बोधगया विस्फोट :ओछी राजनीति

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bodh gaya

समूचे विश्व को मानवता, विश्व बंधुत्व और शांति का सन्देश देने वाले भगवन बुद्ध के बोधस्थल बोधगया के महाबोधि मंदिर में आधा घंटे के भीतर नौ विस्फोट की आतंकवादी घटना की जितनी निंदा की जाये कम है।भारत के तो सभी प्रमुख नेताओं ने इसकी निंदा की ही है।पडोसी श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा भी इस पर दुःख व्यक्त किया है।अभी तक पॉप सहित किसी भी पश्चिमी देश द्वारा इस घटना के बारे में किसी प्रतिक्रिया की जानकारी नहीं है।वहीँ भारत के कुछ क्षुद्र बुद्धि के राजनीतिज्ञों ने इसमें भी ओछी राजनीति शुरू कर दी है।
एन आई ए द्वारा पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड हेडली से पूछताछ में उसने ये बता दिया था की लश्करे तोयबा द्वारा महाबोधि मंदिर की एक वीडियो फिल्म बनवाई गयी है और वो वहां विस्फोटों की योजना बना रही है।इन्डियन मुजाहिदीन के आतंकी और विस्फोटक विशेषज्ञ सैयद मकबूल ने भी पुलिस को बताया था की बोध गया को शिकार बनाने की योजना है।इस जानकारी के बाद एन आई ए तथा दिल्ली पुलिस द्वारा बिहार सरकार  को सूचना व चेतावनी काफी समय पहले ही दे दी थी।दिल्ली पुलिस की विशेष सेल द्वारा पकडे गए इन्डियन मुजाहिदीन के आतंकियों सैयद मकबूल,असद खान, लगदा इरफ़ान और इमरान खान द्वारा अक्तूबर २०१२ में जांच में बताया था की हेदराबाद के दिलसुखनगर और बोध गया के महाबोधि मंदिर की पाकिस्तान स्थित उनके आका रियाज़ भटकल के निर्देश पर टोह ली गयी थी।हेदराबाद के दिलसुखनगर में २२ फरवरी २०१३ को हुए विस्फोट ने इस जानकारी की सच्चाई पर मुहर लगा दी थी इन आतंकवादियों द्वारा दी गयी जानकारी अनुसार दिल्ली का भीडभाड वाला सदर बाजार और चांदनी चौक तथा मुंबई के अँधेरी स्थित मेक्डोनाल्ड रेस्तरां , सांता क्रुज स्टेशन के समीप स्थित साड़ी की दुकानें और फ़ास्ट फ़ूड सेंटर,दादर बस स्टॉप, सी एस टी स्टेशन,पनवेल स्टेशन तथा बांद्रा और जोगेश्वरी के कुछ स्थान आतंकियों के अगले टारगेट हो सकते हैं।तिहाड़ जेल में बंद आई।एम् के आतंकी से एन आई ए द्वारा हेदराबाद धमाकों के बाद भी पूछताछ की गयी थी।और सारी जानकारी व चेतावनी बिहार सरकार , डी जे पी और गया के एस पी को भी भेज दी गयी थी।पिछले तीन माह में इस बारे में दो बार सूचना और चेतावनी भेजी गयी थी पंद्रह दिन पहले ही दो आतंकियों के स्केच भी बिहार पुलिस को भेजे गए थे।लेकिन बिहार प्रशासन इस मुगालते में डूबा रहा की बिहार में आतंकी कोई वारदात नहीं करेंगे क्योंकि बिहार उनके लिए नेपाल व बांग्लादेश से आने का एक ”सुरक्षित” गलियारा है।
नेशनल सुरक्षा गार्ड ने अपनी पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा है।२६/११ के मुंबई काण्ड में वहां पहुँचने में हुई देरी की अक्षम्य गलती से आतंकियों को रणनीतिक लाभ मिला था।लेकिन कल के बोधगया विस्फोटों के बाद भी वहां पहुँचने में बारह घंटे से ज्यादा लगे।वजह?गलत वायुयान का चयन।
हमेशा की तरह अनर्गल बोलने की अपनी परंपरा को कायम रखते हुए बडबोले दिग्गी राजा ने गैर भाजपा शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिन्दू संगठनो से सतर्क रहने का उपदेश दे डाला है।उन्होंने कहा है की भाजपा नफरत और साम्प्रदायिकता की राजनीति करती है।और उन्होंने विशेष तौर पर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को सतर्क रहने की सलाह दी है।मुस्लिम संगठनों ने भी तुरत फुरत बोधगया की घटना को म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों से जोड़ने की निंदा कर दी है।जमियत उलेमा-इ-हिन्द के मौलाना करी मुहम्मद उस्मान मंसूर्पुरी और मौलाना महमूद मदनी ने इसे म्यांमार के साथ जोड़े जाने को गैर जिम्मेदराना और जख्मों पर नमक रगड़ने वाला बताया है।शायद उन्होंने लश्करे तोयबा के मुखिया हाफिज सईद द्वारा कुछ समय पूर्व दिए धमकी भरे बयान को या तो पढ़ा नहीं है या नजरंदाज़ कर दिया है जिसमे उसने भारत को म्यांमार की मदद पर चेतावनी दी थी और बांग्लादेशी आतंकी समूह हुजी रोहिंग्या मुस्लिमों और आई एस आई के औजार बनते रहे हैं।दिल्ली पुलिस और एन आई ए द्वारा पकडे गए आतंकियों से मिली जानकारी से ये पता चल चुका है की इंडियन मुजाहिदीन के ओपरेशन चीफ अहमद ज़रा सिद्दिबप्पा उर्फ़ यासीन भटकल द्वारा बिहार के असदुल्लाह अख्तर के साथ दरभंगा में एक साल बिताकर आम के बगीचों में बम परिक्षण करके ही पुणे में अगस्त २०१२ में ब्लास्ट किये थे और उन्ही का हाथ हैदराबाद के विस्फोटों में भी माना जा रहा है।भटकल ने दरभंगा में निवास एक यूनानी डाक्टर इमरान के नाम से किया था और वहां से मुस्लिम युवकों को भर्ती किया था।बिहार सरकार इन सभी घटनाक्रमों से अनजान बनी रही।जबकि सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार फरवरी २०१० का पुणे का जर्मन बेकरी विस्फोट,अप्रेल २०१० का बंगलुरु का चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट और दिल्ली की जामा मस्जिद में गोलीबारी की २०१० की घटनाएँ तथा २०११ में मुंबई में विस्फोट की घटनाओं में गिरफ्तार सभी मुलजिम बिहार के दरभंगा के ही हैं।अतः बिहार में आतंकियों के मोड्यूल की मौजूदगी एक जमीनी हकीकत है।
इस समय सभी देशभक्त लोगों को एक जुट होकर इस प्रकार के लोगों के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए।लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ क्षुद्र बुद्धि के राजनेता इस अवसर को भी वोट बेंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहे है।जिसकी जितनी  निंदा की जाय कम है।

 

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  1. बिहार के डीजीपी तथा मुख्यमन्त्री अपने सौभाग्य पर प्रसन्न हैं कि उन्होंने आईबी तथा अन्य की सूचनाओं पर कोई कार्यवाही नहीं की नहीं तो उन पर तथा सूचना देने के लिये आईबी अधिकारी तथा दिल्ली के पुलिस कमिशनर पर हत्या का आरोप लग चुका होता तथा मकबूल को सम्भवतः भारत रत्न मिलता। थाना अफसरों की आदत है कि किसी भी अपराध के लिये छोटे असहाय चोरों को पकड़ लेते हैं। वैसे एक व्यक्ति को पकड़ कर उसे आतंकवादियों का सहायक घोषित कर दिया। सहायक भले ही पकड़े जांय, मुख्य को नहीं छू सकते। टीवी कैमेरा लगाने से कोई फायदा नहीं है। पिछले वर्ष जातिवादी हत्याओं के नेता ब्रहेश्वर मुखिया की हत्या होने पर उनके समर्थकों को दाह संस्कार के नाम पर आरा से पटना तक ६० किमी. क्षेत्र में सभी दूकानों तथा घरों को लूटने की इजाजत दी गयी। उनकी जाति के समर्थक पुलिस मुख्य तथा कुछ नेताओं ने इसमें पूरा समर्थन दिया। उसमें भी कहा गया कि सभी उपद्रवियों का विडिओ कैमरे से फोटो लिया जा चुका है। आज तक कोई भी पकड़ा नहीं गया। झारखण्ड में भी पूर्वी छोर पर पाकुड़ के एस पी की हत्या होने पर पश्चिमी छोर के लतेहार में माओवादियों के विरुद्ध अभियान होने लगा। कर्नाटक का मंगलोर अधिक सुरक्षित रहता। आतंकवाद द्वारा अधिकारियों और नेताओं को पैसे बनाने का स्वर्णिम अवसर मिल रहा है। पिछले ७ वर्षों में प्रायः ५ लाख स्वचालित राईफल की खरीद हुई है, पर किसी भी आतंकवादी आक्रमण के समय वह उपलब्ध नहीं हो पाया है-मुम्बई ताज होटल, छत्तीसगढ़ नरसंहार, झारखण्ड या ओड़िशा किसी भी पुलिस के पास ये नहीं पहुंचे हैं। इतने हथियार किसी भी देश की पूरी सेना के लिये पर्याप्त होते यदि सचमुच खरीद हुयी होती। इसके अतिरिक्त प्रति थाना को सुदृढ़ करने के लिये २ करोड़ खर्च किये जाते हैं। आज तक किसी को पता नहीं चला कि भवन में बिना कोई काम किये वह कैसे सुदृढ़ हो रहा है। कई थानों को ६ वर्षों में २-३ बार सुदृढ़ किया जा चुका है, पर वहां चूना भी नहीं पोता गया।

  2. दिग्गी के बेवकूफी भरे व नितीश का गैरजिम्मेदाराना बयान,दोनों ही विषय की गंभीरता को ख़तम कर देते हैं.तू तू मैं करने के लिए दिग्गी वैसे ही प्रसिद हैं.उन्हें शिंदे की तरह हिन्दू ही आतंकवादी नजर आता है,मुस्लिम नहीं, जब कि आतंकवादी का या ऐसे कार्य करने वालों का कोई धरम नहीं होता.सच तो यह है कि केवल विषय से और अपनी असफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने कांग्रेस का सोचा समझा तरीका है.समय समय पर ऐसी घटनाएँ होती रहें,अच्छा है,ताकि जनता मूल मुद्दों से भटकी रहे व चुनाव में उन विषयों पर जनता कि नाराजगी से बचा जा सके.बाकी इन्हें न देश की चिंता है न जनता की.

  3. आतंकवादी घटनाये होती रहती है और होती रहेंगी पर इन मूर्ख राजनीतिज्ञों को सिर्फ बयाँ बाजी ही करना आता है .इसके सबसे बड़े सरदार दिग्विजय सिंह है.वे राजनीति के बजाय जासूसी उपन्यास लिखना शुरु कर दे सफलता उनके कदम चूमेगी .क्या दिमाग भिड़ाते है. कहते है कि मोदी एक दिन सबक सिखाने वाली बात कही थी और दुसरे दिन धमाका हो गया थर्ड ग्रेड कि जासूसी फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर के रूप में खूब जमेंगे. वे राजनीतिक कम विदूषक ज्यादा नजर आते है .अब नितीश कुमार पर आते है. क्या बयां दिया है कि इस तरह के आतंकी घटनाओं को कोई नहीं रोक सकता. हंसी आती है इस बात पर .अरे जनाब आपको जनता ने किस लिए राज करने के लिए भेज है सिर्फ सेक्युलर वाद का झंडावरदार बनने के लिए या साशन चलाने के लिए भी.एक तरह से वे ठीक ही कहते है कि मुसलिम आतंक वादी को रोकेंगे तो सेक्युलर कैसे कहलायेंगे .इस देश में तो वही सेक्युलर कहला सकता है जो मुसलिमों का पिच्च्लगू बन जाये .इस्रात्जहाँ को एनकौन्टर किया गया पर वह गलत था जब कि इसकी खबर आतंकियों का सरगना हेडली ने दी थी ऑंखें बंद कर के बैठा जा सकता है पर सच्चाई इससे बदल तो नहीं जाएगी ये आतंकवादी साडी मुस्लिम कौम को संदेह के घेरे में ल रहे है. जो कि ठीक नहीं है.लेकिन हमारे सेकुलरवादी तो उनका और भी नुकसान कर रहे है.इस बात को मुस्लिम अच्छी तरह समझ ले .

    बिपिन कुमार सिन्हा

  4. इज्राएल से तीन परामर्शकं बुलाइए।
    सारी आतंकी घटनाएं समाप्त नहीं तो, न्यून मात्र तो हो ही जाएगी।
    शुभस्य शीघ्र।

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