नीचे के भ्रष्टाचार पर भी कार्यवाही हो

सुरेश हिन्दुस्थानी
वर्तमान में भारतीय राजनीति का जो का स्वरुप दिखाई दे रहा है, उससे तो कदाचित यही प्रतीत होता है कि भारत में #लोकतंत्र नहीं, बल्कि राजतंत्र ही काम कर रहा है। भारतीय संविधान के अनुसार हमारे देश की वास्तविक सरकार आम जनता है और सांसद व विधायक इस वास्तविक सरकार के प्रतिनिधि हैं। इसलिए ही उनको जनता के प्रतिनिधि यानी जन प्रतिनिधि कहा जाता है। परंतु वर्तमान में राजनीतिक दलों के चुने हुए नेताओं के जैसे हालात दिखाई दे रहे हैं। उससे यह बिलकुल भी नहीं लगता कि यह राजनीतिक नेता वास्तव में ही जनप्रतिनिधि हैं। आम जनता की भावनाओं को भूलकर यह राजनेता सरकार बनकर व्यवहार करने लगते हैं। राजनेताओं को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि इस देश की असली सरकार जनता ही है।
भारतीय संसद में विपक्षी राजनीतिक दलों का जिस प्रकार का रवैया दिखाई देता आया है और दिखाई दे रहा है। उससे जन भावनाएं आहत हो रहीं हैं। केन्द्र सरकार ने #नोटबंदी की, आम जनता पूरी तरह से सरकार के साथ दिखाई दे रही है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो देश की वास्तविक सरकार यानी जनता केन्द्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के कदम का स्वागत कर रही है, वहीं भारतीय राजनीति में केवल विरोध की राजनीति करने वाले राजनेता वास्तविक सरकार की भावनाओं को दरकिनार करते हुए अलोकतांत्रिक कदम उठा रही है। क्या यही लोकतंत्र है? वास्तव में देखा जाए तो जनता का हर व्यक्ति केन्द्र सरकार की थोड़ी सी बुराई करने के बाद अंत में यही कहता हुआ दिखाई देता कि काम अच्छा हुआ है। यह बात सही है कि नोटबंदी के चलते उन लोगों को ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जिनके पास अवैध कमाई थी या जिन्होंने #भ्रष्टाचार किया। आम जनता को इससे बिलकुल नुकसान नहीं हुआ। मेहनत मजदूरी करने वाले व्यक्ति को तो वैसे भी हजार पांच सौ के नोट से मतलब नहीं था। इसी प्रकार छोटा व्यापार करने वाले की दुकान पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। वह तो जैसा पहले था, वैसा ही आज भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों के बारे में अभी एक और बात कही है कि दो चार महीने में सारे भ्रष्टाचारी जेल में होंगे। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद निश्चित ही उन लोगों में घबराहट पैदा हुई होगी, जिनकी नीयत खराब है। यह बात सौ प्रतिशत सही है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार रुकेगा और काले धन का प्रवाह समाप्त हो जाएगा।

विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं, वह केवल खबरों में बने रहने का एक माध्यम दिखाई दे रहा है। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने साफ़ शब्दों में कहा कि मेरे पास नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रमाण हैं, इसलिए मुझे सदन में बोलने से रोका जा रहा है। राहुल गांधी चाहते तो बाहर भी बता सकते थे, लेकिन उन्होंने नहीं बताया। इस बात पर कई प्रकार के संदेह पैदा हो रहे हैं। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक कदम ही माना जाएगा।
हम जानते हैं कि देश में फैले भ्रष्टाचार के कारण आम जनता कराह रही थी। प्रधानमंत्री ने इसके विरुद्ध अभियान चलाया है। अगर देश के नागरिकों का इस अभियान को समर्थन मिलता है तो वह दिन दूर नहीं जब देश में भ्रष्टाचार नाम की चीज नहीं रहेगी। केन्द्र सरकार ने इसकी पहल कर दी है। जरुरत है देश वासियों के समर्थन की है। जहां तक नोट बंदी के बाद उत्पन्न हालातों के बारे में अध्ययन किया जाए तो यह बात सही है कि देश की जनता को जिन समस्याओं का सामना किया, वह केन्द्र सरकार की देन नहीं हैं। यह समस्या केवल उन लोंगों ने बिगाड़ी है, जिनकी नीयत खराब है। इस घोटाले में कई बैंक के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। वास्तव में सरकार ने जो राशि आम जनता के लिए प्रदान की थी, उसे इन बैंक कर्मचारियों ने अपना स्वार्थ देखते हुए ऐसे लोगों के हाथों में सौंप दी, जिनसे उनको लाभ होने वाला था। हालांकि केन्द्र सरकार ने कुछ बैंकों का स्टिंग कराया है। इस स्टिंग में सारा काला कारनामा समाया हुआ है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि जब सरकार अ‘छा काम करना चाहती है तब हमारे देश के कर्मचारी भ्रष्टाचार की लीक पर चलना क्यों चाहते हैं? केन्द्र में कांगे्रस सरकारों के शासनकाल में प्राय: यही कहा जाता था कि जब ऊपर वाले भ्रष्ट हैं तो हम क्या कर सकते हैं? वर्तमान में केन्द्र सरकार ने यह साबित कर दिया है कि आज ऊपर वाले भ्रष्ट नहीं हैं। लेकिन नीचे वाले पुरानी सरकार के समय में चलने वाले खेल को दोहराना चाहते हैं। जिनकी नीयत में ही खोट है, ऐसे लोगों से सुधार की गुंजाइश करना पूरी तरह से बेमानी ही है।
भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रकार से आयुर्वेद जैसी उपचार पद्धति अपनाई है। आयुर्वेद उपचार की विशेषता है कि धीरे धीरे ही सही समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी। किसी भी प्रकार की समस्या को इस पद्धति से समाप्त करने के लिए धीरज रखने की आवश्यकता है। देश की जनता जितना धीरज से काम लेगी, उतना ही अ‘छा होगा। इससे देश को तो बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला ही है, लेकिन आम जनता भी आने वाले समय में प्रसन्नता का अनुभव करेगी।
आज देश में जिस प्रकार का व्यभिचार दिखाई दे रहा है, उसमें सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार से कमाया हुआ धन है। क्योंकि अनीति से की गई कमाई कभी संस्कार नहीं दे सकती। इस प्रकार की कमाई परिवारों को तबाह कर देती हैं। अनीति की कमाई कुछ समय का सुख प्रदान कर सकती हैं, लेकिन जीवन का वास्तविक आनंद नहीं दे सकती। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि अगर हम लालच दिखाएंगे तो हर कोई लालच दिखाएगा। लालच ही काले धन और भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा कारण है, सरकार ने अपना काम कर दिया है, अब जनता को अपना काम करना होगा।
सुरेश हिन्दुस्तानी

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