मधुमक्खी -अरिष्ट लक्षण

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narendra modi and rahul gandhi  एल. आर. गाँधी

राज कुमार के मधुमक्खियों के छत्ते में ‘रानी मक्खी’ पर जबसे मोदी ने निशाना साधा है …रानी की भक्त मण्डली के मखियाल भिन -भिन्ना उट्ठे हैं …मियाँ रशीद अल्वी को तो मोदी में यमराज के दर्शन होने लगे ..हों भी क्यों न …यमराज तो मात्र प्राण ही हरता है , मोदी राज-पाठ हरने पर उतारू हैं ..जब राज ही नहीं रहेगा तो राजमाता और उनके कुंवारे कुंवर का क्या होगा …जब से राजकुमार ने उद्योगपतियों के जमघट में भारत पर चिरपरिचित ‘हाथी ‘की परिभाषा को नकारा है और इण्डिया को ‘ हाथी नहीं मधुमक्खियों का छत्ता बताया है ..भाजपाइ दोनों हाथों में पत्थर उठाए ‘छत्तो’ की तलाश में निकल पड़े हैं …और ‘रानी मक्खी’ की तो अब खैर नहीं …बहुत चूस लिया इस विदेशी-बी ने …बस एक ही झटके में सत्ता का छत्ता जमीन पर और मधु मक्खी और मखियाल ….ढूंढते रह जाओगे ?

तिवारी जी दो  कदम आगे निकले और अल्वी के नहले पर दहला जमाया और फ़रमाया ‘मोदी २ ० ० २ की ‘घटनाओं ‘ को   नहीं दोहराएं ! मनीष मियां हैं तो सूचना और प्रसारण मंत्री ..शायद २ ० ० २ का इतिहास भूल गए !  ‘घटनाओं के मूल में एक ‘ त्रासदी ‘थी …कारसेवको को ट्रेन में घेर कर जिन्दा जला दिया गया था . अब मियां अल्वी लाख कहें ‘इस देश पर प्रभु राम की कृपा बनी रहे . प्रभु राम तो राम भक्तो के साथ हैं क्योंकि जन्म भूमि पर  तो सदियों पहले ‘बर्बर ‘ जेहादियों ने इक इमारत खड़ी कर दी थी.

जबसे मोदी ने भारत माँ का क़र्ज़ चुकाने की बात कही है …देश को क़र्ज़ के रसातल में पहुचने वालो को सपने में भी मोदी भैंसे पर सवार ,हाथ में दंड लिए उनकी और आते दिखाई देने लगे हैं …इस प्रकार के सपने देखने वाले ‘रोगी’ के लिए   आयुर्वेद में ‘अरिष्ट- लक्षण’ माना गया है …. मृत्यु से पूर्व के लक्षण !

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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