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प्यारी दीदी, सॉरी दीदी, मान जाओ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अशोक गौतम अरी ओ ममता दीदी! तुमने तो हद कर दी! हमें औरों से तो ये उम्मीद थी पर कम से कम तुमसे ये उम्मीद न थी। अब हमें मंझधार में किसके सहारे छोड़ दिया री दीदी! ऐसे तो अपने भार्इ के साथ दुश्मन भी नहीं करता। तुम्हारे लिए हमने…