भजन: शिव शंकर

तर्ज: छम छम नाचै वीर हनुमाना

मु: झूम झूम नाचै भोला हमारा।
कहते हैं इसको पारवती का प्यारा।।
झूम झूम नाचे _

अंत १: कैलाश पर डमरू बजा कर नाचै।
राम जी की मस्ती में मस्त हो कर नाचै।।
मि : भांग के नशे में, लागै है सबसे न्यारा।
झूम झूम नाचे _

अंत २ : अंग अंग पर भस्मी, गले मुंड माला।
माथे पर चाँद सोहे, तन पर मृग छाला।।
मि: शीश पर शोभित है गंगा की धारा।
झूम झूम नाचे __

अंत ३: संग जग जननी, गोदी गणपति लाला।
जगत का है स्वामी, ये त्रिशूल वाला।।
मि: दुःख दूर करेगा, जो भी हो तुम्हारा।
झूम झूम नाचे __

अंत ४: भूत प्रेत संग रहे, शमशान वासी।
ऋषिमुनि समझ न पावें, अजब सन्यासी।।
मि: पापियों का कर दे ये तो संघारा।।
झूम झूम नाचे __

अंत ५: ब्रह्मा विष्णु भी पार नहीं पाते हैं।
नेति नेति बोलकर ध्यान सब लगाते हैं।।
मि: नन्दो का इष्ट यह, सबको ही तारा।
(राकेश का इष्ट, शिव डमरू वारा)
झूम झूम नाचे __

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