भोजपुरी के नाम रही राजधानी की एक शाम

“दिल्ली, बंबई, कलकत्ता, चाहें रहिह मसूरी में… पढिह-लिखिह कवनो भाषा, बतिअइह भोजपुरी में….”

भोजपुरी की प्रसिद्ध गायिका भानुश्री ने मंच पर आकर जब यह गीत शुरु किया, तो एक पल के लिये ऐसा लगा मानो देश-विदेश में फैले करोडों भोजपुरी भाषियों को एक संदेश दिया जा रहा हो, कि आप कहीं भी रहें, कोई भी भाषा पढें, लेकिन जब भी आपस में मिलें, तो भोजपुरी में ही बात करें। कुछ इसी तरह का संदेश दिल्ली को देकर गई 17 जुलाई की शाम, जब भोजपुरिया समाज के सबसे बडे ऑनलाइन सोशल नेटवर्क जय भोजपुरी डॉट कॉम का प्रथम स्थापना दिवस समारोह नई दिल्ली के राजेन्द्र भवन में संपन्न हुआ।

भोजपुरी टीवी चैनल मैजिक टीवी के चेयरमैन श्री अशोक गुप्ता व भोजपुरिया समाज के अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में जब जय भोजपुरी परिवार के सदस्य आपस में एक-दूसरे से मिले, तो उनके चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दी, अपने उन मित्रों से आमने-सामने मिलने की, जिनको आज से पहले वो लोग सिर्फ ऑनलाइन ही मिल पाये थे। यह वक्त उन लोगों से बातचीत करने का था, जिनसे आज तक लोग सिर्फ “ऑनलाइन चैट” ही करते थे। इस खुशनुमा माहौल में बहुत लोग अपनी भावनाओं पर काबु नहीं रख पाये, और परिचय के दौरान ही कई लोगों की आँखे छलक पडीं। और छलकें भी क्यों ना, यह मौका था इस महानगर में “अपने लोगों” से मिलने का, अपनी भाषा (भोजपुरी) में बात करने ना, वह भाषा जिसे शायद इस महानगर के सुनने को कान तरस जाते थे।

कार्यक्रम की शुरुआत में परिचय के दौरान ही वेबसाइट के वरिष्ठ सदस्य श्री अनूप श्रीवास्तव, श्री शशिरंजन मिश्र व कई अन्य सदस्यों ने भोजपुरी को उसका सम्मान दिलाने की बात पुरजोर तरीके से उठाई। इन वक्ताओं का मानना था कि जब तक हमारे समाज के युवा वर्ग में भोजपुरी बोलने को लेकर झिझक खत्म नहीं होगी, तब तक इस भाषा को बाकी लोग भी सम्मान नहीं देंगे। “शुरुआत अपने घर से करनी होगी, और वह शुरुआत हो चुकी है… आईये हम सभी प्रण लें कि अपने लोगों से जब भी मिलें, तो भोजपुरी में ही बात करें,” श्री अनूप श्रीवास्तव के इस आह्वान का सभागार में मौजुद लोगों ने तालियों की गडगडाहट से स्वागत किया। जय भोजपुरी परिवार के प्रथम स्थापना दिवस का केक संयुक्त रुप से सुश्री भानुश्री व श्री पंकज प्रवीण ने काटा, और इस से अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के साथ-साथ आधुनिकता से भी परहेज नहीं करने का संदेश दिया गया।

भोजपुरी की बाकी संस्थाओं के कार्यक्रमों से इतर इस कार्यक्रम में भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने को लेकर कोई नारेबाजी नहीं हुई, बल्कि यह फैसला लिया गया कि पहले हमें खुद को मजबूत करना होगा। सभागार में मौजूद लोगों का मानना था कि जब हमारे समाज में एकता आ गई, तब भोजपुरी को मान्यता देने के लिये सरकार व संसद मजबूर होगी। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में “इंटरनेट पर भोजपुरी का दखल” विषय पर एक परिचर्चा भी हुई, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रमोद कुमार तिवारी व श्री शशि रंजन मिश्रा समेत अन्य वक्ताओं ने भोजपुरी के विकास में इंटरनेट के योगदान पर प्रकाश डाला। इस परिचर्चा में एक बात उभर कर आई कि आज के जमाने में इंटरनेट एक वैश्विक मंच का रुप ले चुका है, और भोजपुरिया डॉट कॉम तथा जय भोजपुरी डॉट कॉम जैसी वेबसाइटों की वजह से भोजपुरी को भी इंटरनेट पर एक अलग पहचान मिली है। इन वेबसाइटों पर लोग ना सिर्फ अपनी भाषा में अपनी रचनायें लिख रहे हैं, बल्कि अपने क्षेत्र के लोगों से जुडकर अपने दिल की बात भी आपस में बाँट रहे हैं।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में भोजपुरी गीतों का एक रंगारंग कार्यक्रम हुआ, जिसमें कई दिग्गज कलाकारों ने अपने गीतों से लोगों को झुमने पर मजबूर कर दिया। इस सत्र की शुरुआत प्रसिद्ध गायिका सुश्री भानुश्री के भक्ति गीत से हुई, जिसके तुरंत बाद उन्होंने “जय भोजपुरिया, जय यूपी-बिहार…” गीत गाकर युवाओं में जोश भर दिया। अपने अंतिम गीत के रुप में “पढिह-लिखिह कवनो भाषा, बतिअइह भोजपुरी में…” गाकर भानुश्री जी ने कार्यक्रम को एक नई दिशा दी। उसके बाद कोलकाता से आये श्री बिमलेश तिवारी कौशल ने प्रसिद्ध भोजपुरी कवि महेन्द्र मिश्र द्वारा रचित गीत “पटना से बैधा बुलाई द…” से समां बाँध दिया। तत्पश्चात श्री शशि सागर ने मनोज तिवारी के प्रसिद्ध गीतों को अपनी आवाज में गाकर पूरे सभागार को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम के अंत में श्री पंकज प्रवीण ने आकर अपनी नई एलबम “चाहत में सनम” से कुछ नगमे सुनाये, तो पूरे सभागार में जान आ गई। इसके अलावा उन्होंने “दिल दिवाना भइल…” पर भी खुब तालियाँ बटोरीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सत्येन्द्र कुमार उपाध्याय ने की, व इसका संयोजन श्री मोंटू सिंह ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री नवीन भोजपुरिया, श्री एस. चौहान, श्री शरत निखिल, व संचालक श्री अखिलेश कुमार का विशेष योगदान रहा। इस कार्यक्रम की सबसे विशेष बात यही रही कि इसके आयोजक, श्रोता व कलाकार सभी जय भोजपुरी डॉट कॉम के सदस्य थे। जय भोजपुरी डॉट कॉम के सदस्यों के लिये यह एक ऐतिहासिक पल था, और उनमें अपनी भाषा व संस्कृति को संजोये रखने की ललक स्पष्ट दिखाई दी।

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