भालू चाचा मचा रहे थे,
सुबह सुबह से हल्ला|
शेर चुराकर भाग गया था,
उनका एक रसगुल्ला|
सभी जानवर भाग दौड़कर,
पकड़ शेर को लाये|
मुश्किल से रसगुल्ला,
भालूजी को दिलवा पाये|
हाथ जोड़कर तभी शेर ने,
सबसे मांगी माफी|
” कभी न अब आगे से होगी,
हमसे ये गुस्ताखी|”
” चोरी करना ठीक नहीं है,
सुनलो मेरे भाई|”
शेरसिंह को सभी जानवरों ने,
फटकार लगाई|
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