भोपाल जेल ब्रेकः- सेकुलरवादियों की फिर सियासत गरमायी

bhopalमृत्युंजय दीक्षित
जब पूरा देश दीपावली के महानपर्व की खुशियांे में डूबा था तथा आकाश पटाखों की रोशनी से सराबोर हो रहा था ठीक उसी समय देश व देश की समस्त राजनीति को हिलाकर रख देने वाली एक ऐसी घटना घट गयी जिससे पूरा देश हिल गया लेकिन देश के विपक्षी दला जिनकी आधारशिला मुस्लिम वोटबैंक ही हैं की एक बार फिर मानो वोटबैंक की लाटरी खुल गयी। उसी दिन पड़ोसी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर असहनीय अत्याचार किये गये लेकिन उस हृदयविदारक घटना पर किसी भी सेकुलर वादी दल व नेता का दिल अभी तक नहीं पसीजा है।

दीपावली की देर रात कुख्यात आतंकी संगठन सिमी के आठ खूंखार आतंकवादी अवसर का लाभ उठाकर जेल मेंतैनात एक प्रहरी रमाशंकर की गला रेत कर हत्या कर देते हैं और देश की सबसे सुरक्षित जेल की दीवार को लांघकर फरार होन में सफल हो जाते हैं। जेल से आठ आतंकियों का फरार हो जाना बेहद दूर्भाग्यपूर्ण व जेलों की सुरक्षा के इंतजाम की पोल खोलने वाली घटना थी। जब इस घटना की सूचना मीडिया के माध्यम से पूरे देशभर में फैली व भोपाल से लेकर दिल्ली तक हाईएलर्ट के बहाने डैमेज कंट्रोल को लेकर बैठकों का दौर शुरू ही हुआ था कि उतनी ही देर में सभी आठ आतंकियांे के मारे जाने की खबर पूरे देशभर में फैल गयी। बस यहीं से सभी सेकुलरवादी, मानवाधिकारवादी तथा अल्पसंख्यक वोटबैंक व उनके अधिकारों के मसीहा अपने बिलों से बाहर निकल पड़ें । सभी दल व संगठन एकतरफा ढंग से सोची- समझी रणनीति के तहत मप्र की भाजपा सरकार पर फर्जी एनकाउंटर करवाने का आरोप गढ़ने लग गये। सोशल मीडिया में भी टिवटर वार शुरू हो गयी व टी वी चैनलों पर भी गर्मागर्म बहसें शुरू हो गयीं।
मप्र कांग्रेस के नेता दिगिविजय सिंह,कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया , हैदराबाद के अवैवेसी के अलावा जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं वहां पर भी सभी भाजपा विरोधी दल एकजुट होकर आतंकियों के मारे जाने की घटना को फर्जी एनकाउंटर बताकर हमलावर होते जा रहे हैे। उप्र के आगामी विधानसभा चुनावों में मुस्लिम वोटबंैक की सबसे बड़ी चाहत रखने वाली बसपा नेत्री मायावती ने भोपाल की घटना पर सवालिया निशान लगाते हुए घटना की न्यायिक जांच की मांग कर रही है। विपक्ष के दबाव को कुछ कम करने के लिए सरकार ने घटना की जांच एनआईए के हवाले कर दी है लेकिन वह केवल जेल से आतंकवादी क्यों और कैसे फरार हो गये केवल इस बात की ही जांच करेगी। मप्र मानवाधिकार आयोग ने भी सरकार से रिपोर्ट मांगी हैं।वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने विपक्ष की सभी मांगांे को खारिज कर दिया है।
एक ओर जहां वर्तमान समय में भारतीय सेना पाकिस्तानी आतंकियों व सेना को सीमा पर मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं तथा देश के अंदर भी देशद्रोही ताकतों को सख्ती के साथ कुचला जा रहा है उस समय देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल अपनी हरकतों के कारण देश के दुश्मनों का हौसला बढ़ाते ही नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खून की दलाली वाला बयान देकर अपनी किरकिरी करवा ली थीं वहीं अब दिग्विजय सरीखे नेता अपनी बयानबाजी के माध्यम से कांग्रेस पार्टी को ही आतंकवादियों के समर्थन में खड़ा कर रहे हैं। आज भेपाल जेलबे्रक को लेकर जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं वह कांग्रेस ही नहीं अपितु पूरे विपक्ष का सबसे निम्न व घटिया स्तर है। आज का पूरा विपक्ष पीएम मोदी का विरोध करते -करते देशद्रोही ताकतों के साथ खड़ा दिखलायी पड़ रहा है। भोपाल एनकाउंटर पर आम आदमी पार्टी
के नेता अरविंद केजरीवाल व बसपा नेत्री मायावती तो बेवजह संघ पर ही हमलावर हो रहे हैं। जबकि इस घटना से संघ परिवार का तो कोई लेनादेना ही नहीं है। किसी भी दल ने मध्यप्रदेश पुलिस बल की मात्र आठ घंटे मेंही आतंकियों को उनके असली ठिकाने तक पहुचानें की प्रशंसा तक नहीं की ओैर नहीं शहीद रमाशंकर के परिवार के प्रति कोई संवेदना जाहिर की। यह इन दलों की विकृत मानसिकता का परम उदाहरण है। यह सभी दल आगामी चुनावों में इस मुददे को अपने हिसाब से भूनाने में कोई कोरकसर नहीं बाकी रखेंगे।
सबसे खतरनाक प्रश्न तो दिग्विजय सिंह ने पूछा हैं कि आखिर जेल से मुस्लिम ही क्यों भगते हैं? यह तो मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि देश को हिलाकर रख देने वाला इतना बड़ा जेलब्रेक कांड उसके शासनकाल में हुआ लेकिन यदि यही हादसा अगर कांग्रेस के शासनकाल में हुआ होता तो तब इन कांग्रेसी व सेकुलरवादी नेताओं के क्या विचार होते? वर्तमान समय में मोदी विरोध के चलते सब अपनी राजनीति को चमकाने में लग गये हैं। इस घटना को पूर्व में घटी दादरी जैसा बनाने का षडयंत्र रच लिया गया है। इन दलों की बयानबाजी से यह भी साफ हो गया है कि यह सभी दल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति कितने गंभीर हैंे। यह सभी दल वोटबैंक की खातिर आतंकियों की मौत पर आंसू बहाकर अपनी राजनीति को गर्मा रहे हैं। कांग्रेस पहले भी कई बार आतंकियों व देशद्रोही गतिविधियों में शामिल लोगों का समर्थन कर चुकी हैं । आज कीकांग्रेस व बुद्धिजीवी वास्तव में बौद्धिक रूप से दिवालिया हो चुके हंै। इन दलों व नेताओं का यदि यही रवैया रहा तो यह सभी जनता की नजरो में गिर जायेंगे। पूरे घटनाक्रम पर सबसे विकृत टिप्पणी तो मार्कंण्डेय काटजू ने की हैं उनका कहना है कि भेपाल का एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी था ओैर इसके लिये जो भी दोषी हेै उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिये क्या मार्कंडेय काटजू देश की सेना के शहीद जवानों व उनके परिवार वालों के साथ नहीं हैं। उनका बयान मर्यादाविहीन तथा देश की शहादत का अपमान करने वाला है।
दूसरी ओर बांग्लादेश में भी दीपावली के दिन हिंदुओं के 15 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त किया गया तथा हिंसक झडपों में 100 हिंदू घायल हुए व कुछ हिंदू महिलाओं केे साथ अभद्रता किये जाने का भी समाचार है। लेकिन इस वीभत्स अत्याचार पर किसी भी संेकुलर नेता व मानवाधिकारी का दिल अभी तक नहीं पसीजा हैं क्योकि वह वोटबैंक नहीं है। यह भारत के सभी दलों की दोहरी विकृत मानसिकता का परम उदाहरण हैं।

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