भगवान के नाम पर हो रहा है व्यापार

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भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों की संख्या में देवी देवताओं को पूजा जाता है तथा एक मान्यता के अनुसार तैंतीस करोड़ देवी – देवता है । भगवान की पूजा – पाठ की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी पूजा पाठ की परंपरा का चलन है प्राचीन तथ्यों के अनुसार इस धरती का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था । भारत का सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद माना जाता है ।
आज ऐसा कोई ही क्षेत्र , गांव कस्बा रहा होगा जहां मन्दिर न हो , लगभग हर क्षेत्र में मन्दिर देखने को मिलते हैं जहां पर लोगों की भीड़ जमी रहती है क्योंकि मन में आस रहती है कि भगवान उस का भला करेगा । प्राचीन काल में राजा महाराजाओं ने बहुत बड़ी संख्या में मन्दिरों का निर्माण करवाया है जो आज भी विद्यमान है । पूर्व में कोई अकेला मन्दिर बनवाता था और आधुनिक जमाने में सभी चंदा इकट्ठा करके मन्दिरों का निर्माण करा रहे है ।
आज इस बात को मानने वालों की बहुत कमी है कि अगर भगवान को प्रसाद में दूध , मिठाई , नारियल इत्यादि चढ़ाया जाता है तो क्या वह इसे खाता है ? क्या वह इसे अपने पास ले जाता है ? कहीं मूर्तियों पर दूध चढ़ाया जाता है तो कहीं पर तेल , और यह सब आखिरकार गंदे पानी के नाले में चला जाता है जिससे न तो भगवान को कुछ मिलता है और न ही किसी गरीब को । जबकि दूसरे परसाद में जो सूखा चढ़ावा आता है उसका न जाने लोग क्या कर देते हैं, लेकिन यह सब मानने वाले बहुत ही कम मिलते हैं साथ ही मन्दिर में धन की सन्दूक भी रख देते हैं जिसमें भक्तगण कैसे डालते हैं और पुजारी यह बोल देता है कि तुम्हारा काम जल्द हो जाएगा । बड़े एवं लब्धप्रतिष्ठ अमीर लोग मन्दिरों में सोना चढ़ाते है , भगवान की मूर्ति सोने की बनवाते है ऐसे करते – करते मन्दिरों में अनन्त धन इकट्ठा हो रहा है , क्या यह सब न करने पर भगवान हमारी नहीं सुनेगा । इससे चाहे फायदा कुछ भी न हो लेकिन फायदा होने भी नहीं देना चाहते है , कुल मिलाकर भगवान के नाम पर व्यवसाय ही हो रहा हैं ।
आज अलग – अलग जगहों पर भगवान के पुजारी न जानें खुद को कितना बड़ा समझते है आश्रम खोल देते है और अपना धंधा शुरू कर देते है साथ ही यहां पैसों की तो बरसात होती ही है लेकिन ”देह व्यापार” भी साथ में करते है ।
भक्तजनों के दुःखों को दूर करने के लिए ये भगवान के शिष्य साथ में “सेक्स रैकेट” भी चलाते है लेकिन अपनी पकड़ मजबूत रखकर सच सामने नहीं आने देते है । फिर इन्हीं में से कोई हिम्मत करके इनसे लड़ता है । ऐसा ही कुछ आशाराम बापू के साथ हुआ जो कुछ सालों सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक प्रसिद्ध बापू माने जाते थे लेकिन अब 2013 से अपनी नीच करतूतों के कारण जेल में चक्की पीस रहे रहे । कुछ तथ्यों से पता चलता है कि आशाराम अपने आश्रमों में गुप्त हॉल भी रखता था जहां पर वो लड़कियों को तंग किया करता था साथ ही ब्लैकमेल भी करता था । बाहर नाच – कूदकर भगवान के नाम पर पैसे लूटता था और अंदर देह । आखिरकार 2013 में ऐसे पाखण्डी (आशाराम) को गिरफ्तार किया गया , साथ ही इनके बेटे नारायण सांई को भी यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कर दिया गया यह भी धार्मिकता के प्रति श्रद्धा रखता था ।
इधर हरियाणा में एक संत रामपाल का भी आश्रम था ये भी धार्मिक उलझन में डालकर व्यापार चला रहे थे , तथा हिन्दू देवी – देवताओं को सबसे तुच्छ मानता था इनके अनुसार सब कुछ कबीर ही है । ये भी खूब पैसों की लूट करते थे साथ में सेक्स रैकेट का भी धंधा चला रहे थे एवं इनके आश्रम से तो हथियार भी मिले थे और हज़ारों की संख्या में इनके भक्त थे । लेकिन कानून के आगे नहीं टिक पाए , इन्हें भी गिरफ्तार किया गया । ऐसा ही एक और चेहरा है एक औरत का जिसका नाम “राधे मां” है इन पर भी सेक्स रैकेट का केस चल रहा है ।
आज भगवान के नाम पर इत्यादि प्रकार के धंधे चल रहे है , लोग मन्दिर निर्माण के नाम पर पैसे इकट्ठा करते है लेकिन मन्दिरों का निर्माण तो कम ही देखने को मिल रहा है । अगर आज कोई गरीब व्यक्ति खाने के लिए कुछ मांगे तो उसको कोई कुछ नहीं देता है , ऐसे लोग सड़कों पर बहुत मिलते है और अगर जब मन्दिरों में पैसों की बात होती है तो अगर पास में नहीं है तो उधार ही लेकर दे देते है । इसका मतलब यह नहीं है कि भगवान नहीं है , आज भगवान है लेकिन वो भगवान नहीं रहा जिसने हमको बनाया था । आज हमने जो भगवान बनाकर रखा है वो ही भगवान रहा है क्योंकि भगवान यह मांग थोड़ी ही करता है कि मुझे रुपये चाहिए , मुझे बली चाहिए तो फिर यह सब क्यों ?
आज लोग भगवान को विभिन्न रूपों में बेच भी रहे है । कोई मूर्ति बनाकर बेच रहा है तो कोई ध्वजा पर उनकी आकृति बनाकर सभी कुछ न कुछ भगवान के नाम पर कमाई कर रहे है । जब कोई भगवान का भक्त मन्नत मांगता है तो पुजारी लोग हमेशा बोलते है कि इतने रुपये चढ़ादे भगवान तेरी जरूर सुनेगा , अब पुजारी को क्या पता कि भगवान ने पैसों की मांग की है ।
क्या यह उचित है कि भगवान के नाम पर व्यवसाय करें ? भगवान कदापि नहीं चाहेगा कि उसके भक्तों को कोई समस्या हो , तो फिर भगवान के नाम पर व्यवसाय क्यों ?
एक नज़रिये से अगर समस्त मन्दिरों के धन को इकट्ठा करके गरीबों के लिए कुछ कार्य करें तो भारत की आर्थिक स्थिति बदल सकती है एवं गरीबी खत्म हो सकती है । ऐसे ही देशवासियों की आँखें खोलने के लिए ऐसी धर्म आधारित फ़िल्में भी बनाई जाती है ताकि लोग आज के सच को जाने , लेकिन इनका प्रभाव भी कुछ ज्यादा नहीं पड़ रहा है । कहा जाता है कि शिरडी के सांई बाबा के मन्दिर में सबसे ज्यादा सोना है लेकिन अगर सांई बाबा के जीवन के बारे में पढ़े तो पता चलेगा कि जब वे जीवित थे तो बहुत ही निर्धन थे लेकिन अब धन ही धन चढ़ाया जा रहा है । अगर एक हिसाब से यही धन देश के लिए प्रयोग हो तो कुछ अलग हो सकता है । ये भी बहुतों से सुना है कि “ईश्वर एक है” – तो फिर इनकी पूजा – पाठ अलग – अलग तरीकों से क्यों की जाती है ? मुसलमान यह मानते है कि अल्लाह पशुओं की बली मांगता है और हिन्दूओं में यह बोला जाता है कि जीव हत्या रोको ।

लेखक:-rampalराजू सुथार ‘स्वतंत्र’

2 COMMENTS

  1. bhai baat to sai hai na par sab karmo ka lekha jokha hai abdul kalam b garib tha insan ki soch gareeb hai wo nahi mandir m to astha ki liye chdaya jata sab jaise sradh karte hai. .

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