पाकिस्तान से बलूचिस्तान अलग होकर रहेगा

बलूचिस्तान

 

बलूचिस्तान
बलूचिस्तान

डा. राधेश्याम द्विवेदी
पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहां की राजधानी क्वेटा है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। 1944 में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर 1947 में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। 1970 के दशक में एक बलूच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की मांग उठी।यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है।
इतिहास:-इसके पूर्वी किनारे पर सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव हुआ। कुछ विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता के मूल लोग बलूच ही थे। पर इसके साक्ष्य नगण्य हैं। सिंधु घाटी की लिपि को न पढ़े जाने के कारण संशय अब तक बना हुआ है। पर सिंधु सभ्यता के अवशेष आज के बलूचिस्तान में कम ही पाए जाते हैं। बलूची लोगों का मानना है कि उनका मूल निवास सीरिया के इलाके में थे और उनका मूल सेमेटिक (अफ़्रो-एशियाटिक) है। आज का दक्षिणी बलूचिस्तान ईरान के कामरान प्रांत का हिस्सा था जबकि उत्तर पूर्वी भाग सिस्तान का अंग। सन् 652 में मुस्लिम खलीफ़ा उमर ने कामरान पर आक्रमण के आदेश दिए और यह इस्लामी ख़िलाफ़त का अंग बन गया। पर उमर ने अपना साम्राज्य कामरान तक ही सीमित रखा। अली के खिलाफ़त में पूरा बलूचिस्तान, सिंधु नदी के पश्चिमी छोर तक, खिलाफत के तहत आ गया। इस समय एक और विद्रोह भी हुआ था। सन 663 में हुए विद्रोह में कलात राशिदुन खिलाफ़त के हाथ से निकल गया। बाद में उम्मयदों ने इसपर कब्जा कर लिया। इसके बाद यह मुगल हस्तक्षेप का भी विषय रहा पर अंत में ब्रिटिश शासन में शामिल हो गया। 1944 में इसे स्वतंत्र करने का विचार भी अंग्रेज़ों के मन में आया था पर 1947 में यह स्वतंत्र पाकिस्तान का अंग बन गया। सत्तर के दशक में यहाँ पाकिस्तानी शासन के खिलाफ मुक्ति अभियान भी चला था जिसे कुचल दिया गया।
प्रशासनिक विभाग:- इस प्रांत में 27 ज़िले हैं :-1. अवरान,2. . बरख़ान,3. बोलान,4. चागई,5. डेरा बुगटी, 6. ग्वादर, 7. जफ़राबाद, 8. झाल मागसी, 9. कलात, 10. केच, 11. खरान , 12. कोहलू , 13. खुज़दार, 14. क़िला अब्दुल्लाह, 15. क़िला सैफ़ुल्लाह, 16. लास्बेला, 17. लोरालई, 18. मास्टंग,19. मुसाखेल, 20. नसीराबाद , 21. नौशकी, 22. पंजगुर, 23. पिशिन, 24. क्वेटा, 25. सिबि 26. झोब और 27. ज़ियारत
पाकिस्तान के हर प्रांत में आजादी की मांगें उठ रहा है :-पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंध, बाल्टिस्तान, गिलगिट, और मुजफ्फराबाद से आजादी की मांगें उठती हैं, सात स्वतंत्रता आंदोलन हैं जो आपसे अलग होना चाहते हैं। विफल राष्ट्र के रूप में दुनिया भर में कुख्यात पाकिस्तान के तकरीबन हर हिस्से में आजादी की मांग उठने लगी है। आतंकी हमले हो रहे हैं और चुनी हुई सरकार सेना के सामने लाचार नजर आने लगी है। पाक अधिकृत कश्मीर में कश्मीरियों पर पाकिस्तान कैसे जुल्म ढाता है, ये सारी दुनिया जानती है, लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को छोड़ दें तो उसके लगभग सभी सूबों में आजादी के लिए संघर्ष चल रहा है ।आजादी का ये संघर्ष पाकिस्तान के सिंध से भी कहीं ज्यादा तीखा बलूचिस्तान में है। बलूचिस्तान में आए दिन पाकिस्तान विरोधी आंदोलन और आजादी की मांग को लेकर प्रदर्शन होते रहते हैं। ये बलूचिस्तान के वो लोग हैं जो किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं। ये पाकिस्तान को पाकिस्तान नहीं टेररिस्तान मानते हैं, हालांकि पाकिस्तान दुनिया को ये बताने की कोशिश करता रहता है कि बलूचिस्तान में अलगाव की आग को भारत हवा दे रहा है, लेकिन उसके इस झूठ का पर्दाफाश खुद बलूचिस्तान के नेता ही करते हैं।बलोच नेता नायला कादरी के मुताबकि RAW का बलूचिस्तान में कोई दखल नहीं है। हम अंग्रेजों से दौर से ही आजादी की जंग लड़ रहे हैं। पाकिस्तान झूठ की बुनियाद पर बना है। पाक खुद को फरेब-साजिश से चलाता है। पाक ये दिखाना चाहता है कि हम रॉ की मदद ले रहे हैं जबकि हमारा आंदोलन रॉ के बनने से पहले का है। आंदोलन तब से है जब ना पाक था, ना रॉ। हम हजारों साल से जिंदा हैं और जिंदा रहेंगे। पिछले 70 साल से अपनी आजादी के लिए आंदोलन कर रहे बलूच आंदोलनकारियों ने पहली बार अपनी रणनीति बदली है। अब तक वो अपने आंदोलन से पाकिस्तान के मुख्य इलाकों को दूर रखते थे, लेकिन अब आंदोलनकारियों ने धमकी दी है कि इस्लामाबाद-लाहौर जैसे शहरों को भी अब खामियाजा भुगतना पड़ेगा। बलूचिस्तान के लोगों ने अब कमर कस ली है कि वो अपने देश को हथियारों के दम पर आजाद कराएंगे। बलूचिस्तान के लोगों ने अब पाकिस्तान को सीधी धमकी दी है कि अब वो आत्मरक्षा के बजाय आक्रमण की नीति पर चलेंगे। बलूच सेना अब पाकिस्तान को घर में घुसकर मारेगी। बलूच आंदोलनकारियों की बड़ी नेता नायला बलूच ने कहा है कि अब तक बलूच पाकिस्तान पर सीधे हमला नहीं करते थे और हम पाकिस्तानी हमले से खुद को बचाते रहते थे लेकिन अब बलूच लोग और इंतजार नहीं कर सकते। अब लड़ाई बलूचिस्तान में नहीं पाकिस्तान में होगी और अब जंग का मैदान पाकिस्तान बनेगा।पाकिस्तान की सेना ने उनकी जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी है। इस नर्क से निकलने के लिए अब उनका पाकिस्तान पर हमला करना जरूरी हो गया है। अब अपने आंदोलन को और तेज करने के लिए बलूच आंदोलनकारियों की उम्मीद तीन संगठनों पर टिकी है। पाकिस्तान ने इन तीनों ही संगठनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। ये तीन संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी हैं। इन तीन संगठनों ने पाकिस्तान को धमकी दी है कि अगर उन्होंने अब बलूचिस्तान के अहम इलाके ग्वादर में अपना दखल बढ़ाया तो खैर नहीं होगी। इन संगठनों का आरोप है कि ग्वादर में चीन जो भी निवेश कर रहा है उसका असली मकसद बलूचिस्तान को लूटना है। बलूचिस्तान के प्रतिबंधित संगठनों ने धमकी दी है कि चीन समेत दूसरे देश ग्वादर में अपना पैसा बर्बाद ना करें। दूसरे देशों को बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा को लूटने नहीं दिया जाएगा। इन संगठनों ने बलूचिस्तान में काम कर रहे चीनी इंजीनियरों पर भी हमले बढ़ा दिए हैं। बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान के लोगों को लगातार कुचल रही है और बलूचिस्तान के लोगों को बलूचिस्तान में ही अल्पसंख्यक बनाने की साजिश रची जा रही है। 1947 में इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तभी से बलूच लोगों का संघर्ष चल रहा है और उतनी ही ताकत से पाकिस्तानी सेना और सरकार बलूच लोगों को कुचलती रही है। आजादी की लड़ाई के दौरान भी बलूचिस्तान के स्थानीय नेता अपना अलग देश चाहते थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया तो वहां विद्रोह भड़ उठा था। वहां की सड़कों पर अब भी ये आंदोलन जिंदा है। बलूचिस्तान में आंदोलन के चलते पाकिस्तान ने विकास की हर डोर से इस इलाके को काट रखा है। लोगों के दिन की शुरुआत दहशत के साथ होती है। करीमा बलूच की तरह की यहां के कई नेता विदेश में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और वहीं रहकर पाकिस्तान से आजादी की मांग उठा रहे हैं। अब जब पाकिस्तान में सियासी हालात बिगड़ रहे हैं, तो इन नेताओं ने वक्त रहते अपना आंदोलन तेज करने का फैसला किया है।
पाकिस्तान टूटने की कगार पर बलूचिस्तान अलग देश बनेगा:- कुछ महीना पहले जिस इलाके में सेनाध्यक्ष राहिल खुर्शीद ने जीप में बिठाकर नवाज शरीफ को घुमाया था। वही इलाका उनके लिए चुनौती बन गया है। चीन की मदद से बन रहे ग्वादर पोर्ट के इलाके में पिछले कुछ सालों से चल रहा आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। इस आंदोलनों को बलूचिस्तान से जुड़े तीन प्रतिबंधित संगठनों से बड़ी चुनौती मिल रही है। इन तीन संगठनों ने चीन समेत तमाम देशों को धमकी दी है कि अगर उन्होंने ग्वादर में अपना दखल बढ़ाया तो खैर नहीं होगी। इन संगठनों का आरोप है कि ग्वादर में चीन जो भी निवेश कर रहा है उसका असली मकसद बलूचिस्तान का नहीं बल्कि चीन का फायदा करना है। बलूचिस्तान के प्रतिबंधित संगठनों ने धमकी दी है कि चीन समेत दूसरे देश ग्वादर में अपना पैसा बर्बाद ना करें, दूसरे देशों को बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा को लूटने नहीं दिया जाएगा। इन संगठनों ने बलूचिस्तान में काम कर रहे चीनी इंजीनियरों पर हमले बढ़ा दिए हैं। 790 किलोमीटर के समुद्र तट वाले ग्वादर इलाके पर चीन की हमेशा से नजर रही है। पाकिस्तान को साथ समझौता होने के बाद चीन ग्वादर पोर्ट का विकास कर रहा है। दावा ये कि ग्वादर पोर्ट बनने के बाद पूरे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संभल जाएगी। लेकिन इन दावों की पोल बलूचिस्तान के लोग खोल रहे हैं। बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि ऐसे में बलूचिस्तान के लोग और नेता लगातार अपने आंदोलन को धार देते जा रहे हैं। उनका दावा है कि जैसे 1971 में पाकिस्तान से कटकर बांग्लादेश बन गया था उसी तरह एक दिन बलूचिस्तान भी बन जाएगा।
बलूचिस्तान के लोग किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं। बलूचिस्तान पाकिस्तान के पश्चिम का राज्य है जिसकी राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तान के पड़ोस में ईरान और अफगानिस्तान है। 1944 में ही बलूचिस्तान को आजादी देने के लिए माहौल बन रहा था। लेकिन 1947 में इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तभी से बलूच लोगों का संघर्ष चल रहा है और उतनी ही ताकत से पाकिस्तानी सेना और सरकार बलूच लोगों को कुचलती रही है। आजादी की लड़ाई के दौरान भी बलूचिस्तान के स्थानीय नेता अपना अलग देश चाहते थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया तो वहां विद्रोह भड़क उठा था। वहां की सड़कों पर अब भी ये आंदोलन जिंदा है। बलूचिस्तान में आंदोलन के चलते पाकिस्तान ने विकास की हर डोर से इस इलाके को काट रखा है। लोगों के दिन की शुरुआत दहशत के साथ होती है। करीमा बलूच की तरह की यहां के कई नेता विदेश में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और वहीं रहकर पाकिस्तान से आजादी की मांग उठा रहे हैं। अब जब पाकिस्तान में सियासी हालात बिगड़ रहे है तो इन नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करते हुए दुनिया भर के देशों से तुरंत बलूचिस्तान से मदद की गुहार लगाई है। मदद की सबसे ज्यादा उम्मीद बलूचिस्तान को भारत से है।
भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के बलूचिस्तान के जिक्र से पाकिस्तानी अखबार बिफरे:-भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस संबोधन में बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर का मुद्दा उठाना कई पाकिस्तानी अखबारों को नागवार गुजरा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (12 अगस्त) को पीएम मोदी ने कश्मीर मसले पर सभी पार्टियों की बैठक में बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचार का मुद्दा उठाया था। पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार डॉन ने “मोदी की आक्रामक भाषा” शीर्षक से लिखे संपादकीय में भारतीय पीएम के भाषण को “कूटनीतिक प्रतिमान” का उल्लंघन बताया। अखबार के अनुसार भारतीय पीएम के बयान को पाकिस्तान धमकी की तरह देखने की ज्यादा संभावना है। अखबार के अनुसार भारतीय पीएम दोनों देशों के बीच की असली समस्या की अनदेखी कर रहे हैं। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री नवाब सनाउल्लाह ज़हरी का बयान छापा जिसमें उन्होंने भारतीय पीएम के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ज़हरी ने अखबार से कहा, “बलूचिस्तान की सरकार और जनता मोदी के बयान को पूरी तरह खारिज करती है।” ज़हरी ने भारतीय पीएम द्वारा बलूचिस्तान की कश्मीर से तुलना करने को भी गलत बताया। ज़हरी ने अखबार से कहा, “बलूचिस्तान के लोग देशभक्त और वफादार हैं। और वो देश के दुश्मनों की चाल में नहीं फंसेंगे।”पाकिस्तानी अखबार द नेशन ने सोमवार को अपने संपादकीय में जम्मू-कश्मीर में होने वाली हिंसा का मुद्दा उठाया है। अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के लोगों को तब तक “कूटनीतिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन” देता रहेगा जब तक उन्हें आत्म-निर्णय के अधिकार नहीं मिल जाता।
भारत के रुख का स्वागत:-सोमवार (15 अगस्त) को भारत के स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों में मुझे धन्यवाद बोला है।पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों ने मेरा आभार जताया है. दूरदराज बैठे लोग हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री का आदर करते हैं तो ये मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है. मैं उन लोगों का आभार जताना चाहता हूं. बलूचिस्तान पर भारत के रुख का बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी यानी बीआरपी ने स्वागत किया है। बलूच रिपब्लिकन पार्टी (BRP) के नेता बरहुमदाग बुगती ने कहा था कि वह चाहते हैं कि भारत पाकिस्तान से उनको अलग करवाने की आवाज उठाए। बलूचों के सबसे बड़े नेता बरहुमदाग बुगती ने बलूचिस्तान का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की तारीफ की है।
एक अन्य बलूच नेता मेहरान मरी ने कहा है कि पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में जनसंहार कर रहे हैं। मरी यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में बलोच प्रतिनिधि हैं। कई बलोच अप्रवासियों ने भारतीय पीएम को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया था। लेकिन पाकिस्तानी अखबारों ने पीएम मोदी के बयानों पर आलोचनात्मक रुख अपनाया। बलूच राष्ट्रीय नेता और बीआरपी के प्रमुख नवाब बरहुमदाग बुगती ने अपने ट्वीट में कहा है हम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का स्वागत करते हैं। एक जिम्मेदार पड़ोसी और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के तौर पर भारत को बलूचिस्तान में दखल देना चाहिए। यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट काउंसिल में बीआरपी के प्रतिनिधि अब्दुल नवाज बुगती ने भारतीय मीडिया से बात करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बलूचिस्तान का मुद्दा उठाने के लिए भारत सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत को ये मुद्दा बहुत पहले ही उठाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में फौजी ऑपरेशन, जबरन दखल और हत्याएं पाकिस्तानी सेना का रुटीन काम बन गया है।
बलोच नेशनल मूवमेंट की हम्माल हैदर बलोच ने कहा कि ये पहली बार है कि भारत के प्रधानमंत्री बलूचिस्तान के लोगों की आवाज उठा रहे हैं। भारत और हम लोग लोकतंत्रिक, सेक्युलर लोग हैं। आपने वही किया है जो मिसेज गांधी ने 1970-71 में किया था। पाकिस्तान एक नाकाम देश साबित हो चुका है। बलूचिस्तान में शांति के बिना पाकिस्तान और इस एरिया में शांति स्थापित नहीं हो सकती है। पाकिस्तान बहुत सारे आतंकवादियों को पनाह दे रहा है और उनको पनपा रहा है। तो ये समय है कि भारत आगे आये और हमको सपोर्ट करे। वहीं वर्ल्ड बलोच वूमेन फोरम की नायला कादरी ने कहा कि बलूचिस्तान के लोग जो संकट के समय से गुजर रहे हैं और हमें आशा है कि आप (पीएम नरेंद्र मोदी) सितंबर में यूएन सेशन में आप हमारे लोगों के इश्यू को उठाएंगे, हम लोग, बालूचिस्तान, पीओके के लोग आपके साथ हैं और आपके सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं। सर्वदलीय बैठक में कहा था कि पीओके भी भारत का ही हिस्सा है। बैठक में पीओके से निर्वासित लोगों से भी बातचीत हो। विदेशों में बसे पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के नागरिकों से भारत सरकार को संपर्क स्थापित करना चाहिए। पीएम ने बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी जिक्र किया।

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