बड़े दिनों पर

1
201

 

 

उम्मीदों के फूल खिले, मन की कलियाँ मुस्काईं।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर जन-जीवन में लौटी नयी रवानी,

बड़े दिनों पर जनमत की ताकत सबने पहचानी,

बड़े दिनों पर उद्वेलित जनता सड़कों पर आयी।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर गूँजा देश में इंकलाब का नारा,

बड़े दिनों पर हमने अपना राष्ट्रधर्म स्वीकारा,

बड़े दिनों पर परिवर्तन की ऐसी बेला आयी।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर गले मिला आपस में भाई-चारा,

बड़े दिनों पर सकुचाये पंछी ने पंख पसारा,

बड़े दिनों पर यादों से होकर गुज़री पुरवाई।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर भरे नयन से मन ही मन हम रोये,

बड़े दिनों पर टूटे सपने बार-बार संजोये,

बड़े दिनों पर हँसते-हँसते ही आँखें भर आयीं।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर गीत लिखे हम, बड़े दिनों पर गाये,

बड़े दिनों पर माँ के चरणों में हम शीश नवाये,

बड़े दिनों पर भूली-बिसरी याद हृदय पर छायी।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

 

बड़े दिनों पर मन के आँगन में फैला उजियारा,

बड़े दिनों पर डूब रहे सपनों को मिला सहारा,

बड़े दिनों पर ‘आम आदमी’ की मेहनत रंग लायी।

बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप (AAP) को प्राप्त ऐतिहासिक सफलता के संदर्भ में

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here