नमो सरकार पर भरोसा कायम रखने की जरूरत

-रंजीत रंजन सिंह-
narendra-modiनरेन्द्र मोदी सरकार को सत्ता में आए एक महीना हो गया। अमुमन इस अवधि को राजनीतिक हनीमुन कहा जाता है। यूं तो एक महीने की अवधि किसी सरकार की कार्यकुशलता की समीक्षा के लिए र्प्याप्त नहीं है, फिर भी पूत का पांव पालने में तो पता चल ही जाता है। नरेन्द्र मोदी ने भले ही आक्रमक अंदाज में चुनावी रैलियों को संबाधित करते हुए भाजपा को बड़ी जीत दिलाई, मगर सत्ता में आते ही उन्होंने विनम्र और परिपक्व राजनेता होने का परिचय दिया। बात शपथ ग्रहण समारोह में सार्क के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाने का हो, उनसे हिन्दी में बातचीत करने का हो, या संसद के दरवाजे पर मथ्थे टेकने का, हर जगह श्री मोदी बदले-बदले सरकार नजर आए। सार्क के राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रित करना व उनके साथ बातचीत कर नए सहयोग की शुरूआत करना, पाकिस्तान के साथ बातचीत कायम रखना, प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुनना, कम खर्च के लिए छोटा मंत्रिमंडल का गठन करना, कम सरकार-ज्यादा शासन देने का संदेश देना, सरकार को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए सभी मंत्रियों को सुबह नौ बजे मंत्रिमंडल पहुंचने को सुनिश्चित करना, चार मंत्रिमंडलीय समितियों को समाप्त करना, मंत्रियों के स्टाफ में रिश्तेदारों पर रोक लगाने जैसे कई निर्णय हैं जिससे अच्छे दिन आने के संकेत मिलते हैं। एनडीए सरकार के एक महीना पूरा होने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी अपने ब्लौग में लिखा है कि उनकी सरकार ने अपना हर एक फैसला सिर्फ राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिया है।

वहीं मोदी सरकार के कुछ निर्णय से आम लोगों में मोदी सराकर के प्रति गुस्सा भी उबलने लगा है। खासकर रेल किराए और माल भाड़े में बढ़ोतरी के साथ -साथ चीनी के दाम बढ़ने से आम जनता खुद को ठगी हुई महसूस कर रही है। इन सबके बीच लोगों के बीच वे सवाल भी हैं कि उन वादों का क्या हुआ जो चुनावी रैलियों में किए गए थे? उन नारों का क्या हुआ जो दिए गए थे? बहुत हुई बिजली की मार अबकी बार मोदी सरकार। क्या कहीं बिजली की दरों में कटौती हई? कहीं महंगाई कम हुई? बहुत हुआ महिलाओं पर अत्याचार-अबकी बार मादी सरकार। क्या कहीं महिलाओं पर अत्याचार कम हुए? देश भर से लगातार बलात्कार की खबरें आ रही हैं। पाक्स्तिानी सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों के सर काटने पर हाय-तौबा मचानेवाली भाजपा अपनी सरकार में पाकिस्तान के साथ साड़ी और शॉल की राजनीति के चक्कर में फंस गई है जबकि सीमा पर रोज संघर्ष विराम का उल्लंघन हो रहा है। धारा 370 और वाड्रा की सुरक्षा सहित उनकी बेतहाशा संपत्ति पर भी सरकार चुप है। भ्रष्टाचार में भी कोई कमी होने के आसार नजर नहीं आए, उल्टे मनमोहन सरकार के एक भ्रष्टाचार के आरोपी को श्री मोदी ने रक्षा राज्य मंत्री बना दिया। सरकार और कॉरपोरेट जगत के साठ-गांठ पर भी लोगों की नजर है। नमो सरकार के ऐसे कई फैसले हैं जिससे आम जनता के मन में यह सवाल आने लगा है कि क्या यही हैं अच्छे दिन! फिर भी प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार आनेवाले वर्षों में भारत को महान उंचाइयों पर ले जाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा है कि देश में सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी इच्छा और निष्ठा के बारे में सरकार के भीतर और बाहर, दोनों जगह मौजूद लोगों को अवगत कराना उनकी सबसे बड़ी चुनौति है। जब प्रधानमंत्री खुद ही अपनी चुनौतियां स्वीकार कर रहे हैं तो आम जनता को भी नमो सरकार के प्रति भरोसा दिखाना होगा। 67 साल की व्यवस्था में लगी जंग को महज चंद महीने में नहीं हटाया जा सकता।

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