अपील वापस कर दी …. अर्थात वह फैसला आज भी क़ानूनी रूप से मान्य फैसला है …. आपने सही लिखा है कि पर “उपदेश कुशल बहुतेरे.”… कानूनी फैसले मानने का उपदेश देने वाले बाबा के दल कांग्रेस, उनके चट्टे बट्टो व आप जैसे संघ विरोधी लोग जब कानूनी फैसले के विपरीत बोलते हैं तो वे ही सोचें कि “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” की श्रेणी में कौन आता है ….
      थोड़ा सा आपके संघ ज्ञान की भी चर्चा कर लें … क्योंकि आपने संघ के साक्षर लोगों को कुछ धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने का उपदेश दिया है जिससे कि उन्हें हिंदुत्व का ज्ञान हो सके .. पर इस बहस का विषय हिंदुत्व को परिभाषित करना नहीं है इसलिए यह उल्लेख विषय से भटकाने के प्रयास जैसा है … विषय है देशभक्ति के प्रश्न पर सिम्मी और संघ को एक समान मानने का …. आपने .’बंच आफ थाट्स ‘ जो लगभग 1945 के आसपास लिखी गई पुस्तक है तथा 1925 के आसपास के डा मुंजे के किसी विचार का उल्लेख करके अपने राजकुमार बाबा राहुल के विचार का समर्थन करने का बेकार का प्रयास किया है …. आपके ज्ञान वर्धन के लिए यह बताना पर्याप्त होगा कि बाहरी न्यायाधिकरण के सामने सरकार द्वारा यह पुस्तकें और संघ के द्वारा भी संघ के बारे में प्रकाशित लगभग 20 अन्य पुस्तकें पेश की गईं थीं जिनके प्रकाश में संघ को देशभक्त संगठन घोषित किया गयी था ….

      • aapko yh jaankar atyant prshannta hogi ki mene isi pravakta .com par 30 sitambar ko jb shri mohan bhagwat ji ke bayaan ki tareef ki to saath men muslim personal-law-board ke liye bhi dhanywad gyaapit kiya tha …jb ek sakaaratmk samaanta par aapatti nahin to nakaratmk samaanta par kyon naraj hote ho ?padarth or urja ki avinashtata ke siddhant se is ke koi maayne nahin ki x=y nahain hota .ydi Xor Yka drvymaan ,densiti or parmaanuvik sanrachna ek jaisi ho to x=y kahne men hichkichaana nahin chahiye.

        • चूँकि आतंक के शिकार
          भारत = पाकिस्तान
          इसलिए आतंक फ़ैलाने वाले
          पाकिस्तान = भारत

  9. बहुत बढ़िया…शानदार लोकेन्द्र जी…इसको मैं अपनी पत्रिका में भी लेने की कोशिश करूँगा…बाहुत अच्छा लिखा है आपने.

    • पंकज जी मुझे बहुत प्रसन्नता होगी अगर ये लेख आपकी पत्रिका में स्थान पायेगा…. लेख की तारीफ करने के लिए धन्यवाद… वैसे मैंने तो बिना लाग लपेट के सिर्फ सच लिखा है….

  10. aalekh bahut spasht hai .rss ka behtar samrthak hai ,kintu abhipray se sambandhit paksh ke khif anvshyk vish vaman nahinkiya yh lokendr ki vayktik uplbdhi hai .vichar koi bhi ho insaaniyat or sabr dono ki prathmikta jaruri hai .

  11. राहुल गांधी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना सिमी जैसे राष्ट्र विरोधी संगठन से किया जाना उनके अल्प ज्ञान का परिचायक है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का विपरीत परिस्थितियो मे प्रधान मंत्री रहते हुयंे। राहुल गांधी के परनाना पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी सहयोग लिया है, और श्रीमति इन्दिरा गांधी ने भी संघ को सराहा है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी संघ से प्रभावित रहे है। हिन्दुस्तान मे राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत संगठन का नाम ही राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है। जिसका संकल्प राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने का है। यह कोई राजनैतिक संगठन भी नही हैं। परन्तु कांग्रेस का संघ के प्रति दुराग्रह रहा है। श्रीमति सोनिया गांधी को विदेशी मूल की होने के कारण प्रधानमंत्री बनने से रोकने मे संघ के द्वारा वैचारिक वातावरण बनाया गया था। राहुल गांधी की तीस शायद वह भी हो सकती है। राहुल गांधी भी संभव है, विदेशी मूल की मेम लाने के चक्कर मे हो, और उन्हें संघ के तीखे तेवरो का सामना करना पड़े। बचपन मे संघ के स्वयंसेवक रहे दिग्विजय सिंह संघ विरोधी प्रदर्शित करने के लिये संघ को गाली देकर कांग्रेसी नेतृत्व के विशेषकर सोेंनिया गांधी और राहुल गांधी के विश्वसनीय पियादे बन गये है। और उन्हीं की सलाह पर राहुल गांधी ने भी संघ के बारे मे बयान बाजी कर अपनी मां के अपमान की बौखलाहट को प्रदर्शित किया हैं।
    मनोज मर्दन त्रिवेंदी सिवनी

  12. “ज्योति जला निज प्राणकी”
    एक पुस्तक मैंने पढी, जो बहुतही जानकारी पूर्ण है, वह है, “ज्योति जला निज प्राणकी”–माणिक चन्द्र वाजपेयी एवं श्रीधर पराडकर लिखित।
    पढा है, मई-जून १९४७ के सिंध-पंजाब इत्यादि स्थानोंके, O T C अर्थात, संघ शिक्षा वर्ग, निर्धारित समयसे पूर्व ही समाप्त कर दिए गए थे। देशके विभाजनका समाचार जो मिला था।
    प.पू. गुरूजीने सिंध-पंजाब के शिक्षार्थियोंको कहा था, —-
    “कि सारे पंजाब-सिंधके, हिंदुओंको सुरक्षित भारत लाने का उत्तरदायित्व उन्हें सौंपा जा रहा है। और सारे हिंदु भारतकी ओर रवाना करने के बादही,वे भारत आएं।”
    गुरूजी इस काममें, शहीद हुए ५०० से ज्यादा स्वयंसेवकों को कभी भुला नहीं पाए थे। कहां सीमी, और कहां R S S? कहां राजा भोज और कहां गंगवा? समझे राहुलवा ?
    जबान की चरपट पंजरी चलाना तो बॉलीवुड वालोंको आप से और भी अच्छा आता है। कुछ करके दिखाने के लिए मिडीया को बंद लिफाफा देने के बदले, कुछ संगठन खडा करके दिखा दो, तो माने।संघ तो बिना सिंहासन, बिना कुरसी प्रभाव रखता है।

  13. आप नाहक ही राहुल बाबा पर नाराज हो रहे हैं ….बाबा तो मासूम हैं …उन्हें न तो सिमी के बारे में कुछ पता है, न ही, आर एस एस के बारे में …दरअसल बाबा को जो भी कोई लिख के दिया बस वो रट कर पढ़ लिया ….बाबा को जब ज्ञान होगा तो वो ऐसे नहीं बोलेंगे ….सच्ची …वो दिल से बुरे नहीं हैं …बस नादान हैं. get well soon baba

  14. राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी एक से दिखे बाबा को
    राहुल चले दिग्विजय के नक्शेकदम पर – कहा
    – संघ और सिमी एक जैसे
    -by -लोकेन्‍द्र सिंह राजपूत

    अब राहुल कह रहें हैं उन्होने कहा कि सोच-विचार कांग्रेस जैसी हो और युवा कांग्रेस में संघ और सिमी के लोग नहीं आ सकते.

    क्या यह ठीक रिपोर्टिंग है ?

    यह कहकर राहुल क्या अपना ब्यान तो वापस नहीं ले रहे हैं ?
    संभवतः दिग्विजयसिंह जी ने सलाह दी हो ?

    अपना पीछा बचाओ, भागो दिल्ली वापिस ?

    पर प्रश्न यह है कि मध्य प्रदेश में कितने या किसी एक भी RSS स्वयं सेवक ने Youth Congress में प्रवेश करने का प्रयत्न किया भी क्या ?

    Day Dreaming.

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