दिल्ली विश्व के सबसे बड़े लोकतं त्र भारत की राजधानी है। देश की सरकार यहीं से चलती है और देश के लिए नीतियां भी दिल्ली से ही बनती हैं। दिल्ली में राष्ट् रपति, प्रधानमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर संसद तक है । इन सबके बावजूद लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा नहीं मिल पा रही है। इसका कारण है दिल्ली और देश के कई इलाकों में बढ़ता वायु प्रदूषण। कुछ साल पहले ठण् ड के दिनों में दिल्ली में को हरा छा जाता था लेकिन कुछ सालों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोहरे कि जगह ‘स्मॉग’ (धुंध) ने ले ली है। यह ‘स्मोक’ (धुंआ) और ‘फॉग’ (कुहरे) से मिलकर बना है। यह वा यु प्रदूषण की एक अवस्था है। जो कि अत्यधिक खतरनाक है।
स्मॉग से दिल्ली सहित देश के कई बड़े शहरों (आगरा, लखनऊ, कानपुर , चंडीगढ़ इत्यादि) का वायु प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर पर चला ग या है, उससे दिल्ली सहित इन शहरों के लोगों को स्वास्थ्य सहित तमा म तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशा नी बच्चों और बुजुर्गों को उठा नी पड़ रही है। सबसे ज्यादा परे शानी दिल्ली सहित पंजाब, हरिया णा और उत्तर प्रदेश के कई बड़े म हानगरों में हैं। इन बड़े-बड़े शह रों में अनगिनत जेनरेटर धूंआ उग ल रहे हैं, वाहनों से निकलने वा ली गैस, कारखानों और विद्युत गृ ह की चिमनियों तथा स्वचालित मो टरगाड़ियों में विभिन्न इंधनों के पूर्ण और अपूर्ण दहन भी प्रदू षण को बढ़ावा दे रहे हैं। लगातार जहरीली गैसों कार्बन डाई ऑक्सा इड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट् रोजन आक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और अन्य गैसों सहित एसपीएम, आर पीएम, सीसा, बेंजीन और अन्य खतर नाक जहरीले तत्वों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। जो कि मुख्य कारण है वायु प्रदूषण का। कई राज्यों में इस समस्या का कारण कि सानों द्वारा फसल जलाना भी है। साथ ही साथ अधिक पटाखों का जला ना भी वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। आज जरूरत है केंद्र और प् रदेश सरकारों को वायु-प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य-जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। और लोगों को विज्ञापन या अन्य माध्यम से वायु प्रदूषण व अन्य प्रदूषण के बारे में जागरूक कि या जाना चाहिए। लेकिन विडंबना है कि इस पर अमल नहीं हो रहा है। सरकार को किसानों को फसलों को न जलाने के लिए जागरूक करना चाहि ए। किसानों को फसलों (तूरियों) को जलाने की जगह चारे, खाद बना ने या अन्य प्रयोग के लिए जागरू क करना चाहिए। ज्यादा प्रदूषण क रने वाले पटाखों पर भी सरकार को प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। हमारी सरकार को ईधन की गुणवत्ता को बढ़ाकर पॉल्यूशन को काफी हद तक कंट्रोल करने पर जोर देना चाहिए। जिससे उसमें उपलब्ध जरूरी तत्वों की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो तथा उत्सर्जन निर्धारित मानक अनुसार रहे।
ईंधन से ज्यादा प्रदूषण करने वा ले तत्वों की कमी कैसे की जाए इ स पर भी सरकारों को मिलकर काम क रना चाहिए। कम पॉल्यूशन करने वा ले ईधन जैसे सीएनजी, एलपीजी इत् यादि का अधिक प्रयोग करने लिए लो गों में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। साथ ही साथ यातायात प्रणाली में सुधर करना चाहिए। आज सरकारों को उत्सर्जन मानकों का भी सुदृढ़ी करण करने की जरूरत है। अगर लोग साइलेंसर पर केटालिक कनवर्टर लगाएं तो भी वाहन द्वारा होने वाले वायु प्रदूषण को कम किया जा सक ता है। सरकार को लोगों को वाहनों का समय पर मेंटीनेंस कराने के लिए जागरूक करना चाहिए। जागरूक लोगों को स्वतः ही अपने वाहनों का मेंटीनेंस करना चाहिए।
जब प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो स्वास्थ्य के लिए घा तक हो जाता है, और तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि फेफड़ों में संक्रमण व आंख, नाक व गले में कई तरह की बीमारियों और ब्लड कैंसर जैसी तमाम घातक बीमारियों को जन्म देता है। अगर क् षेत्र में वायु प्रदूषण मानकों से ज्यादा है तो लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे कि वायु में मिले हुए घातक तत्वों और गैसों से काफी हद तक बचा जा सके। आज प्रदूषण को कम करने के लिए हमारी सरकारों को सम-वि षम फॉर्मूला के अलावा अन्य कई उ पाय करने पड़ेंगे। सम-विषम फाॅर्मूला में बाइक और सिंगल महिला वाले वाहनों को भी शामिल करना होगा। साथ ही साथ नियमों को सख्ती से लागू करना होगा। अगर कोई नियम तोड़ता है तो उस पर जुर्मा ने का प्रावधान हो। तभी देश में वायु प्रदूषण से निपटा जा सकता है। अगर देश में वायु प्रदूषण से जुडे हुये कानूनों का सख्ती से पालन हो तो वायु प्रदूषण जै सी समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।
– ब्रह्मानंद राजपूत