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बचपन की कैद   - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
नन्हें नन्हें कांधों पर वजन उठाये कौन सी जंग लड़ रहे हैं ये ज़िन्दगी के मासूम सिपाही। क्या यही है इनके लिये ज़िन्दगी की अनमोल सौगात? कब तक यूँ ही बोझा ढोयेंगे ये नन्हें-नन्हें कोमल हाथ? क्या यही है इनके लिये ज़िन्दगी के असली मायने? या देख पाएंगे ये भी कभी बचपन के सपने…