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भक्ति रस से उपजा वीर रस - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री भारत पर विदेशी हमलों की शोकगाथा बहुत पुरानी है । उतनी ही पुरानी इसकी संघर्ष गाथा है । लेकिन संघर्ष और शत्रु से मुक़ाबला कितना ही शौर्यपूर्ण क्यों न रहा हो , अन्ततः भारत के भाग्य में परवश होना ही वदा था । शायद इसीलिए आचार्य…